‘नफरत नहीं चलेगी’: पूर्वोत्तर के दुकानदार पर भीड़ के हमले के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों ने रैली निकाली

Written by sabrang india | Published on: May 31, 2025
“यह हिंसा का सिर्फ एक कृत्य नहीं था।” “यह व्यवस्थित नफरत के बढ़ते पैटर्न का हिस्सा है, खासकर पूर्वोत्तर, दक्षिण भारत और हाशिए पर पड़े समुदायों के छात्रों और श्रमिकों के खिलाफ। हमारे परिसर सुरक्षित, समावेशी स्थान होने चाहिए, डर के स्थान नहीं।”


साभार : द ऑब्जर्वर पोस्ट

छात्र समूह आइसा के नेतृत्व में दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के छात्रों ने यूनिवर्सिटी के पास विजयनगर की सड़कों पर मार्च निकाला और बढ़ती नफरत और नस्लवाद का विरोध किया। यह मार्च पूर्वोत्तर के एक व्यक्ति की दुकान पर हाल ही में हुए हिंसक हमले को लेकर निकाला गया था, जहां भीड़ ने दुकान में तोड़फोड़ की और नस्लीय गालियाँ दीं थी।

द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, हमलावरों ने स्थानीय लोगों और वंचित पृष्ठभूमि के छात्रों को डराने की भी कोशिश की थी।

आइसा डीयू सचिव अंजलि ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “यह हिंसा का सिर्फ़ एक कृत्य नहीं था।” “यह व्यवस्थित नफरत के बढ़ते पैटर्न का हिस्सा है, खासकर पूर्वोत्तर, दक्षिण भारत और हाशिए पर पड़े समुदायों के छात्रों और श्रमिकों के खिलाफ। हमारे परिसर सुरक्षित, समावेशी स्थान होने चाहिए, डर के स्थान नहीं।”

मार्च करने वालों ने एकता का आह्वान करते हुए बैनर उठाए और सांप्रदायिकता और नफरती अपराधों के खिलाफ नारे लगाए। छात्रों ने कहा कि वे नहीं बंटेंगे और सम्मान व अधिकारों के लिए खड़े होते रहेंगे।

अंजलि ने कहा, "हम यहां चेतावनी देने आए हैं कि नफरत को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सांप्रदायिकता को चुनौती दिए बिना नहीं छोड़ा जाएगा। हम, डीयू के छात्र, इसका डटकर मुकाबला करेंगे।"

आइसा ने तत्काल एफआईआर दर्ज करने, दोषियों को गिरफ्तार करने और हमले के पीछे के लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

आइसा ने कहा, "विभाजन की राजनीति के खिलाफ छात्र एकजुट होंगे।"

इसी साल मार्च महीने में वीसी के स्पीच की आलोचना को लेकर एक मुस्लिम छात्रा को अंबेडकर युनिवर्सिटी से सस्पेंड कर दिया गया था। अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली में 24 मार्च को छात्रों ने उस समय विरोध प्रदर्शन किया, जब एक अंतिम वर्ष की स्नातकोत्तर छात्रा मंतसा को विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान कुलपति द्वारा दिए गए स्पीच की आलोचना करने पर निलंबित कर दिया गया।

मकतूब की रिपोर्ट के अनुसार अखिल भारतीय छात्र संघ (AISA) ने आरोप लगाया था कि यह एक लक्षित हमला है, क्योंकि छात्रा एक मुस्लिम महिला है। उसको "उसकी पहचान के कारण निशाना बनाया गया।"

विश्वविद्यालय में स्नातक की छात्रा और AISA की सचिव सैय्यद ने कहा था कि “जिस बयान के लिए उसे निशाना बनाया गया है, वह कुलपति के भाषण के बाद AISA द्वारा जारी किया गया था। अन्य छात्र संगठनों ने भी बयान जारी किए थे और कई छात्र आगे आए थे और कहा था कि भाषण शर्मनाक था। फिर उसे ही क्यों निलंबित किया गया?”

कुलपति अनु सिंह लाठर ने अपने गणतंत्र दिवस के भाषण में कुछ ऐसे बयान दिए थे जैसे कि “बाबरी मस्जिद का विध्वंस 525 साल पुराना आंदोलन था, हाल ही का नहीं”, साथ ही उन्होंने दावा किया था कि “ईसाई धर्म की उत्पत्ति भारत में हुई” और दलित समुदाय पर “अंबेडकर के कद को छोटा करने” का आरोप लगाया।

इन टिप्पणियों के कारण छात्रों और छात्र संगठनों ने विरोध किया था।

28 जनवरी को जारी अपने बयान में आइसा ने इन टिप्पणियों को “सांप्रदायिक, जातिवादी और अनैतिहासिक” कहा और कहा कि “यह पहली बार नहीं है कि एयूडी के कुलपति ने आरएसएस के झूठे जातिवादी और सांप्रदायिक नैरेटिव को दोहराने के लिए विश्वविद्यालय के मंच का इस्तेमाल किया है।” इसे “शिक्षा पर गंभीर हमला” कहा।

हालांकि, 17 फरवरी को उन्हें एक कारण बताओ नोटिस मिला, जिसमें उन पर "कुलपति के खिलाफ अपमानजनक भाषा" वाला बयान साझा करने का आरोप लगाया गया था, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने छात्र अनुशासन संहिता का उल्लंघन किया है। नोटिस में उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए 24 फरवरी तक का समय दिया गया था।

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