दिल्ली के शहीद भगत सिंह कॉलेज में बीए तृतीय वर्ष के दलित छात्र को व्हाट्सएप ग्रुप हैक करने के शक में प्रिंसिपल द्वारा प्रताड़ित करने का आरोप।
साभार : द मूकनायक
शक के आधार पर दिल्ली विश्वविद्यालय के शहीद भगत सिंह कॉलेज के छात्र को प्रिंसिपल द्वारा प्रताड़ित करने और जातिगत टिप्पणी करने का मामला सामने आया है। नाराज छात्र पिछले कई दिनों से इस मामले को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और प्रिंसिपल के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की मांग कर रहे हैं।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, घटना की जानकारी जब दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संगठन को हुए तो वह पीड़ित दलित छात्र के न्याय को लेकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिए। छात्र 18 नवम्बर को पहली बार शहीद भगत सिंह कॉलेज में धरना प्रदर्शन शुरू किये। तब से छात्र लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। शुक्रवार को भी उन्होंने मालवीय नगर थाने के सामने प्रदर्शन कर न्याय की मांग की।
आइसा, दिल्ली यूनिवर्सिटी की सेक्रेटरी अंजली ने आरोप लगाया कि प्रिंसिपल ने कॉलेज में छात्रों के बीच डर का माहौल कायम कर रखा है।
वह बताती हैं कि, पिछले महीने 24 अक्टूबर को शहीद भगत सिंह कॉलेज के क्लास के एक WhatsApp ग्रुप पर अश्लील वीडियोज कुछ छात्रों के फोन से भेजी गईं थी। पिछले सेमेस्टर में भी ऐसा कुछ हुआ था। दूसरी बार फिर ऐसी घटना पर कुछ छात्रों ने टीचर्स को पत्र लिख कर मांग की कि मामले की जांच किया जाए।
इस घटना के बाद शक के आधार पर कॉलेज प्रशासन ने पहले दो छात्रों से पूछताछ की और एक फॉर्म भरकर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया जिसके आधार पर यह माना जाता कि सम्बंधित छात्र ने यह गलती की है, जिसमें वह गलती स्वीकार कर रहा है और वादा कर रहा है कि भविष्य में ऐसी गलती नहीं होगी। हालांकि, बताया जाता है कि पहले छात्रों ने फॉर्म पर साइन करने से यह कहकर मना कर दिया कि जब उन्होंने WhatsApp ग्रुप में वह सब चीजें भेजी ही नहीं फिर क्यों माने कि वह उन्होंने ही किया है। ऐसा कहा जाता है कि काफी दबाव के बाद छात्रों ने फॉर्म पर साइन कर दिया।
इस मामले में छात्रों से पूछे जाने पर कि क्लास के व्हाट्सएप ग्रुप में उनके नंबर से अश्लील वीडियोज कैसे आए तो सम्बंधित छात्रों ने कहा कि उनके व्हाट्सएप हैक हो गए थे। छात्रों का कहना था कि उन्हें अच्छी तरह पता है कि अगर वह ऐसा जानबूझकर करते हैं तो उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई हो सकती है, फिर वह ऐसा कैसे कर सकते हैं।
कुछ दिनों तक हुई जांच में क्लास के करीब 10-12 छात्रों को इस घटना के सम्बन्ध में शक के घेरे में रखा गया। और बिना सहमति के सभी छात्रों के मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए, यह जानते हुए भी कि हर किसी के फोन में उनकी कई निजी और व्यक्तिगत जानकारियां, बातचीत और फोटोज होते हैं।
जिन 12 छात्रों के फोन जब्त किये गए उनमें एक छात्र सुमित चौहान भी थे। हालांकि, उनके फोन नंबर से यह घटना नहीं हुई थी लेकिन वह भी शक के दायरे में थे। जांच के दौरान कॉलेज प्रशासन ने पाया कि सुमित के फोन में दो व्हाट्सएप है।
अंजली का आरोप है कि, “सिर्फ दो व्हाट्सएप अकाउंट्स के आधार पर जांचकर्ताओं ने यह खुद से तय कर लिया कि सुमित के पास दो व्हाट्सएप अकाउंट्स हैं, यह कोई नई तकनीकी होगी। शायद इसी ने व्हाट्सएप अकाउंट्स को हैक किया होगा।”
इसके बाद सभी अध्यापकों ने सुमित को वही फॉर्म भरकर साइन करने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया ताकि सुमित स्वीकार कर ले कि यह सब उसी ने किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा करने से सुमित ने साफ मना कर दिया। उसने कहा कि जब उसने ऐसा नहीं किया है तो कैसे स्वीकार कर ले कि यह उसने ही किया है। इसके बाद उसे अध्यापकों और कॉलेज के छात्रों द्वारा सार्वजानिक रूप से अपमानित किया जाने लगा। जिससे वह मानसिक रूप से खुद को प्रताड़ित महसूस करने लगा।
इस घटना में संलिप्तता को स्वीकार न करने के बाद सुमित को कॉलेज के प्रिंसिपल के पास ले जाया गया। आरोप है कि वहां सुमित को प्रिंसिपल अरुण कुमार अत्री ने कहा कि, “तुम तो शक्ल से क्रिमिनल लगते हो। तुम्हारी कौन सी जाति है..? चमार हो..!!”
अंजली ने बताया कि प्रिंसिपल ने सुमित के साथ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया। सुमित दलित समुदाय से आते हैं। इतना ही नहीं आरोप है कि प्रिंसिपल ने उसे 4-5 थप्पड़ भी मारे और पीटने के लिए अध्यापकों से डंडा भी मांगा।
इस घटना से परेशान सुमित प्रिंसिपल के खिलाफ FIR दर्ज करवाने के लिए मालवीय नगर थाने पहुंचे। हालांकि, उससे शिकायती पत्र तो ले ली गई लेकिन उसकी FIR नहीं लिखी गई।
अंजली ने द मूकनायक को बताया कि, “एक बच्चा हाशिए के समाज से आता है इसलिए उसे इस तरह से धमकाया गया। मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया गया। हम लोग लगातार 4-5 दिनों से प्रोटेस्ट कर रहे हैं। हमारी मांग है कि एससी-एसटी एक्ट के तहत आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज हो। और प्रिंसिपल को गिरफ्तार किया जाए क्योंकि सुमित को अभी भी धमकी भरे कॉल आ रहे हैं।”
उधर इस मामले में आईएएनएस को दिए गए एक साक्षात्कार में प्रिंसिपल अरुण कुमार अत्री ने कहा कि, "यह सभी आरोप झूठे, निराधार और प्रायोजित हैं। हमारे यहां एक टीचर हैं प्रोफेसर राकेश कुमार उनके खिलाफ फर्ज़ी सर्टिफिकेट को लेकर जांच चल रही थी...।"
साभार : द मूकनायक
शक के आधार पर दिल्ली विश्वविद्यालय के शहीद भगत सिंह कॉलेज के छात्र को प्रिंसिपल द्वारा प्रताड़ित करने और जातिगत टिप्पणी करने का मामला सामने आया है। नाराज छात्र पिछले कई दिनों से इस मामले को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और प्रिंसिपल के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की मांग कर रहे हैं।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, घटना की जानकारी जब दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संगठन को हुए तो वह पीड़ित दलित छात्र के न्याय को लेकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिए। छात्र 18 नवम्बर को पहली बार शहीद भगत सिंह कॉलेज में धरना प्रदर्शन शुरू किये। तब से छात्र लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। शुक्रवार को भी उन्होंने मालवीय नगर थाने के सामने प्रदर्शन कर न्याय की मांग की।
आइसा, दिल्ली यूनिवर्सिटी की सेक्रेटरी अंजली ने आरोप लगाया कि प्रिंसिपल ने कॉलेज में छात्रों के बीच डर का माहौल कायम कर रखा है।
वह बताती हैं कि, पिछले महीने 24 अक्टूबर को शहीद भगत सिंह कॉलेज के क्लास के एक WhatsApp ग्रुप पर अश्लील वीडियोज कुछ छात्रों के फोन से भेजी गईं थी। पिछले सेमेस्टर में भी ऐसा कुछ हुआ था। दूसरी बार फिर ऐसी घटना पर कुछ छात्रों ने टीचर्स को पत्र लिख कर मांग की कि मामले की जांच किया जाए।
इस घटना के बाद शक के आधार पर कॉलेज प्रशासन ने पहले दो छात्रों से पूछताछ की और एक फॉर्म भरकर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया जिसके आधार पर यह माना जाता कि सम्बंधित छात्र ने यह गलती की है, जिसमें वह गलती स्वीकार कर रहा है और वादा कर रहा है कि भविष्य में ऐसी गलती नहीं होगी। हालांकि, बताया जाता है कि पहले छात्रों ने फॉर्म पर साइन करने से यह कहकर मना कर दिया कि जब उन्होंने WhatsApp ग्रुप में वह सब चीजें भेजी ही नहीं फिर क्यों माने कि वह उन्होंने ही किया है। ऐसा कहा जाता है कि काफी दबाव के बाद छात्रों ने फॉर्म पर साइन कर दिया।
इस मामले में छात्रों से पूछे जाने पर कि क्लास के व्हाट्सएप ग्रुप में उनके नंबर से अश्लील वीडियोज कैसे आए तो सम्बंधित छात्रों ने कहा कि उनके व्हाट्सएप हैक हो गए थे। छात्रों का कहना था कि उन्हें अच्छी तरह पता है कि अगर वह ऐसा जानबूझकर करते हैं तो उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई हो सकती है, फिर वह ऐसा कैसे कर सकते हैं।
कुछ दिनों तक हुई जांच में क्लास के करीब 10-12 छात्रों को इस घटना के सम्बन्ध में शक के घेरे में रखा गया। और बिना सहमति के सभी छात्रों के मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए, यह जानते हुए भी कि हर किसी के फोन में उनकी कई निजी और व्यक्तिगत जानकारियां, बातचीत और फोटोज होते हैं।
जिन 12 छात्रों के फोन जब्त किये गए उनमें एक छात्र सुमित चौहान भी थे। हालांकि, उनके फोन नंबर से यह घटना नहीं हुई थी लेकिन वह भी शक के दायरे में थे। जांच के दौरान कॉलेज प्रशासन ने पाया कि सुमित के फोन में दो व्हाट्सएप है।
अंजली का आरोप है कि, “सिर्फ दो व्हाट्सएप अकाउंट्स के आधार पर जांचकर्ताओं ने यह खुद से तय कर लिया कि सुमित के पास दो व्हाट्सएप अकाउंट्स हैं, यह कोई नई तकनीकी होगी। शायद इसी ने व्हाट्सएप अकाउंट्स को हैक किया होगा।”
इसके बाद सभी अध्यापकों ने सुमित को वही फॉर्म भरकर साइन करने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया ताकि सुमित स्वीकार कर ले कि यह सब उसी ने किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा करने से सुमित ने साफ मना कर दिया। उसने कहा कि जब उसने ऐसा नहीं किया है तो कैसे स्वीकार कर ले कि यह उसने ही किया है। इसके बाद उसे अध्यापकों और कॉलेज के छात्रों द्वारा सार्वजानिक रूप से अपमानित किया जाने लगा। जिससे वह मानसिक रूप से खुद को प्रताड़ित महसूस करने लगा।
इस घटना में संलिप्तता को स्वीकार न करने के बाद सुमित को कॉलेज के प्रिंसिपल के पास ले जाया गया। आरोप है कि वहां सुमित को प्रिंसिपल अरुण कुमार अत्री ने कहा कि, “तुम तो शक्ल से क्रिमिनल लगते हो। तुम्हारी कौन सी जाति है..? चमार हो..!!”
अंजली ने बताया कि प्रिंसिपल ने सुमित के साथ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया। सुमित दलित समुदाय से आते हैं। इतना ही नहीं आरोप है कि प्रिंसिपल ने उसे 4-5 थप्पड़ भी मारे और पीटने के लिए अध्यापकों से डंडा भी मांगा।
इस घटना से परेशान सुमित प्रिंसिपल के खिलाफ FIR दर्ज करवाने के लिए मालवीय नगर थाने पहुंचे। हालांकि, उससे शिकायती पत्र तो ले ली गई लेकिन उसकी FIR नहीं लिखी गई।
अंजली ने द मूकनायक को बताया कि, “एक बच्चा हाशिए के समाज से आता है इसलिए उसे इस तरह से धमकाया गया। मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया गया। हम लोग लगातार 4-5 दिनों से प्रोटेस्ट कर रहे हैं। हमारी मांग है कि एससी-एसटी एक्ट के तहत आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज हो। और प्रिंसिपल को गिरफ्तार किया जाए क्योंकि सुमित को अभी भी धमकी भरे कॉल आ रहे हैं।”
उधर इस मामले में आईएएनएस को दिए गए एक साक्षात्कार में प्रिंसिपल अरुण कुमार अत्री ने कहा कि, "यह सभी आरोप झूठे, निराधार और प्रायोजित हैं। हमारे यहां एक टीचर हैं प्रोफेसर राकेश कुमार उनके खिलाफ फर्ज़ी सर्टिफिकेट को लेकर जांच चल रही थी...।"