नई दिल्ली। रायलैब्स के सीईओ खालिद सैफुल्लाह ने एक ऐप लॉन्च किया है जिसमें आप पता लगा सकते हैं कि वोटर लिस्ट से आपका नाम तो नहीं कटा। खालिद सैफुल्लाह ने एक अध्ययन किया जिसमें पाया कि वोटर लिस्ट से भारी संख्या में दलित और मुस्लिम वयस्कों के नाम गायब हैं। इसे देखते हुए उन्होंने लोकतंत्र बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए मिसिंग वोटर ऐप बना डाला जिससे आप अपना नाम चंद मिनटों में ही देखकर ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं।
मिसिंग वोटर ऐप के संस्थापक सैफुल्ला ने यह पता लगाने के लिए कि कितने मुस्लिम और दलित मतदाता मौजूद थे या मतदान सूची से गायब थे, एक अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि देश के कुल मतदाताओं में करीब 15 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं जिनमें से 25 फीसदी चुनावी सूची में मौजूद नहीं हैं। यानि करीब तीन करोड़ मुसलमान मई 2019 के लोकसभा चुनाव में मतदान नहीं कर पाएंगे। उनके अध्ययन में यह भी पाया गया कि 20 करोड़ पात्र दलित मतदाताओं में से 4 करोड़ दलित लिस्ट से गायब थे।
सैफुल्ला ने इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित 3rd नेशनल लीडरशिप समिट 2019 में ये जानकारी दी। साथ ही उन्होंने कहा कि यह ऐप मतदाताओं के लिए भारी सहूलियत भरा होगा। इससे आप अपना नाम वोटर लिस्ट में देख सकते हैं। अगर वोटर लिस्ट में नाम नहीं है तो चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जाकर वोटर लिस्ट में अपना नाम आसान से स्टेप्स फॉलो कर जोड़ सकते हैं।
सैफुल्ला ने कहा कि उन्होंने पहली बार इस विसंगति पर 2014 में हुए पिछले संसदीय चुनावों में ध्यान दिया जब लाखों मुस्लिम मतदाताओं का नाम लिस्ट से गायब था जिसकी वजह से वे वोट डालने से वंचित रह गए। उन्होंने गुजरात राज्य का अध्ययन किया जहां लाखों मुसलमानों को वोट देने से वंचित कर दिया गया था। गुजरात के 16 विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा गायब था, जहां बीजेपी ने 3000 वोटों के कम अंतर से जीत हासिल की थी।
उन्होंने इस जानकारी पर काम किया और मिसिंग वोटर के ऐप को लॉन्च करने का फैसला किया। इस मुफ्त मोबाइल ऐप में निर्वाचन क्षेत्रों की सभी सड़क के नाम, प्रत्येक सड़क पर घरों की संख्या और प्रत्येक घर में मतदाताओं की संख्या का विवरण है। ऐप का उपयोग लापता मतदाताओं की पहचान करने, एक घरेलू सर्वेक्षण करने और एक नई मतदाता आईडी के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के लिए किया जा सकता है। मिसिंग वोटर्स ऐप को गूगल प्ले स्टोर से या 8099 683 683 पर मिस्ड कॉल देकर डाउनलोड कर सकते हैं।
उनका दावा है कि ECI की वेबसाइट पर नई वोटर आईडी बनाने की प्रक्रिया काफी सरल है। उन्होंने देखा कि कई राजनेता मतदाताओं को सूचियों से हटाने के लिए फॉर्म 7 का दुरुपयोग कर रहे थे। उन्होंने 800 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों का डेटा खंगाला और 1.6 करोड़ मिसिंग वोटर्स की पहचान की जिनमें काफी संख्या में मुस्लिम हैं। अब उनके पास ऐप पर 9000 से अधिक स्वयंसेवक पंजीकृत हैं और ऐप के माध्यम से सिर्फ तीन सप्ताह में 25,000 नए वोटर आईडी बनाए गए हैं।
सैफुल्ला ने ऐप के कारण सफलता भी देखी है। कर्नाटक में राज्य चुनावों में आंकड़ों से पता चला कि 18 लाख मुस्लिम नाम गायब थे। तब उन्होंने 12,000 स्वयंसेवकों को मतदाताओं का नामांकन करने के लिए पंजीकृत किया। उस समय 12 सप्ताह में 12 लाख नए मतदाताओं के वोटर आईडी बनाए गए।
सैफुल्ला ने सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस (CJP के) हेटहैटो ऐप को भी नफरत से लड़ने के लिए डिज़ाइन किया था जिसे किसी के भी एंड्रॉइड स्मार्टफोन के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है।
देश भर में मुस्लिम वोटर गायब
हिंदू फ्रंटलाइन ने बताया, “यदि आप उत्तर प्रदेश से हैं और मुस्लिम हैं तो संभव है कि आपके परिवार के चार में से सिर्फ तीन लोगों को ही संविधान के अनुच्छेद 326 द्वारा दिए गए मताधिकार का अधिकार प्राप्त हो। हर चौथे व्यक्ति का नाम या तो गायब होगा या मतदाता सूची से बाहर कर दिया जाएगा।”
तमिलनाडु में भी हर चौथे मुस्लिम व्यक्ति का नाम मतदाता सूची से गायब पाया गया। पड़ोसी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में स्थिति कोई बेहतर नहीं है। न ही गुजरात और कर्नाटक में, जहां से पहली बार मतदाता सूची से मुस्लिम नामों के गायब होने के बारे में सुना गया था। संयोग से, भेदभाव, राजनीतिक बहिष्कार, उन्मूलन आदि के बारे में आशंकाओं को जन्म देते हुए, मुस्लिम मतदाताओं की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में गिरावट आई है। कर्नाटक में, 6.6 मिलियन लोगों के नाम कथित तौर पर चुनावी सूची से गायब थे। बाद में लगभग 1.2 मिलियन को फिर से सूचीबद्ध किया गया।
मिसिंग वोटर ऐप के संस्थापक सैफुल्ला ने यह पता लगाने के लिए कि कितने मुस्लिम और दलित मतदाता मौजूद थे या मतदान सूची से गायब थे, एक अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि देश के कुल मतदाताओं में करीब 15 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं जिनमें से 25 फीसदी चुनावी सूची में मौजूद नहीं हैं। यानि करीब तीन करोड़ मुसलमान मई 2019 के लोकसभा चुनाव में मतदान नहीं कर पाएंगे। उनके अध्ययन में यह भी पाया गया कि 20 करोड़ पात्र दलित मतदाताओं में से 4 करोड़ दलित लिस्ट से गायब थे।
सैफुल्ला ने इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित 3rd नेशनल लीडरशिप समिट 2019 में ये जानकारी दी। साथ ही उन्होंने कहा कि यह ऐप मतदाताओं के लिए भारी सहूलियत भरा होगा। इससे आप अपना नाम वोटर लिस्ट में देख सकते हैं। अगर वोटर लिस्ट में नाम नहीं है तो चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जाकर वोटर लिस्ट में अपना नाम आसान से स्टेप्स फॉलो कर जोड़ सकते हैं।
सैफुल्ला ने कहा कि उन्होंने पहली बार इस विसंगति पर 2014 में हुए पिछले संसदीय चुनावों में ध्यान दिया जब लाखों मुस्लिम मतदाताओं का नाम लिस्ट से गायब था जिसकी वजह से वे वोट डालने से वंचित रह गए। उन्होंने गुजरात राज्य का अध्ययन किया जहां लाखों मुसलमानों को वोट देने से वंचित कर दिया गया था। गुजरात के 16 विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा गायब था, जहां बीजेपी ने 3000 वोटों के कम अंतर से जीत हासिल की थी।
उन्होंने इस जानकारी पर काम किया और मिसिंग वोटर के ऐप को लॉन्च करने का फैसला किया। इस मुफ्त मोबाइल ऐप में निर्वाचन क्षेत्रों की सभी सड़क के नाम, प्रत्येक सड़क पर घरों की संख्या और प्रत्येक घर में मतदाताओं की संख्या का विवरण है। ऐप का उपयोग लापता मतदाताओं की पहचान करने, एक घरेलू सर्वेक्षण करने और एक नई मतदाता आईडी के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के लिए किया जा सकता है। मिसिंग वोटर्स ऐप को गूगल प्ले स्टोर से या 8099 683 683 पर मिस्ड कॉल देकर डाउनलोड कर सकते हैं।
उनका दावा है कि ECI की वेबसाइट पर नई वोटर आईडी बनाने की प्रक्रिया काफी सरल है। उन्होंने देखा कि कई राजनेता मतदाताओं को सूचियों से हटाने के लिए फॉर्म 7 का दुरुपयोग कर रहे थे। उन्होंने 800 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों का डेटा खंगाला और 1.6 करोड़ मिसिंग वोटर्स की पहचान की जिनमें काफी संख्या में मुस्लिम हैं। अब उनके पास ऐप पर 9000 से अधिक स्वयंसेवक पंजीकृत हैं और ऐप के माध्यम से सिर्फ तीन सप्ताह में 25,000 नए वोटर आईडी बनाए गए हैं।
सैफुल्ला ने ऐप के कारण सफलता भी देखी है। कर्नाटक में राज्य चुनावों में आंकड़ों से पता चला कि 18 लाख मुस्लिम नाम गायब थे। तब उन्होंने 12,000 स्वयंसेवकों को मतदाताओं का नामांकन करने के लिए पंजीकृत किया। उस समय 12 सप्ताह में 12 लाख नए मतदाताओं के वोटर आईडी बनाए गए।
सैफुल्ला ने सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस (CJP के) हेटहैटो ऐप को भी नफरत से लड़ने के लिए डिज़ाइन किया था जिसे किसी के भी एंड्रॉइड स्मार्टफोन के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है।
देश भर में मुस्लिम वोटर गायब
हिंदू फ्रंटलाइन ने बताया, “यदि आप उत्तर प्रदेश से हैं और मुस्लिम हैं तो संभव है कि आपके परिवार के चार में से सिर्फ तीन लोगों को ही संविधान के अनुच्छेद 326 द्वारा दिए गए मताधिकार का अधिकार प्राप्त हो। हर चौथे व्यक्ति का नाम या तो गायब होगा या मतदाता सूची से बाहर कर दिया जाएगा।”
तमिलनाडु में भी हर चौथे मुस्लिम व्यक्ति का नाम मतदाता सूची से गायब पाया गया। पड़ोसी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में स्थिति कोई बेहतर नहीं है। न ही गुजरात और कर्नाटक में, जहां से पहली बार मतदाता सूची से मुस्लिम नामों के गायब होने के बारे में सुना गया था। संयोग से, भेदभाव, राजनीतिक बहिष्कार, उन्मूलन आदि के बारे में आशंकाओं को जन्म देते हुए, मुस्लिम मतदाताओं की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में गिरावट आई है। कर्नाटक में, 6.6 मिलियन लोगों के नाम कथित तौर पर चुनावी सूची से गायब थे। बाद में लगभग 1.2 मिलियन को फिर से सूचीबद्ध किया गया।