परभणी में एक सर्वदलीय मार्च में नेताओं और अंबेडकरवादियों ने पुलिस हिरासत में दलित युवक सोमनाथ सूर्यवंशी की मौत और सरपंच संतोष देशमुख की नृशंस हत्या के मामले में महाराष्ट्र सरकार के रूख का विरोध किया। मराठवाड़ा में बढ़ते तनाव और हिंसा के बीच न्याय, जवाबदेही और जाति सुधार की मांग तेज हुई।
परभणी में एक विशाल मार्च 17 जनवरी, 2025 को हुआ जिसमें हजारों महिलाएं, युवा, कद्दावर नेता और अंबेडकर आंदोलन के अनुयायी इस प्रदर्शन में शामिल हुए। इस मार्च का आयोजन महाराष्ट्र सरकार द्वारा इलाके में दो बड़ी घटनाओं-पुलिस हिरासत में दलित युवक सोमनाथ सूर्यवंशी की मौत और बीड में सरपंच संतोष देशमुख की नृशंस हत्या के मामले में कार्रवाई के तरीके पर असंतोष जाहिर करने के लिए किया गया था। अंबेडकरवादी संगठन दोनों मामलों में न्याय की मांग करने, अधिकारियों से जवाबदेही की मांग करने और महत्वपूर्ण सुधारों का आग्रह करने में सबसे आगे रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों ने इन घटनाओं से प्रभावित परिवारों, खास तौर पर सोमनाथ सूर्यवंशी के परिवार के पुनर्वास की मांग की और कथित तौर पर इन मामलों को दबाने में शामिल उच्च पदस्थ अधिकारियों को बर्खास्त करने की मांग की। 17 जनवरी की शाम को परभणी में शुरू हुआ यह विरोध प्रदर्शन मराठवाड़ा में जाति-संबंधी मुद्दों पर कई हफ्तों से बढ़ते तनाव के बाद हुआ है। हाल में बढ़ती हिंसा और दोनों घटनाओं में कथित अन्याय के कारण विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं।
जालना जिले और परभणी से मुंबई तक लंबा मार्च
21 से 25 जनवरी, 2025 तक जालना जिले और परभणी से मुंबई तक लंबा मार्च निकाला जाएगा। इसका उद्देश्य सोमनाथ सूर्यवंशी और संतोष देशमुख की क्रूर हत्याओं को लेकर जागरूकता बढ़ाना है। यह मार्च वाटूर फाटा, वाटूर से शुरू होगा और बदनापुर में समाप्त होगा।
गौरतलब है कि परभणी के प्रदर्शनकारियों ने हाल की घटना और दलितों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों और संतोष और सोमनाथ की हत्या के विरोध में परभणी से मुंबई तक एक लंबा मार्च निकाला है।
संविधान की प्रतिकृति के साथ तोड़फोड़ के बाद हिरासत में दलित युवक की मौत के बाद हिंसा और तनाव
10 दिसंबर, 2024 को संविधान की प्रतिकृति के साथ तोड़फोड़ की घटना के बाद परभणी में तनाव बढ़ गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, इस घटना को कथित तौर पर 45 वर्षीय मराठा व्यक्ति सोपान पवार ने अंजाम दिया था। इसके कारण दलित समूहों और अंबेडकरवादी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया जिसमें वंचित बहुजन आघाड़ी (VBA) पार्टी ने लोगों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अगले दिन, "परभणी बंद" की घोषणा की गई जो शुरू में शांतिपूर्ण थी लेकिन बाद में अराजकता में बदल गई। प्रदर्शनकारियों और पुलिस में झड़प हुई। इस दौरान कई वाहनों को आग लगा दी गई और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। पुलिस के अनुसार, उन्होंने इसमें शामिल 50 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें 35 वर्षीय दलित युवक सोमनाथ सूर्यवंशी भी शामिल थे। फ्रंटलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, विरोध प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिए गए सूर्यवंशी की बाद में 15 दिसंबर को न्यायिक हिरासत में मौत हो गई जिसका कारण बुरी तरह घायल होने को बताया गया।
उनकी मौत ने लोगों में बेहद नाराजगी पैदा हो गई है। कई लोगों ने पुलिस पर क्रूरता का आरोप लगाया है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, सूर्यवंशी की मां विजया ने दावा किया कि उनके बेटे को पुलिस ने पीटा था, जिसके कारण उनकी मौत हो गई। उनके दावों की पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुई जिसमें शरीर में कई जगह चोट का जिक्र किया गया है। हालांकि, पुलिस ने दुर्व्यवहार के आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि सूर्यवंशी की मौत को नेचुरल बताया है।
दलित समूहों ने प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिस के व्यवहार की निंदा की है, खासकर जिस तरह से दलित युवाओं को निशाना बनाया गया। वीबीए के नेता प्रकाश अंबेडकर ने जातिगत भेदभाव का मुद्दा उठाते हुए पुलिस की भूमिका की जांच की मांग की। उनके हवाले से कहा गया कि, "समानता की असली लड़ाई अभी भी लड़ी जा रही है, और हमें हर पीड़ित समुदाय के लिए न्याय सुनिश्चित करना चाहिए।"
परभणी और बीड में पुलिस की बर्बरता और हत्या पर दलित समाज और राजनीतिक गलियारे में नाराजगी
सोमनाथ सूर्यवंशी की न्यायिक हिरासत में मौत और बीड में मराठा सरपंच संतोष देशमुख के अपहरण और उसके बाद हत्या के विरोध में कई राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन अपनी आवाज उठा रहे हैं। दलित समूहों के अनुसार, परभणी में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने बर्बर कार्रवाई की, जिसमें दलित युवाओं और महिलाओं के खिलाफ अत्यधिक बल प्रयोग के आरोप लगाए गए।
इन घटनाओं को लेकर मातंग एकता आंदोलन और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) ने पुणे में विरोध प्रदर्शन किया और घटनाओं की स्वतंत्र जांच की मांग की। सूत्रों के अनुसार, पुलिस पर हिंसक तलाशी अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है, जिसमें गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने के किसी ठोस सबूत के बिना लोगों को निशाना बनाया गया।
देशमुख की हत्या ने अशांति को और बढ़ा दिया, जिससे मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया। रिपोर्टों के अनुसार, कथित अपहरणकर्ता और हत्यारा विष्णु चाटे वंजारी ओबीसी समुदाय से है, और आरक्षण के मुद्दों पर बढ़ते तनाव ने जाति समूहों के बीच खाई को और गहरा कर दिया है।
परभणी और बीड में हुई दुखद घटनाओं में दोनों परिवारों को लोगों का भारी सहयोग है, जिसमें महाराष्ट्र भर के राजनीतिक नेता पीड़ितों के साथ खड़े हैं। प्रकाश अंबेडकर ने मीडिया को संबोधित करते हुए इन घटनाओं और भेदभाव के खिलाफ ऐतिहासिक संघर्षों, विशेष रूप से कोरेगांव भीमा की लड़ाई के बीच समानताएं बताईं जो समानता के लिए 200 से अधिक वर्षों से चल रही लड़ाई का प्रतीक है।
बीड और परभणी में समानता के लिए संघर्ष ऐतिहासिक जाति संघर्षों की याद दिलाता है
प्रकाश अंबेडकर ने कोरेगांव भीमा संघर्ष की 207वीं वर्षगांठ मनाते हुए परभणी और बीड में वर्तमान संघर्षों को भारत में समानता के लिए जारी लड़ाई से जोड़ा है। अंबेडकर के बयान के अनुसार, जातिगत भेदभाव के लंबे इतिहास के बावजूद परभणी और बीड की घटनाएं बताती हैं कि सामाजिक न्याय और समानता के लिए संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है।
अंबेडकर ने महाराष्ट्र सरकार को बीड हत्याकांड को लेकर संवेदनशील तरीके से निपटने के बारे में आगाह किया, जिसे मराठा बनाम वंजारी ओबीसी संदर्भ में पेश किया गया है। उन्होंने भविष्य के विभाजन से बचने और इसमें शामिल सभी समुदायों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया। इस बीच, भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद ने सूर्यवंशी के परिवार से मिलने के लिए परभणी का दौरा किया और दलितों और वंचित समुदायों की दुर्दशा को दूर करने में सरकार की विफलताओं को उजागर करने के लिए विरोध प्रदर्शन जारी रखने का संकल्प लिया।
इन घटनाओं ने महाराष्ट्र में जातिगत विभाजन को उजागर किया है, जो इन घटनाओं से निपटने के सरकार के तौर तरीके से और बढ़ गई हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जारी अशांति राज्य की जातिगत राजनीति और समाज के वंचित वर्गों पर इसके प्रभाव के बारे में गहन आत्मनिरीक्षण की मांग करती है।
बीड सरपंच की हत्या को लेकर परभणी में विशाल सर्वदलीय मार्च
रिपोर्ट के अनुसार, बीड जिले के मासजोग गांव के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या की गहन और निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए महाराष्ट्र के परभणी में एक विशाल सर्वदलीय मार्च का आयोजन किया गया। इस विरोध प्रदर्शन में राज्य के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री धनंजय मुंडे को भी निशाना बनाया गया, जिन पर हत्या के कथित मास्टरमाइंड वाल्मिक कराड को बचाने का आरोप है। कराड ने कुछ दिन पहले ही पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, जिससे राजनीतिक और जातिगत तनाव की आग में घी डालने का काम हुआ।
इस मार्च में हजारों लोग शामिल हुए, जिसमें निर्वाचित प्रतिनिधि, नेता और मराठा समुदाय के संगठन शामिल थे। यह देशमुख की हत्या के बाद दूसरा बड़ा विरोध प्रदर्शन है। 28 दिसंबर, 2024 को बीड में हुए पिछले विरोध प्रदर्शन को भी भारी समर्थन मिला था, जिसमें करीब 50,000 लोग शामिल हुए थे। परभणी मार्च में सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों दलों के प्रभावशाली लोगों ने भाग लिया था जो अपराध के राजनीतिक प्रभाव को उजागर करता है।
इस मार्च के आयोजकों ने निष्पक्ष जांच, अपराध के पीछे राजनीतिक रूप से शक्तिशाली लोगों को सजा और धनंजय मुंडे के तत्काल इस्तीफे की मांग की। रैली को संबोधित करते हुए भाजपा विधायक सुरेश धास ने कहा कि मुंडे इस इलाके में करोड़ों रुपये के फसल बीमा घोटाले में शामिल थे, जिसके बारे में उन्होंने दावा किया कि इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।
मराठा नेता संतोष देशमुख की हत्या की घटना जातिगत भेदभाव के कारण और भी भयावह हो गई है। मुख्य आरोपी कराड वंजारी समुदाय से आता है जो एक ओबीसी समूह है और इसने इलाके में मराठा और ओबीसी गुटों के बीच लड़ाई को जन्म दिया है। विरोध प्रदर्शन में मौजूद नेताओं के अनुसार, यह मामला महाराष्ट्र की सत्ता संरचना के भीतर एक बड़े राजनीतिक संकट का संकेत है।
बीड सरपंच की हत्या और परभणी के प्रदर्शनकारी की हिरासत में मौत की न्यायिक जांच के लिए पैनल का गठन
बढ़ते जन आक्रोश को लेकर महाराष्ट्र सरकार ने बीड और परभणी में की घटनाओं की जांच के लिए दो न्यायिक समितियों का गठन किया है। बीड जिले में सरपंच संतोष देशमुख की हत्या की जांच के लिए सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एम.एल. तहलियानी के नेतृत्व में एक एकल सदस्यीय पैनल का गठन किया गया है। देशमुख की हत्या के कारण हुई हिंसा ने भारी राजनीतिक और सामाजिक अशांति को जन्म दिया, जिसके कारण सरकार ने न्यायिक जांच शुरू की।
इसके अलावा, सरकार ने परभणी में दलित प्रदर्शनकारी सोमनाथ सूर्यवंशी की हिरासत में हुई मौत की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश वी.एल. अचलिया को नियुक्त किया है। इस दौरान पुलिस की भूमिका की जांच की जाएगी, विरोध प्रदर्शनों पर कार्रवाई की जांच की जाएगी और यह तय किया जाएगा कि व्यवस्था बहाल रखने में कोई चूक हुई थी या नहीं।
रिपोर्ट के अनुसार, दोनों जांच का उद्देश्य इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराना और स्थानीय अधिकारियों की तैयारियों का मूल्यांकन करना है।
परभणी में एक विशाल मार्च 17 जनवरी, 2025 को हुआ जिसमें हजारों महिलाएं, युवा, कद्दावर नेता और अंबेडकर आंदोलन के अनुयायी इस प्रदर्शन में शामिल हुए। इस मार्च का आयोजन महाराष्ट्र सरकार द्वारा इलाके में दो बड़ी घटनाओं-पुलिस हिरासत में दलित युवक सोमनाथ सूर्यवंशी की मौत और बीड में सरपंच संतोष देशमुख की नृशंस हत्या के मामले में कार्रवाई के तरीके पर असंतोष जाहिर करने के लिए किया गया था। अंबेडकरवादी संगठन दोनों मामलों में न्याय की मांग करने, अधिकारियों से जवाबदेही की मांग करने और महत्वपूर्ण सुधारों का आग्रह करने में सबसे आगे रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों ने इन घटनाओं से प्रभावित परिवारों, खास तौर पर सोमनाथ सूर्यवंशी के परिवार के पुनर्वास की मांग की और कथित तौर पर इन मामलों को दबाने में शामिल उच्च पदस्थ अधिकारियों को बर्खास्त करने की मांग की। 17 जनवरी की शाम को परभणी में शुरू हुआ यह विरोध प्रदर्शन मराठवाड़ा में जाति-संबंधी मुद्दों पर कई हफ्तों से बढ़ते तनाव के बाद हुआ है। हाल में बढ़ती हिंसा और दोनों घटनाओं में कथित अन्याय के कारण विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं।
जालना जिले और परभणी से मुंबई तक लंबा मार्च
21 से 25 जनवरी, 2025 तक जालना जिले और परभणी से मुंबई तक लंबा मार्च निकाला जाएगा। इसका उद्देश्य सोमनाथ सूर्यवंशी और संतोष देशमुख की क्रूर हत्याओं को लेकर जागरूकता बढ़ाना है। यह मार्च वाटूर फाटा, वाटूर से शुरू होगा और बदनापुर में समाप्त होगा।
गौरतलब है कि परभणी के प्रदर्शनकारियों ने हाल की घटना और दलितों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों और संतोष और सोमनाथ की हत्या के विरोध में परभणी से मुंबई तक एक लंबा मार्च निकाला है।
संविधान की प्रतिकृति के साथ तोड़फोड़ के बाद हिरासत में दलित युवक की मौत के बाद हिंसा और तनाव
10 दिसंबर, 2024 को संविधान की प्रतिकृति के साथ तोड़फोड़ की घटना के बाद परभणी में तनाव बढ़ गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, इस घटना को कथित तौर पर 45 वर्षीय मराठा व्यक्ति सोपान पवार ने अंजाम दिया था। इसके कारण दलित समूहों और अंबेडकरवादी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया जिसमें वंचित बहुजन आघाड़ी (VBA) पार्टी ने लोगों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अगले दिन, "परभणी बंद" की घोषणा की गई जो शुरू में शांतिपूर्ण थी लेकिन बाद में अराजकता में बदल गई। प्रदर्शनकारियों और पुलिस में झड़प हुई। इस दौरान कई वाहनों को आग लगा दी गई और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। पुलिस के अनुसार, उन्होंने इसमें शामिल 50 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें 35 वर्षीय दलित युवक सोमनाथ सूर्यवंशी भी शामिल थे। फ्रंटलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, विरोध प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिए गए सूर्यवंशी की बाद में 15 दिसंबर को न्यायिक हिरासत में मौत हो गई जिसका कारण बुरी तरह घायल होने को बताया गया।
उनकी मौत ने लोगों में बेहद नाराजगी पैदा हो गई है। कई लोगों ने पुलिस पर क्रूरता का आरोप लगाया है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, सूर्यवंशी की मां विजया ने दावा किया कि उनके बेटे को पुलिस ने पीटा था, जिसके कारण उनकी मौत हो गई। उनके दावों की पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुई जिसमें शरीर में कई जगह चोट का जिक्र किया गया है। हालांकि, पुलिस ने दुर्व्यवहार के आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि सूर्यवंशी की मौत को नेचुरल बताया है।
दलित समूहों ने प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिस के व्यवहार की निंदा की है, खासकर जिस तरह से दलित युवाओं को निशाना बनाया गया। वीबीए के नेता प्रकाश अंबेडकर ने जातिगत भेदभाव का मुद्दा उठाते हुए पुलिस की भूमिका की जांच की मांग की। उनके हवाले से कहा गया कि, "समानता की असली लड़ाई अभी भी लड़ी जा रही है, और हमें हर पीड़ित समुदाय के लिए न्याय सुनिश्चित करना चाहिए।"
परभणी और बीड में पुलिस की बर्बरता और हत्या पर दलित समाज और राजनीतिक गलियारे में नाराजगी
सोमनाथ सूर्यवंशी की न्यायिक हिरासत में मौत और बीड में मराठा सरपंच संतोष देशमुख के अपहरण और उसके बाद हत्या के विरोध में कई राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन अपनी आवाज उठा रहे हैं। दलित समूहों के अनुसार, परभणी में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने बर्बर कार्रवाई की, जिसमें दलित युवाओं और महिलाओं के खिलाफ अत्यधिक बल प्रयोग के आरोप लगाए गए।
इन घटनाओं को लेकर मातंग एकता आंदोलन और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) ने पुणे में विरोध प्रदर्शन किया और घटनाओं की स्वतंत्र जांच की मांग की। सूत्रों के अनुसार, पुलिस पर हिंसक तलाशी अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है, जिसमें गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने के किसी ठोस सबूत के बिना लोगों को निशाना बनाया गया।
देशमुख की हत्या ने अशांति को और बढ़ा दिया, जिससे मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया। रिपोर्टों के अनुसार, कथित अपहरणकर्ता और हत्यारा विष्णु चाटे वंजारी ओबीसी समुदाय से है, और आरक्षण के मुद्दों पर बढ़ते तनाव ने जाति समूहों के बीच खाई को और गहरा कर दिया है।
परभणी और बीड में हुई दुखद घटनाओं में दोनों परिवारों को लोगों का भारी सहयोग है, जिसमें महाराष्ट्र भर के राजनीतिक नेता पीड़ितों के साथ खड़े हैं। प्रकाश अंबेडकर ने मीडिया को संबोधित करते हुए इन घटनाओं और भेदभाव के खिलाफ ऐतिहासिक संघर्षों, विशेष रूप से कोरेगांव भीमा की लड़ाई के बीच समानताएं बताईं जो समानता के लिए 200 से अधिक वर्षों से चल रही लड़ाई का प्रतीक है।
बीड और परभणी में समानता के लिए संघर्ष ऐतिहासिक जाति संघर्षों की याद दिलाता है
प्रकाश अंबेडकर ने कोरेगांव भीमा संघर्ष की 207वीं वर्षगांठ मनाते हुए परभणी और बीड में वर्तमान संघर्षों को भारत में समानता के लिए जारी लड़ाई से जोड़ा है। अंबेडकर के बयान के अनुसार, जातिगत भेदभाव के लंबे इतिहास के बावजूद परभणी और बीड की घटनाएं बताती हैं कि सामाजिक न्याय और समानता के लिए संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है।
अंबेडकर ने महाराष्ट्र सरकार को बीड हत्याकांड को लेकर संवेदनशील तरीके से निपटने के बारे में आगाह किया, जिसे मराठा बनाम वंजारी ओबीसी संदर्भ में पेश किया गया है। उन्होंने भविष्य के विभाजन से बचने और इसमें शामिल सभी समुदायों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया। इस बीच, भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद ने सूर्यवंशी के परिवार से मिलने के लिए परभणी का दौरा किया और दलितों और वंचित समुदायों की दुर्दशा को दूर करने में सरकार की विफलताओं को उजागर करने के लिए विरोध प्रदर्शन जारी रखने का संकल्प लिया।
इन घटनाओं ने महाराष्ट्र में जातिगत विभाजन को उजागर किया है, जो इन घटनाओं से निपटने के सरकार के तौर तरीके से और बढ़ गई हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जारी अशांति राज्य की जातिगत राजनीति और समाज के वंचित वर्गों पर इसके प्रभाव के बारे में गहन आत्मनिरीक्षण की मांग करती है।
बीड सरपंच की हत्या को लेकर परभणी में विशाल सर्वदलीय मार्च
रिपोर्ट के अनुसार, बीड जिले के मासजोग गांव के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या की गहन और निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए महाराष्ट्र के परभणी में एक विशाल सर्वदलीय मार्च का आयोजन किया गया। इस विरोध प्रदर्शन में राज्य के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री धनंजय मुंडे को भी निशाना बनाया गया, जिन पर हत्या के कथित मास्टरमाइंड वाल्मिक कराड को बचाने का आरोप है। कराड ने कुछ दिन पहले ही पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, जिससे राजनीतिक और जातिगत तनाव की आग में घी डालने का काम हुआ।
इस मार्च में हजारों लोग शामिल हुए, जिसमें निर्वाचित प्रतिनिधि, नेता और मराठा समुदाय के संगठन शामिल थे। यह देशमुख की हत्या के बाद दूसरा बड़ा विरोध प्रदर्शन है। 28 दिसंबर, 2024 को बीड में हुए पिछले विरोध प्रदर्शन को भी भारी समर्थन मिला था, जिसमें करीब 50,000 लोग शामिल हुए थे। परभणी मार्च में सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों दलों के प्रभावशाली लोगों ने भाग लिया था जो अपराध के राजनीतिक प्रभाव को उजागर करता है।
इस मार्च के आयोजकों ने निष्पक्ष जांच, अपराध के पीछे राजनीतिक रूप से शक्तिशाली लोगों को सजा और धनंजय मुंडे के तत्काल इस्तीफे की मांग की। रैली को संबोधित करते हुए भाजपा विधायक सुरेश धास ने कहा कि मुंडे इस इलाके में करोड़ों रुपये के फसल बीमा घोटाले में शामिल थे, जिसके बारे में उन्होंने दावा किया कि इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।
मराठा नेता संतोष देशमुख की हत्या की घटना जातिगत भेदभाव के कारण और भी भयावह हो गई है। मुख्य आरोपी कराड वंजारी समुदाय से आता है जो एक ओबीसी समूह है और इसने इलाके में मराठा और ओबीसी गुटों के बीच लड़ाई को जन्म दिया है। विरोध प्रदर्शन में मौजूद नेताओं के अनुसार, यह मामला महाराष्ट्र की सत्ता संरचना के भीतर एक बड़े राजनीतिक संकट का संकेत है।
बीड सरपंच की हत्या और परभणी के प्रदर्शनकारी की हिरासत में मौत की न्यायिक जांच के लिए पैनल का गठन
बढ़ते जन आक्रोश को लेकर महाराष्ट्र सरकार ने बीड और परभणी में की घटनाओं की जांच के लिए दो न्यायिक समितियों का गठन किया है। बीड जिले में सरपंच संतोष देशमुख की हत्या की जांच के लिए सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एम.एल. तहलियानी के नेतृत्व में एक एकल सदस्यीय पैनल का गठन किया गया है। देशमुख की हत्या के कारण हुई हिंसा ने भारी राजनीतिक और सामाजिक अशांति को जन्म दिया, जिसके कारण सरकार ने न्यायिक जांच शुरू की।
इसके अलावा, सरकार ने परभणी में दलित प्रदर्शनकारी सोमनाथ सूर्यवंशी की हिरासत में हुई मौत की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश वी.एल. अचलिया को नियुक्त किया है। इस दौरान पुलिस की भूमिका की जांच की जाएगी, विरोध प्रदर्शनों पर कार्रवाई की जांच की जाएगी और यह तय किया जाएगा कि व्यवस्था बहाल रखने में कोई चूक हुई थी या नहीं।
रिपोर्ट के अनुसार, दोनों जांच का उद्देश्य इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराना और स्थानीय अधिकारियों की तैयारियों का मूल्यांकन करना है।