MP: गांव में बांध का पानी घुसने पर मेधा पाटकर का जलसत्याग्रह, आश्वासन मिलने के बाद खत्म किया

Written by sabrang india | Published on: September 16, 2024
मेधा पाटकर ने नर्मदा बचाओ आंदोलन (NBA) के तहत सरदार सरोवर बांध के बढ़ते जलस्तर और विस्थापित ग्रामीणों की समस्याओं को लेकर सत्याग्रह किया। पाटकर और उनके समर्थक 36 घंटों तक नर्मदा नदी के पानी में खड़े रहे।



सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के कसरावद गांव में नर्मदा बांध के पानी के घुसने के खिलाफ जल सत्याग्रह शुरू किया। 36 घंटे के बाद सरकार द्वारा आश्वासन मिलने पर यह सत्याग्रह समाप्त कर दिया गया।

द मूक नायक की रिपोर्ट के अनुसार, पाटकर ने आरोप लगाया कि केंद्रीय जल आयोग के नियमों का उल्लंघन करते हुए बांध का जलस्तर बढ़ाया गया है, जिससे मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के हजारों ग्रामीण प्रभावित हुए हैं। पिछले साल भी मानसून के दौरान 170 गांव प्रभावित हुए थे, जिनका पुनर्वास अब तक अधूरा है।

मेधा पाटकर ने नर्मदा बचाओ आंदोलन (NBA) के तहत सरदार सरोवर बांध के बढ़ते जलस्तर और विस्थापित ग्रामीणों की समस्याओं को लेकर सत्याग्रह किया। पाटकर और उनके समर्थक 36 घंटों तक नर्मदा नदी के पानी में खड़े रहे। आंदोलन का मुख्य उद्देश्य बांध का जलस्तर कम करने और विस्थापित परिवारों के पूर्ण पुनर्वास की मांग करना था।

पाटकर ने आरोप लगाया कि सरदार सरोवर बांध का जलस्तर अवैध रूप से बढ़ाया जा रहा है, जिससे आस-पास के गांवों में पानी घुस रहा है और ग्रामीणों की कृषि भूमि और आजीविका बर्बाद हो रही है। उन्होंने कहा कि बांध का जलस्तर 136 मीटर तक पहुंच चुका है, जबकि इसे 122 मीटर पर बनाए रखने की आवश्यकता थी। उन्होंने यह भी कहा कि ओंकारेश्वर और इंदिरा सागर बांधों से पानी छोड़े जाने के बाद स्थिति और गंभीर हो गई है।

पुनर्वास की मांग

पाटकर ने विस्थापित परिवारों के पुनर्वास की मांग की और कहा कि जब तक इसका समाधान नहीं होता और बांध के गेट नहीं खोले जाते, उनका सत्याग्रह जारी रहेगा। पाटकर ने दावा किया कि बांध के जलस्तर को समय पर नियंत्रित न करने से कई घर डूब गए हैं और लोगों की जीविका प्रभावित हो रही है। उन्होंने सरकार से ठोस कदम उठाने की अपील की।

सत्याग्रह में शामिल ग्रामीणों ने कहा कि वे लंबे समय से विस्थापन का सामना कर रहे हैं और सरकार द्वारा किए गए वादे अब तक अधूरे हैं। कई परिवार अभी भी उचित पुनर्वास का इंतजार कर रहे हैं। किसानों की जमीनें डूब चुकी हैं, जिससे उनकी आय के स्रोत खत्म हो गए हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें प्रशासन से केवल आश्वासन मिलते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उनकी समस्याओं का कोई समाधान नहीं निकला है। पिछले साल भी जलस्तर बढ़ने से उनकी खेती की जमीन बर्बाद हो गई थी और इस साल भी वही स्थिति बनी हुई है।

पाटकर ने कहा कि यह नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण और सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड की जिम्मेदारी है कि वे जलस्तर को नियंत्रित करें और विस्थापितों का पुनर्वास करें। उन्होंने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की और विस्थापित परिवारों के अधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाने की अपील की।

आंदोलन में शामिल ग्रामीणों का कहना है कि पाटकर और नर्मदा बचाओ आंदोलन के अन्य कार्यकर्ता सत्याग्रह को तब तक जारी रखेंगे जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं। यह सत्याग्रह केवल बांध के गेट खोलने की मांग तक सीमित नहीं है, बल्कि विस्थापित परिवारों के लिए न्याय और उनके संवैधानिक अधिकारों की लड़ाई है।

ज्ञात हो कि जून महीने में मेधा पाटकर ने नर्मदा घाटी में न्याय के लिए अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया था, जिसमें परियोजना से प्रभावित सभी लोगों के पुनर्वास की मांग की गई थी।

Related

सरदार सरोवर बांध के पानी से 15,946 परिवारों के डूबने के खिलाफ प्रदर्शन, सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की तबीयत बिगड़ी

बाकी ख़बरें