गुजरात में इन दिनों जो हो रहा है वह भारत की आजादी की दूसरी लड़ाई है. बुद्ध, कबीर, रैदास, बिरसा, फुले, साहू, पेरियार, आंबेडकर के सपनों का भारत बनाने की लड़ाई. अगर गुजरात में या आसपास हैं तो जाइएगा जरूर. वरना आने वाली नस्ल पूछेगी कि जब लोकतांत्रिक भारत बनाने की लड़ाई चल रही थी तो आप कहां थे.
गुजरात सरकार ने 28 जुलाई को एक नोटिस जारी कर राज्य के तमाम कलेक्टर और विकास पदाधिकारियों से कहा है कि मरे हुए पशुओं को ठिकाने लगाने का काम वे खुद संभालें. इसके लिए पशु पालन विभाग और स्वास्थ्य विभाग को लगाएं, क्योंकि राज्य में बीमारियां फैलने का गंभीर खतरा हो गया है और सड़कों पर जाम भी लग रहा है.
टाइम्स ऑफ इंडिया में आज खबर है कि मरे जानवरों को हटाने के लिए जेसीबी मशीनों यानी अर्थमूवर गाड़ियों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
इतने सारे गोपुत्रों के होते हुए गोमाताओं का निपटान इतने अपमानजनक तरीके से क्यों हो रहा है. गोरक्षक दल किस दिन काम आएंगे. RSS के स्वयंसेवकों को क्या लकवा मार गया है? गाय क्या सिर्फ वोट दिलाने के काम आयेगी?
मैं इस बात का सख्त विरोध करता हूं
Radhika Vemula, Dontha Prashant, Rajah Vemula to Participate in Dalit Mahasammelan, Gujarat
रोहित वेमुला की मां राधिका वेमुला और आंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्षDontha Prashanth कल पहली बार गुजरात की धरती पर होंगे. वे गाय आतंकवाद के खिलाफ अहमदाबाद में रविवार को आयोजित दलित महासम्मेलन में हिस्सा लेंगे. गुजरात वालों, देखना कि उनके स्वागत में कोई कमी न रह जाए.RSS और बीजेपी को अब एहसास हो रहा होगा कि रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या उसे कितनी महंगी पड़ रही है.
रोहित वेमुला अमर हो गया है.
रोहित वेमुला पूरे देश को जोड़ गया है.
The Times of India, July 30, 2016 और अब OBC भी गोरक्षकों के निशाने पर.
टाइम्स ऑफ इंडिया, अहमदाबाद का आज का पेज 2 देखिए. गोरक्षकों ने किन्हें निशाना बनाया है? योगेश पाटनी और राजेश पाटनी. दोनों ओबीसी हैं. उन्हें बुरी तरह मारा पीटा गया है. दोनों अस्पताल में भर्ती हैं. इन्हें इसलिए पीटा गया क्योंकि वे बकरा और बछड़ा ले जा रहे थे. दरअसल गोपालन का पूरा काम ओबीसी के हिस्से है. वही खरीदकर लाता है. वही इलाज के लिए ले जाता है. बूढ़ी गाय को बेचने भी वही जाता है. ऐसे में गाय ले जाने, लाने वालों को अगर गोरक्षा के नाम पर पीटा जाएगा, तो इसके नतीजे आप समझ सकते हैं.
ओबीसी की अर्थव्यवस्था पर यह बड़ी चोट होगी. पशुपालक जातियां बर्बाद हो जाएंगी. यह ब्राह्मणवादी षड्यंत्र है.