बच्चों के पोषण को लेकर चिंता; महाराष्ट्र ने मीड-डे-मील के लिए अंडे के फंडिंग को खत्म किया

Written by sabrang india | Published on: February 1, 2025
भोजन के अधिकार अभियान में शामिल मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने बार-बार इस बात की ओर ध्यान दिलाया है कि अंडे बच्चों की पोषण स्थिति को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।


प्रतीकात्मक तस्वीर; साभार : इंडियन एक्सप्रेस

महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार 28 जनवरी को घोषणा की है कि वह अब सरकारी स्कूलों के लिए मीड-डे-मील प्रोग्राम में अंडे और चीनी के लिए फंडिंग नहीं करेगी। हिंदुस्तान टाइम्स ने इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया।

नवंबर 2023 में सरकार ने प्रोटीन की कमी से निपटने के लिए छात्रों को प्रति सप्ताह में एक अंडा देने का फैसला किया था, जिसमें अंडे के बजाय फल चुनने का विकल्प था। हालांकि, दक्षिणपंथी समूहों के विरोध के बाद, जनवरी 2024 में नीति को संशोधित किया गया ताकि उन स्कूलों को बाहर रखा जा सके जहां कम से कम 40 प्रतिशत माता-पिता अंडे परोसने का विरोध करते हैं।

अब एक सरकारी प्रस्ताव के अनुसार, जो स्कूल अपने छात्रों को अंडे देना जारी रखना चाहते हैं, उन्हें सार्वजनिक योगदान के माध्यम से धन जुटाना होगा। प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि अगर स्कूल अंडा पुलाव और मिठाइयां जैसे वैकल्पिक व्यंजन परोसना चाहते हैं तो उन्हें सार्वजनिक योगदान के जरिए चीनी और अंडे के लिए फंड की व्यवस्था करनी होगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकार ने 24 लाख स्कूली बच्चों को अंडे उपलब्ध कराने के लिए सालाना 50 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। हालांकि, संशोधित भोजन योजना अब दस अलग-अलग व्यंजनों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिन्हें मौजूदा फंड का इस्तेमाल करके तैयार किया जा सकता है।

मीड-डे-मील प्रोग्राम जिसे अब पीएम पोषण योजना के रूप में जाना जाता है वह केंद्र प्रायोजित योजना है जिसके तहत सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में छात्रों को प्रतिदिन एक गर्म पका हुआ भोजन दिया जाता है। हालांकि केंद्र सरकार इस कार्यक्रम के अधिकांश हिस्से का फंड करती है, वहीं राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश लागत का 40% वहन करते हैं और कार्यक्रम को लागू करने के लिए जिम्मेदार हैं।

2023 में द वायर पर प्रकाशित एक लेख में स्वास्थ्य शोधकर्ता डॉ. सिल्विया कर्पगम और सिद्धार्थ जोशी ने उल्लेख किया था, "चूंकि अंडे सबसे अधिक पौष्टिक खाद्य पदार्थों में से एक हैं, जिनमें अच्छी गुणवत्ता वाले, जैविक रूप से उपलब्ध और पचने योग्य प्रोटीन के साथ-साथ फोलेट, जिंक, विटामिन ए, बी12 आदि जैसे पोषक तत्व होते हैं इसलिए उनके न्यूट्रिशन वैल्यू पर कभी संदेह नहीं किया गया।"

इसके अलावा, कर्नाटक सरकार द्वारा विरोध के बावजूद छात्रों को अंडे उपलब्ध कराना जारी रखने के संदर्भ में लिखे गए इस लेख में अंडे विरोधी अभियान के पीछे “शुद्धता और अशुद्धता की ब्राह्मणवादी धारणाओं” को उजागर किया गया है।

लेखकों ने लिखा, “इस बात के सबूत के बावजूद कि अंडे को शामिल करना एक जरूरी न्यूट्रिशनल इंटर्वेंशन है, जो सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य है और साथ ही मीड डे मील में बहुत जरूरी विविधता भी लाता है, योजना में उनके देने को भोजन की शुद्धता और अशुद्धता की ब्राह्मणवादी धारणाओं में निहित वैचारिक बाधाओं द्वारा बाधित किया जा रहा है। मीड डे मील में अंडे देने के निर्णय पर अड़े रहकर कर्नाटक भोजन को शुद्ध और अशुद्ध के रूप में परिभाषित करने के ब्राह्मणवादी सांस्कृतिक आधिपत्य को चुनौती देने में अपने दक्षिणी पड़ोसियों के साथ शामिल हो गया है, उम्मीद है कि यह इसी तरह बरकरार रहेगा।”

भोजन के अधिकार अभियान में शामिल कार्यकर्ताओं ने बार-बार बताया है कि अंडे बच्चों की पोषण स्थिति को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं और यह खासकर अहम है क्योंकि "पोषक तत्वों की कमी, बौनापन, कम वजन और अन्य प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं वंचित समुदायों के बच्चों में ज्यादा है।"

इस अभियान ने 2021 की प्रेस विज्ञप्ति में कहा था, “हमें यह समझना चाहिए कि समस्या केवल स्कूलों और आंगनवाड़ियों के मेनू में अंडे की गैर मौजूदगी नहीं है। कई राज्यों में मेनू में दूध, डेयरी, सब्जियां, फैट/तेल, दालें और फलियों की कमी है। वंचित समुदायों के बच्चों में पोषण की कमी, बौनापन, कम वजन और अन्य प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं ज्यादा है। कुपोषण और बीमारी के दुष्चक्र के कारण, इन समुदायों के बच्चे और परिवार राज्य के दखल के बिना सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं। इन परिदृश्यों में अंडे बच्चे की पोषण स्थिति को बदल सकते हैं और कुपोषण और खराब स्वास्थ्य स्थितियों से लड़ने में आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं। अंडे अच्छी गुणवत्ता वाले प्रोटीन, खनिज, विटामिन और वसा सहित कई पोषण संबंधी ज़रूरतों को पूरा करते हैं। इन्हें पकाना आसान है, अन्य खाद्य पदार्थों की तरह इनमें मिलावट और चोरी की संभावना नहीं होती है और ये स्कूल में उपस्थिति बढ़ाने में भी मदद करते हैं।”

अर्थशास्त्री रीतिका खेरा ने स्क्रॉल पर लिखा, पोषण संबंधी कारक के अलावा अंडे को हैंडल आसान होता है क्योंकि इनकी शेल्फ-लाइफ लंबी होती है और इन्हें स्टॉक करना ज्यादा आसान होता है, खासकर ग्रामीण इलाकों में। “अंडों के फायदे पर विचार करें: दूध या केले की तुलना में इनकी शेल्फ-लाइफ लंबी होती है। ग्रामीण इलाकों में यह एक बहुत ही उपयोगी चीज है। अंडे को दूध या दाल की तरह पतला या मिलावटी नहीं बनाया सकता है।”

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