गुजरात के पूर्व विधायक महेश वसावा ने इस्तीफा देते हुए कहा कि देश संविधान के अनुसार नहीं चल रहा है। उन्होंने कहा कि आदिवासी, दलित, ओबीसी, मुस्लिम, ईसाई, सिख और अन्य गरीब वर्ग एकजुट होकर आरएसएस और भाजपा की विचारधारा से लड़ेंगे।

गुजरात के पूर्व विधायक आदिवासी नेता महेश वसावा ने सोमवार 14 अप्रैल को भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देते हुए उन्होंने कहा कि देश ‘संविधान के अनुसार नहीं चल रहा है।’
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, डेडियापाड़ा से पूर्व विधायक और आदिवासी नेता छोटू वसावा के बेटे महेश वसावा ने सोमवार को अंबेडकर जयंती के मौके पर गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
ज्ञात हो कि वसावा लोकसभा चुनाव से पहले मार्च 2024 में भाजपा में शामिल हुए थे।
भाजपा से इस्तीफा देने के बारे में जब वसावा पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘डॉ. अंबेडकर की जयंती के मौके पर मैं यह कहना चाहता हूं कि देश संविधान के अनुसार नहीं चल रहा है। आदिवासी, दलित, ओबीसी, मुस्लिम, ईसाई, सिख और अन्य गरीब वर्ग एकजुट होकर आरएसएस और भाजपा की विचारधारा से लड़ेंगे।’
बता दें कि उनके पिता छोटूभाई वसावा भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के संस्थापक हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार महेश वसावा ने कहा, ‘मैं भाजपा में इसलिए शामिल हुआ था ताकि मेरे इलाकों में जनहित के काम हो सकें, लेकिन मेरी सिफारिशों पर भी कुछ नहीं हुआ। मैंने लोकसभा चुनाव के दौरान काम किया और पार्टी उम्मीदवार और मौजूदा सांसद मनसुख वसावा के लिए प्रचार किया और वे जीते।’
उन्होंने कहा, ‘चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद पार्टी नेताओं ने मुझे किसी भी पार्टी कार्यकर्ता बैठक या सार्वजनिक बैठक में नहीं बुलाया। उन्होंने जानबूझकर मुझसे दूरी बना ली है। मैं बीटीपी के लिए काम करूंगा और आने वाले दिनों में राजनीतिक भूचाल आएगा और भरूच इसका केंद्र होगा।’
गुजरात में विपक्षी कांग्रेस ने वसावा के पार्टी छोड़ने को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधा।
कांग्रेस के मीडिया संयोजक मनीष दोशी ने कहा, ‘अंबेडकर जयंती के अवसर पर वसावा का भाजपा से अलग होना भाजपा के आदिवासी विरोधी रुख को दर्शाता है। उनके इस्तीफे ने एक बार फिर भाजपा के संविधान विरोधी दृष्टिकोण को उजागर किया है।’
इस बीच, झारखंड के कद्दावर बीजेपी नेता ने पार्टी से गत शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, संवाद सहयोगी, बोरियो/बरहेट (साहिबगंज)। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और बोरियो के पूर्व विधायक ताला मरांडी ने शुक्रवार को बरहेट में सिदो-कान्हु की जयंती पर आयोजित समारोह में झामुमो का दामन थाम लिया। झामुमो के केंद्रीय समिति सदस्य पंकज मिश्रा ने मंच पर उनका स्वागत किया और उनके पार्टी में शामिल होने की घोषणा की। इसके बाद झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पार्टी का पट्टा पहनाकर उन्हें विधिवत पार्टी में शामिल कराया।
बता दें कि ताला मरांडी 2016 में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे। हालांकि, पार्टी लाइन से इतर स्टैंड लेने की वजह से बाद में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था।
हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ग्रामीण जिला रांची के जिला महामंत्री खलारी निवासी मजहर आलम ने भी गत मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पत्र जारी कर कहा कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी से कोई दिक्कत और परेशानी नहीं है, वे अपनी स्वेक्षा से भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा ग्रामीण जिला रांची के जिला महामंत्री के पद से इस्तीफा दे रहे हैं।
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गुजरात के पूर्व विधायक आदिवासी नेता महेश वसावा ने सोमवार 14 अप्रैल को भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देते हुए उन्होंने कहा कि देश ‘संविधान के अनुसार नहीं चल रहा है।’
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, डेडियापाड़ा से पूर्व विधायक और आदिवासी नेता छोटू वसावा के बेटे महेश वसावा ने सोमवार को अंबेडकर जयंती के मौके पर गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
ज्ञात हो कि वसावा लोकसभा चुनाव से पहले मार्च 2024 में भाजपा में शामिल हुए थे।
भाजपा से इस्तीफा देने के बारे में जब वसावा पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘डॉ. अंबेडकर की जयंती के मौके पर मैं यह कहना चाहता हूं कि देश संविधान के अनुसार नहीं चल रहा है। आदिवासी, दलित, ओबीसी, मुस्लिम, ईसाई, सिख और अन्य गरीब वर्ग एकजुट होकर आरएसएस और भाजपा की विचारधारा से लड़ेंगे।’
बता दें कि उनके पिता छोटूभाई वसावा भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के संस्थापक हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार महेश वसावा ने कहा, ‘मैं भाजपा में इसलिए शामिल हुआ था ताकि मेरे इलाकों में जनहित के काम हो सकें, लेकिन मेरी सिफारिशों पर भी कुछ नहीं हुआ। मैंने लोकसभा चुनाव के दौरान काम किया और पार्टी उम्मीदवार और मौजूदा सांसद मनसुख वसावा के लिए प्रचार किया और वे जीते।’
उन्होंने कहा, ‘चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद पार्टी नेताओं ने मुझे किसी भी पार्टी कार्यकर्ता बैठक या सार्वजनिक बैठक में नहीं बुलाया। उन्होंने जानबूझकर मुझसे दूरी बना ली है। मैं बीटीपी के लिए काम करूंगा और आने वाले दिनों में राजनीतिक भूचाल आएगा और भरूच इसका केंद्र होगा।’
गुजरात में विपक्षी कांग्रेस ने वसावा के पार्टी छोड़ने को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधा।
कांग्रेस के मीडिया संयोजक मनीष दोशी ने कहा, ‘अंबेडकर जयंती के अवसर पर वसावा का भाजपा से अलग होना भाजपा के आदिवासी विरोधी रुख को दर्शाता है। उनके इस्तीफे ने एक बार फिर भाजपा के संविधान विरोधी दृष्टिकोण को उजागर किया है।’
इस बीच, झारखंड के कद्दावर बीजेपी नेता ने पार्टी से गत शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, संवाद सहयोगी, बोरियो/बरहेट (साहिबगंज)। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और बोरियो के पूर्व विधायक ताला मरांडी ने शुक्रवार को बरहेट में सिदो-कान्हु की जयंती पर आयोजित समारोह में झामुमो का दामन थाम लिया। झामुमो के केंद्रीय समिति सदस्य पंकज मिश्रा ने मंच पर उनका स्वागत किया और उनके पार्टी में शामिल होने की घोषणा की। इसके बाद झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पार्टी का पट्टा पहनाकर उन्हें विधिवत पार्टी में शामिल कराया।
बता दें कि ताला मरांडी 2016 में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे। हालांकि, पार्टी लाइन से इतर स्टैंड लेने की वजह से बाद में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था।
हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ग्रामीण जिला रांची के जिला महामंत्री खलारी निवासी मजहर आलम ने भी गत मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पत्र जारी कर कहा कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी से कोई दिक्कत और परेशानी नहीं है, वे अपनी स्वेक्षा से भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा ग्रामीण जिला रांची के जिला महामंत्री के पद से इस्तीफा दे रहे हैं।
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