मणिपुर हिंसा के लिए सीएम ने मांगी माफ़ी, अब पीएम की बारी?

Written by Navnish Kumar | Published on: January 1, 2025
सीएम के बाद पीएम कब इस मामले पर राज्य सरकार के साथ साथ केंद्र सरकार की भी नाकामी को स्वीकार करते हुए माफी मांगेंगे?


साभार : बीबीसी

"मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर सीएम एन बीरेन सिंह ने माफी मांगी है। सीएम ने साल के आखिरी दिन माफी मांगते हुए हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। सीएम एन बीरेन सिंह ने राज्य में हिंसा और उससे हुई जनहानि को लेकर माफ़ी मांगी है। सीएम ने कहा कि ये पूरा साल बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रहा है। इसका मुझे बहुत दुख है। 3 मई 2023 से लेकर आज तक जो कुछ भी हो रहा है, उसके लिए मैं राज्य के लोगों से माफी मांगता हूं। कई लोगों ने अपने प्रियजन को खो दिया। कई लोगों ने अपना घर छोड़ दिया..मुझे वास्तव में खेद है। मैं माफी मांगना चाहता हूं।" साफ है कि एन बीरेन सिंह ने हिंसा की रोकथाम में सरकार के फेलियोर को स्वीकार कर लिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि सीएम के बाद पीएम कब इस मामले पर राज्य सरकार के साथ साथ केंद्र सरकार की भी नाकामी को स्वीकार करते हुए माफी मांगेंगे?

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैं राज्य के सभी समुदायों से अपील करना चाहता हूं कि जो कुछ हुआ सो हुआ। आपको अतीत की गलतियों को माफ करना होगा और भूलना होगा और हमें एक शांतिपूर्ण मणिपुर की दिशा में एक नया जीवन शुरू करना होगा।’ उन्होंने कहा कि मणिपुर की सभी 35 जनजातियों को एक साथ सद्भावना के साथ रहना चाहिए। खास है कि मणिपुर में बीते साल मई से जातीय हिंसा चल रही है, जिसमें अब तक 250 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। नवंबर में मणिपुर के जिरीबाम में तीन महिलाओं और उनके तीन बच्चों की हत्या के बाद भी बवाल हुआ। राज्य में लगातार हो रही हिंसा के चलते एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार भारी दबाव में है और बीरेन सिंह को पद से हटाने की मांग जोर पकड़ रही है। एनडीए की सहयोगी एनपीपी ने भी मणिपुर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है और नेतृत्व परिवर्तन करने की मांग की है। अब साल की समाप्ति पर मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने जनता से माफी मांगी है। उन्होंने कहा कि यह पूरा साल खराब रहा। नए साल 2025 में शांति की उम्मीद है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मणिपुर के हालात पर बात की और नए साल के आगमन पर हालात ठीक होने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा, “पूरा साल बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रहा। पिछले 3 मई से लेकर आज तक जो हो रहा है उसके लिए मुझे अफसोस है और राज्य के लोगों से मैं माफी मांगना चाहता हूं।” उन्होंने कहा कि पिछले तीन-चार महीने की बढ़ती शांति को देखते हुए मुझे उम्मीद है कि नए साल के आगमन के साथ राज्य में सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी।” उन्होंने कहा, “एक शांतिपूर्ण और सुखी मणिपुर, जहां 34-35 जनजातियां साथ रहती थीं, हमें भविष्य में भी साथ रहना चाहिए।” 

खास है कि 3 मई 2023 से मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा लगातार जारी है। इसमें 250 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। इस हिंसा को 600 से ज्यादा दिन बीत चुके हैं। यानी देखा जाए तो साल के आखिरी दिन सीएम ने राज्य में हुई हिंसा को लेकर लोगों से माफ़ी मांग ली है। इससे साफ है कि एन बीरेन सिंह ने हिंसा की रोकथाम में सरकार के फेलियोर को स्वीकार कर लिया है। ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि सीएम के बाद पीएम मोदी कब इस मामले पर राज्य सरकार के साथ साथ केंद्र सरकार की भी नाकामी को स्वीकार करते हुए माफी मांगेंगे।

मणिपुर के लिए कैसा रहा साल 2024

घाटी में मैतेई समुदाय और पहाड़ियों में कुकी जनजातियों के बीच विभाजन 2024 में और गहरा गया। इस दौरान व्यापक हिंसा, भीड़ के हमले, नागरिक क्षेत्रों पर ड्रोन हमले हुए और जान-माल नुकसान हुआ। हिंसा की शुरुआत जनवरी में ग्रामीणों पर हमले से हुई और अप्रैल में आम चुनावों के दौरान यह बढ़ गई। आदिवासी 'मैं भी भारत' न्यूज पोर्टल के अनुसार, एक वक्त में सांस्कृतिक सद्भाव के लिए जाना जाने वाला यह राज्य अब विभाजन की खाई को पाट रहा है, हजारों लोग विस्थापित हो गए हैं और सभी समुदाय लगातार भय में जी रहे हैं। क्योंकि तनाव कम होने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है और बीते साल से शांति दूर की कौड़ी बनी हुई है। इस साल की शुरुआत हिंसक तरीके से हुई, जब 1 जनवरी को थौबल जिले में प्रतिबंधित पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के कार्यकर्ताओं ने चार ग्रामीणों की गोली मारकर हत्या कर दी। यह घटना अवैध ड्रग व्यापार के जरिए इकट्ठा किए गए धन को लेकर विवाद से जुड़ी थी, जिसके कारण राज्य सरकार को घाटी के सभी पांच जिलों में निषेधाज्ञा लागू करनी पड़ी।

एक महीने बाद हथियारबंद बदमाशों ने इंफाल ईस्ट जिले के वांगखेई टोकपाम में एडिशनल एसपी मोइरंगथेम अमित सिंह के आवास पर धावा बोला और उनकी संपत्ति में तोड़फोड़ की। घटना के दौरान एडिशनल एसपी और उनके एक साथी को हथियारबंद बदमाशों ने अगवा कर लिया और बाद में उन्हें घटनास्थल से लगभग 5 किलोमीटर दूर इम्फाल वेस्ट जिले के क्वाकेथेल कोनजेंग लेइकाई इलाके से छुड़ाया गया। कुकी-ज़ो और मैतेई समुदायों के बीच जातीय तनाव जारी था और इसी दौरान अप्रैल में लोकसभा चुनाव हुए थे। दूसरे चरण का चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ, जबकि पहले चरण में व्यापक हिंसा हुई, जिसमें गोलीबारी, धमकी, कुछ मतदान केंद्रों पर ईवीएम नष्ट करने और कई पार्टियों द्वारा बूथ कैप्चरिंग के आरोप शामिल थे।

पहली बार जातीय हिंसा, जो पहले इंफाल घाटी और आसपास के जिलों चुराचांदपुर और कांगपोकपी और टेंग्नौपाल जिले के मोरेह शहर तक सीमित थी। उसने जून में असम की सीमा से लगे जिरीबाम जिले में एक व्यक्ति के मृत पाए जाने पर नया मोड़ ले लिया। इस घटना ने जातीय हिंसा, व्यापक आगजनी, गोलीबारी और मैतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के सदस्यों के बीच घरों को आग लगाने की एक नई लहर को जन्म दिया। पहले शांतिपूर्ण जिले में संबंधित समुदायों के सशस्त्र समूहों द्वारा बंदूक से किए गए हमलों के बाद 1 हज़ार से अधिक लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हो गए, जहां कई समुदाय रहते थे।

राज्य में एक नए तरह का वॉर भी देखने को मिला, जब संदिग्ध कुकी युवकों ने 1 सितंबर को इंफाल पश्चिम जिले के कोट्रुक गांव और पास के सेनजाम चिरांग में ड्रोन से संचालित बम गिराए, जिससे एक महिला की मौत हो गई और नौ लोग घायल हो गए। कुछ दिनों बाद बिष्णुपुर जिले के मोइरांग में चुराचांदपुर जिले की पहाड़ियों से एक बिना दिशा वाली रॉकेट मिसाइल दागी गई, जिसमें एक बुजुर्ग की मौत हो गई और पांच अन्य घायल हो गए। गांवों पर बढ़ते हमलों और इससे होने वाले नागरिकों की मौतों के बीच इम्फाल में छात्रों और सुरक्षा बलों के बीच भीषण झड़पें हुईं, जिसमें 50 से अधिक छात्र घायल हो गए।

11 नवंबर को हथियारबंद कुकी-ज़ो युवकों ने जिरीबाम जिले के बोरोबेकरा पुलिस स्टेशन और जकुराधोर करोंग इलाके पर हमला किया। इससे सुरक्षा बलों और हमलावरों के बीच गोलीबारी शुरू हो गई, जिसमें 10 कुकी युवक मारे गए। घंटों बाद पता चला कि आंतरिक रूप से विस्थापित तीन महिलाओं और तीन बच्चों सहित आठ लोग लापता हैं। 12 नवंबर को जकुराधोर में जले हुए मलबे के बीच दो बुजुर्ग मैतेई पुरुषों के जले हुए शव पाए गए। उसी दिन महिलाओं और बच्चों की कैद की एक कथित तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिससे मैतेई समुदाय में आक्रोश फैल गया। शाम को अपहरण के विरोध में इंफाल घाटी और जिरीबाम में आम बंद का आह्वान किया गया। 15 नवंबर को मणिपुर-असम सीमा पर जिरी नदी और बराक नदी के संगम के पास तीन महिलाओं और तीन बच्चों के शव मिलने के बाद स्थिति और खराब हो गई।

एक दिन बाद इंफाल घाटी में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जब भीड़ ने घाटी के विधायकों के घरों को निशाना बनाया। उन्होंने भाजपा नेताओं के वाहनों और संपत्तियों पर भी हमला किया और आग लगा दी। वहीं बीते शनिवार को ताजा हिंसा में इंफाल पूर्वी जिले के सनसाबी और थमनापोकपी गांवों में हथियारबंद लोगों के साथ गोलीबारी में कुछ नागरिक और सुरक्षाकर्मी घायल हो गए। खास है कि मणिपुर में पिछले साल 3 मई को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बहुसंख्यक मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के बाद हिंसा भड़क गई थी। तब से जारी हिंसा अब तक शांत नहीं हुई है।

600 दिन से हिंसा, सीएम के बाद क्या पीएम मांगेंगे माफी?

अब आने वाले नए साल में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के साथ-साथ मणिपुर की जनता और पूरा देश भी शांति की उम्मीद कर रहा है। इस हिंसा को 600 से ज्यादा दिन बीत चुके हैं। यानी देखा जाए तो साल के आखिरी दिन सीएम ने राज्य में हुई हिंसा को लेकर लोगों से माफ़ी मांग ली है। इससे साफ है कि एन बीरेन सिंह ने हिंसा की रोकथाम में सरकार के फेलियोर को स्वीकार कर लिया है। ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि सीएम के बाद पीएम मोदी कब इस मामले पर राज्य सरकार के साथ साथ केंद्र सरकार की भी नाकामी को स्वीकार करते हुए माफी मांगेंगे?

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