दुकानदारों पर हमला करने का आह्वान करने के लिए हिंदुत्ववादी समूह काली सेना के करीब पांच सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
![](/sites/default/files/uttrakhand_4.jpg?130)
फोटो साभार : मकतूब
उत्तराखंड में कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने और हिंदू समाज के लोगों से मुस्लिम किरायेदारों को खाली कराने और दुकानदारों पर हमला करने का आह्वान करने के लिए हिंदुत्ववादी समूह काली सेना के करीब पांच सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
यह घटना 4 फरवरी को देहरादून के नथुवावाला में हुई जहां हिंदुत्ववादी समूह से जुड़े 50 से 60 लोगों का एक समूह एक दिन पहले कथित तौर पर नाबालिग के साथ यौन शोषण का विरोध करने के लिए इकट्ठा हुआ था।
प्राथमिकी के हवाले से द इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा, इसमें शामिल लोगों ने "लोगों को भड़काया, [यौन शोषण मामले] को सांप्रदायिक रंग दिया और भड़काऊ भाषण दिए, स्थानीय लोगों से इलाके में रहने वाले या व्यवसाय चलाने वाले अन्य समुदायों के किरायेदारों पर हमला करने और उन्हें हटाने का आग्रह किया।"
बालावाला चौकी के प्रभारी उपनिरीक्षक संजय रावत द्वारा दर्ज की गई शिकायत में मुख्य आरोपी भूपेश जोशी, वैभव पंवार, आचार्य विपुल बंगवाल, अजय कैप्टन और सेवानिवृत्त सेना अधिकारी राजेंद्र सिंह नेगी के साथ अन्य लोगों का नाम शामिल है। एफआईआर के अनुसार, समूह ने नाथुवावाला से दोनाली क्षेत्र तक मार्च किया और “अन्य समुदायों के लोगों की दुकानों के साइनबोर्ड और बैनर” तोड़ दिए।
मकतूब ने मीडिया रिपोर्ट के हवाले से लिखा, 5 फरवरी को शाम 4:30 बजे, समूह के सदस्यों ने दोनाली तिराहे पर एक और सभा करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया, जहां उन्होंने कथित तौर पर धमकियां दीं।
इस एफआईआर में कहा गया कि “उन्होंने मकान मालिकों और दुकान मालिकों को दूसरे समुदायों के किरायेदारों को तुरंत हटाने की धमकी दी और कहा कि अगर सात दिनों के भीतर ऐसा नहीं किया गया, तो वे उन्हें जबरन हटा देंगे।”
बाद में उसी दिन, समूह ने कथित तौर पर लोअर तुनवाला में एक स्कूल के पास एक साप्ताहिक बाजार को खाली करने के लिए मुस्लिम विक्रेताओं को मजबूर किया। एफआईआर में आगे आरोप लगाया गया है, “उन्होंने दूसरे समुदायों के विक्रेताओं के साथ गाली-गलौज और मारपीट भी की, उन्हें भविष्य में दुकानें न लगाने की चेतावनी दी और वापस आने पर जान से मारने की धमकी दी। इसके अलावा, कई वीडियो बनाए गए जिनमें भड़काऊ भाषण रिकॉर्ड किए गए थे।”
ज्ञात हो कि उत्तराखंड में इस तरह की घटनाओं का यह कोई पहला मामला नहीं है। सितंबर 2024 में, पुलिस ने चमोली जिले में मुसलमानों द्वारा संचालित 11 दुकानों में तोड़फोड़ के बाद 300 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आरोप था कि एक मुस्लिम व्यक्ति ने 14 वर्षीय लड़की से छेड़छाड़ की थी।
इसी तरह, मार्च 2024 में धारचूला में एक स्थानीय व्यापारी संगठन ने मुस्लिम दुकानदारों को तीन दिनों के लिए बंद करने के लिए मजबूर किया, जब कथित तौर पर उत्तर प्रदेश के बरेली के लोगों द्वारा दो नाबालिग लड़कियों को बहला-फुसलाकर ले जाया गया था। धारचूला व्यापार संघ ने 91 व्यापारियों, जिनमें से ज्यादातर मुस्लिम थे, उनकी सदस्यता भी रद्द कर दी और उन्हें शहर से बाहर निकालने का आह्वान किया।
बता दें कि पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों द्वारा एक सुनियोजित अभियान चलाया गया क्योंकि पिछले साल मस्जिदों को गिराने की मांग की जा रही।
हिमाचल प्रदेश के शिमला और उत्तराखंड के उत्तरकाशी में भाजपा/आरएसएस से जुड़े दक्षिणपंथी हिंदू समूहों ने इन जगहों पर दो मस्जिदों को हटाने की मांग को लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। जबकि, हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड ने कहा है कि शिमला के पास संजौली में मस्जिद वक्फ की जमीन पर बनी है, उत्तरकाशी के मुसलमानों का दावा है कि 1960 के दशक में स्थानीय मुस्लिम समुदाय द्वारा जमीन की वैध बिक्री के बाद मस्जिद का निर्माण किया गया था। हिमाचल प्रदेश पुलिस को शिमला के संजौली में मस्जिद पर हमला करने जा रही एक बड़ी भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज और पानी की बौछारों का इस्तेमाल करना पड़ा।
उत्तरकाशी में भी, हिंदू संगठनों ने इन मस्जिदों को बलपूर्वक गिराने की धमकी दी थी। उनका कहना था कि अगर प्रशासन इन संरचनाओं को हटाने में विफल रहता है, जिनके बारे में उनका दावा था कि वे ‘अवैध’ हैं। हिंदू संगठनों ने उत्तरकाशी जिला प्रशासन को मस्जिद मोहल्ला स्थित मस्जिद को ध्वस्त करने के लिए तीन दिन का अल्टीमेटम दिया था, अन्यथा उन्होंने सार्वजनिक रूप से धमकी दी थी कि वे स्वयं इसे ध्वस्त कर देंगे।
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फोटो साभार : मकतूब
उत्तराखंड में कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने और हिंदू समाज के लोगों से मुस्लिम किरायेदारों को खाली कराने और दुकानदारों पर हमला करने का आह्वान करने के लिए हिंदुत्ववादी समूह काली सेना के करीब पांच सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
यह घटना 4 फरवरी को देहरादून के नथुवावाला में हुई जहां हिंदुत्ववादी समूह से जुड़े 50 से 60 लोगों का एक समूह एक दिन पहले कथित तौर पर नाबालिग के साथ यौन शोषण का विरोध करने के लिए इकट्ठा हुआ था।
प्राथमिकी के हवाले से द इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा, इसमें शामिल लोगों ने "लोगों को भड़काया, [यौन शोषण मामले] को सांप्रदायिक रंग दिया और भड़काऊ भाषण दिए, स्थानीय लोगों से इलाके में रहने वाले या व्यवसाय चलाने वाले अन्य समुदायों के किरायेदारों पर हमला करने और उन्हें हटाने का आग्रह किया।"
बालावाला चौकी के प्रभारी उपनिरीक्षक संजय रावत द्वारा दर्ज की गई शिकायत में मुख्य आरोपी भूपेश जोशी, वैभव पंवार, आचार्य विपुल बंगवाल, अजय कैप्टन और सेवानिवृत्त सेना अधिकारी राजेंद्र सिंह नेगी के साथ अन्य लोगों का नाम शामिल है। एफआईआर के अनुसार, समूह ने नाथुवावाला से दोनाली क्षेत्र तक मार्च किया और “अन्य समुदायों के लोगों की दुकानों के साइनबोर्ड और बैनर” तोड़ दिए।
मकतूब ने मीडिया रिपोर्ट के हवाले से लिखा, 5 फरवरी को शाम 4:30 बजे, समूह के सदस्यों ने दोनाली तिराहे पर एक और सभा करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया, जहां उन्होंने कथित तौर पर धमकियां दीं।
इस एफआईआर में कहा गया कि “उन्होंने मकान मालिकों और दुकान मालिकों को दूसरे समुदायों के किरायेदारों को तुरंत हटाने की धमकी दी और कहा कि अगर सात दिनों के भीतर ऐसा नहीं किया गया, तो वे उन्हें जबरन हटा देंगे।”
बाद में उसी दिन, समूह ने कथित तौर पर लोअर तुनवाला में एक स्कूल के पास एक साप्ताहिक बाजार को खाली करने के लिए मुस्लिम विक्रेताओं को मजबूर किया। एफआईआर में आगे आरोप लगाया गया है, “उन्होंने दूसरे समुदायों के विक्रेताओं के साथ गाली-गलौज और मारपीट भी की, उन्हें भविष्य में दुकानें न लगाने की चेतावनी दी और वापस आने पर जान से मारने की धमकी दी। इसके अलावा, कई वीडियो बनाए गए जिनमें भड़काऊ भाषण रिकॉर्ड किए गए थे।”
ज्ञात हो कि उत्तराखंड में इस तरह की घटनाओं का यह कोई पहला मामला नहीं है। सितंबर 2024 में, पुलिस ने चमोली जिले में मुसलमानों द्वारा संचालित 11 दुकानों में तोड़फोड़ के बाद 300 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आरोप था कि एक मुस्लिम व्यक्ति ने 14 वर्षीय लड़की से छेड़छाड़ की थी।
इसी तरह, मार्च 2024 में धारचूला में एक स्थानीय व्यापारी संगठन ने मुस्लिम दुकानदारों को तीन दिनों के लिए बंद करने के लिए मजबूर किया, जब कथित तौर पर उत्तर प्रदेश के बरेली के लोगों द्वारा दो नाबालिग लड़कियों को बहला-फुसलाकर ले जाया गया था। धारचूला व्यापार संघ ने 91 व्यापारियों, जिनमें से ज्यादातर मुस्लिम थे, उनकी सदस्यता भी रद्द कर दी और उन्हें शहर से बाहर निकालने का आह्वान किया।
बता दें कि पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों द्वारा एक सुनियोजित अभियान चलाया गया क्योंकि पिछले साल मस्जिदों को गिराने की मांग की जा रही।
हिमाचल प्रदेश के शिमला और उत्तराखंड के उत्तरकाशी में भाजपा/आरएसएस से जुड़े दक्षिणपंथी हिंदू समूहों ने इन जगहों पर दो मस्जिदों को हटाने की मांग को लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। जबकि, हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड ने कहा है कि शिमला के पास संजौली में मस्जिद वक्फ की जमीन पर बनी है, उत्तरकाशी के मुसलमानों का दावा है कि 1960 के दशक में स्थानीय मुस्लिम समुदाय द्वारा जमीन की वैध बिक्री के बाद मस्जिद का निर्माण किया गया था। हिमाचल प्रदेश पुलिस को शिमला के संजौली में मस्जिद पर हमला करने जा रही एक बड़ी भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज और पानी की बौछारों का इस्तेमाल करना पड़ा।
उत्तरकाशी में भी, हिंदू संगठनों ने इन मस्जिदों को बलपूर्वक गिराने की धमकी दी थी। उनका कहना था कि अगर प्रशासन इन संरचनाओं को हटाने में विफल रहता है, जिनके बारे में उनका दावा था कि वे ‘अवैध’ हैं। हिंदू संगठनों ने उत्तरकाशी जिला प्रशासन को मस्जिद मोहल्ला स्थित मस्जिद को ध्वस्त करने के लिए तीन दिन का अल्टीमेटम दिया था, अन्यथा उन्होंने सार्वजनिक रूप से धमकी दी थी कि वे स्वयं इसे ध्वस्त कर देंगे।