“एक बार फिर, बीजेपी-शासित राज्य में बंगाली बोलने वाले प्रवासी मज़दूरों को निशाना बनाया गया है। बीजेपी के गुंडों ने उन पर हमला किया और उन्हें बांग्लादेशी घुसपैठिया बताया। बीजेपी निर्दोष बंगाली बोलने वाले लोगों की कितनी जान लेना चाहती है? यह इस बात का एक और उदाहरण है कि बीजेपी बंगालियों के साथ कैसा व्यवहार करती है।”

साभार : टाइम्स ऑफ इंडिया
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के सूती के रहने वाले 20 वर्षीय युवक की मंगलवार रात भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी। हमलावरों ने उस पर बांग्लादेशी होने का आरोप लगाया था। वह अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था और पांच दिन पहले ही ओडिशा के संबलपुर में राजमिस्त्री का काम करने गया था। यह बंगाल के बाहर उसकी पहली नौकरी थी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, उसके साथ काम करने वाले बंगाल के दो अन्य प्रवासी मजदूर भी इस हमले में घायल हुए हैं और उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। ओडिशा पुलिस ने इस मामले में अब तक छह लोगों को गिरफ्तार किया है।
सूती थाने में दी गई लिखित शिकायत में जुएल राणा की मां नजमा बीबी ने बताया कि उनका बेटा 20 दिसंबर को संबलपुर के लिए निकला था। उन्होंने कहा, “24 दिसंबर को रात करीब 8:30 बजे मुझे फोन आया कि सात-आठ स्थानीय लोगों ने ओडिशा में उनके रहने की जगह के पास मेरे बेटे और उसके साथियों पर हमला किया। उन्होंने उन्हें बंगाली बोलने वाला बांग्लादेशी बताकर पीटा और जान से मारने की धमकी दी।”
उन्होंने आगे बताया, “मेरे बेटे और उसके साथियों पर लाठियों, लोहे की रॉड और धारदार हथियारों से बेरहमी से हमला किया गया। मेरे बेटे की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उसके साथियों का फिलहाल इलाज चल रहा है।”
जुएल के पिता जियाउल हक भी राजमिस्त्री हैं और वर्तमान में केरल में काम कर रहे हैं।
ओडिशा पुलिस के अनुसार, यह घटना दानीपाली इलाके में एक निर्माणाधीन इमारत के पास हुई। आरोप है कि कुछ स्थानीय युवक मजदूरों के पास बीड़ी मांगने पहुंचे थे।
बताया गया कि युवकों ने मजदूरों से उनके आधार कार्ड दिखाने को कहा, जिसके बाद कहासुनी शुरू हुई और विवाद बढ़ गया। देखते ही देखते यह टकराव हिंसक हो गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, संबलपुर के पुलिस अधीक्षक मुकेश भामू ने कहा, “एक व्यक्ति की मौत हो गई है और दो अन्य घायल हैं। पुलिस ने कई जगहों पर छापेमारी की और छह लोगों को गिरफ्तार किया है। जो भी इस घटना में शामिल पाया जाएगा, उसे गिरफ्तार किया जाएगा।”
इस हमले के चश्मदीद और मुर्शिदाबाद निवासी नौशाद अली ने बताया, “मजदूर अलाव के पास बैठे थे, तभी स्थानीय युवकों का एक समूह बीड़ी मांगने आया। बीड़ी लेने के बाद उन्होंने मजदूरों पर बांग्लादेशी होने का आरोप लगाया और हमला शुरू कर दिया।”
स्थानीय सूती ब्लॉक प्रशासन के अधिकारी, पुलिस और तृणमूल कांग्रेस की विधायक इमानी बिस्वास गुरुवार को जुएल की मां से उनके चकबहादुरपुर स्थित घर पर मिले। बिस्वास ने आरोप लगाया कि हमलावरों ने मजदूरों से ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने को भी कहा था।
विधायक ने कहा, “हम जल्द से जल्द शव को घर लाने की कोशिश कर रहे हैं।”
इस घटना के बाद संबलपुर में बंगाली बोलने वाले प्रवासी मजदूरों के बीच भय का माहौल है। राजमिस्त्री का काम करने वाले मजहर खान ने कहा कि उन्हें अक्सर बांग्लादेशी समझकर निशाना बनाया जाता है। उन्होंने कहा, “लोग हम पर शक करते हैं, हमें बांग्लादेशी कहते हैं और हम पर हमला करते हैं। हम राज्य सरकार से तुरंत सुरक्षा की मांग करते हैं।”
बंगाल प्रवासी कल्याण बोर्ड के चेयरमैन समीरुल इस्लाम ने कहा, “एक बार फिर, बीजेपी-शासित राज्य में बंगाली बोलने वाले प्रवासी मजदूरों को निशाना बनाया गया है। बीजेपी के गुंडों ने उन पर हमला किया और उन्हें बांग्लादेशी घुसपैठिया बताया। बीजेपी निर्दोष बंगाली बोलने वाले लोगों की कितनी जान लेना चाहती है? यह इस बात का एक और उदाहरण है कि बीजेपी बंगालियों के साथ कैसा व्यवहार करती है।”
वहीं, पत्रकारों से बात करते हुए राज्य मंत्री शशि पांजा ने कहा, “बीजेपी-शासित राज्यों में बंगाली बोलने वाले प्रवासी मजदूरों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है, उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है और उनकी हत्या की जा रही है। बीजेपी नेता चुप क्यों हैं? ऐसे जघन्य अपराध लगातार क्यों हो रहे हैं?”
हालांकि, ओडिशा के पुलिस महानिरीक्षक हिमांशु लाल ने दावा किया कि हिंसा की शुरुआत पैसों के विवाद से हुई थी, जो बाद में बढ़ गई। उन्होंने कहा, “सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और मामले की वैज्ञानिक जांच जारी है।”
उन्होंने यह भी कहा कि इस घटना का कोई सांप्रदायिक या भाषाई पहलू नहीं है।
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साभार : टाइम्स ऑफ इंडिया
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के सूती के रहने वाले 20 वर्षीय युवक की मंगलवार रात भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी। हमलावरों ने उस पर बांग्लादेशी होने का आरोप लगाया था। वह अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था और पांच दिन पहले ही ओडिशा के संबलपुर में राजमिस्त्री का काम करने गया था। यह बंगाल के बाहर उसकी पहली नौकरी थी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, उसके साथ काम करने वाले बंगाल के दो अन्य प्रवासी मजदूर भी इस हमले में घायल हुए हैं और उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। ओडिशा पुलिस ने इस मामले में अब तक छह लोगों को गिरफ्तार किया है।
सूती थाने में दी गई लिखित शिकायत में जुएल राणा की मां नजमा बीबी ने बताया कि उनका बेटा 20 दिसंबर को संबलपुर के लिए निकला था। उन्होंने कहा, “24 दिसंबर को रात करीब 8:30 बजे मुझे फोन आया कि सात-आठ स्थानीय लोगों ने ओडिशा में उनके रहने की जगह के पास मेरे बेटे और उसके साथियों पर हमला किया। उन्होंने उन्हें बंगाली बोलने वाला बांग्लादेशी बताकर पीटा और जान से मारने की धमकी दी।”
उन्होंने आगे बताया, “मेरे बेटे और उसके साथियों पर लाठियों, लोहे की रॉड और धारदार हथियारों से बेरहमी से हमला किया गया। मेरे बेटे की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उसके साथियों का फिलहाल इलाज चल रहा है।”
जुएल के पिता जियाउल हक भी राजमिस्त्री हैं और वर्तमान में केरल में काम कर रहे हैं।
ओडिशा पुलिस के अनुसार, यह घटना दानीपाली इलाके में एक निर्माणाधीन इमारत के पास हुई। आरोप है कि कुछ स्थानीय युवक मजदूरों के पास बीड़ी मांगने पहुंचे थे।
बताया गया कि युवकों ने मजदूरों से उनके आधार कार्ड दिखाने को कहा, जिसके बाद कहासुनी शुरू हुई और विवाद बढ़ गया। देखते ही देखते यह टकराव हिंसक हो गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, संबलपुर के पुलिस अधीक्षक मुकेश भामू ने कहा, “एक व्यक्ति की मौत हो गई है और दो अन्य घायल हैं। पुलिस ने कई जगहों पर छापेमारी की और छह लोगों को गिरफ्तार किया है। जो भी इस घटना में शामिल पाया जाएगा, उसे गिरफ्तार किया जाएगा।”
इस हमले के चश्मदीद और मुर्शिदाबाद निवासी नौशाद अली ने बताया, “मजदूर अलाव के पास बैठे थे, तभी स्थानीय युवकों का एक समूह बीड़ी मांगने आया। बीड़ी लेने के बाद उन्होंने मजदूरों पर बांग्लादेशी होने का आरोप लगाया और हमला शुरू कर दिया।”
स्थानीय सूती ब्लॉक प्रशासन के अधिकारी, पुलिस और तृणमूल कांग्रेस की विधायक इमानी बिस्वास गुरुवार को जुएल की मां से उनके चकबहादुरपुर स्थित घर पर मिले। बिस्वास ने आरोप लगाया कि हमलावरों ने मजदूरों से ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने को भी कहा था।
विधायक ने कहा, “हम जल्द से जल्द शव को घर लाने की कोशिश कर रहे हैं।”
इस घटना के बाद संबलपुर में बंगाली बोलने वाले प्रवासी मजदूरों के बीच भय का माहौल है। राजमिस्त्री का काम करने वाले मजहर खान ने कहा कि उन्हें अक्सर बांग्लादेशी समझकर निशाना बनाया जाता है। उन्होंने कहा, “लोग हम पर शक करते हैं, हमें बांग्लादेशी कहते हैं और हम पर हमला करते हैं। हम राज्य सरकार से तुरंत सुरक्षा की मांग करते हैं।”
बंगाल प्रवासी कल्याण बोर्ड के चेयरमैन समीरुल इस्लाम ने कहा, “एक बार फिर, बीजेपी-शासित राज्य में बंगाली बोलने वाले प्रवासी मजदूरों को निशाना बनाया गया है। बीजेपी के गुंडों ने उन पर हमला किया और उन्हें बांग्लादेशी घुसपैठिया बताया। बीजेपी निर्दोष बंगाली बोलने वाले लोगों की कितनी जान लेना चाहती है? यह इस बात का एक और उदाहरण है कि बीजेपी बंगालियों के साथ कैसा व्यवहार करती है।”
वहीं, पत्रकारों से बात करते हुए राज्य मंत्री शशि पांजा ने कहा, “बीजेपी-शासित राज्यों में बंगाली बोलने वाले प्रवासी मजदूरों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है, उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है और उनकी हत्या की जा रही है। बीजेपी नेता चुप क्यों हैं? ऐसे जघन्य अपराध लगातार क्यों हो रहे हैं?”
हालांकि, ओडिशा के पुलिस महानिरीक्षक हिमांशु लाल ने दावा किया कि हिंसा की शुरुआत पैसों के विवाद से हुई थी, जो बाद में बढ़ गई। उन्होंने कहा, “सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और मामले की वैज्ञानिक जांच जारी है।”
उन्होंने यह भी कहा कि इस घटना का कोई सांप्रदायिक या भाषाई पहलू नहीं है।
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