ओडिशा: बंगालियों पर भीड़ के हमलों की विपक्ष ने निंदा की, मुस्लिम युवक को ‘जय श्री राम’ बोलने पर मजबूर किया

Written by sabrang india | Published on: December 2, 2025
ओडिशा में विपक्षी पार्टियों ने बांग्ला भाषी लोगों पर हुए भीड़-हमलों की निंदा करते हुए सत्तारूढ़ भाजपा पर इन घटनाओं में मिलीभगत का आरोप लगाया है। वहीं, भाजपा का कहना है कि बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान कर उन्हें ओडिशा से बाहर किया जाना चाहिए।


साभार : दैनिक जागरण

ओडिशा में विपक्ष ने राज्य में बांग्ला बोलने वाले लोगों पर हुए भीड़-हमलों की निंदा की है। इन्हें कथित तौर पर बांग्लादेशी समझकर निशाना बनाया गया था। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि इन घटनाओं में सत्तारूढ़ भाजपा की मिलीभगत रही है।

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, बीजू जनता दल (बीजद) और कांग्रेस का कहना है कि किसी भी व्यक्ति को कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है। वहीं दूसरी ओर, भाजपा का कहना है कि बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान कर उन्हें ओडिशा से बाहर किया जाना चाहिए।

मुर्शिदाबाद के 24 वर्षीय राहुल इस्लाम गर्म कपड़े बेचते हैं। उनका आरोप है कि 24 नवंबर को ओडिशा के गंजम जिले में भीड़ ने उन्हें बांग्लादेशी कहकर पीटा, क्योंकि उन्होंने ‘जय श्री राम’ बोलने से इनकार कर दिया था। भीड़ ने जब उन्हें जला देने की धमकी दी, तब मजबूर होकर राहुल ने आखिरकार उनकी बात मान ली।

उनका कहना है कि गर्म कपड़े बेचने वाले बंगाल से आए उनके दो साथियों को भी 25 और 26 नवंबर को ओडिशा में भीड़ ने पीटा था।

बीजू जनता दल के प्रवक्ता लेनिन मोहंती ने कहा, “ओडिशा में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों को तय प्रोटोकॉल के अनुसार उनके देश वापस भेजा जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “हालांकि, यह ओडिशा और बंगाल (सरकारों) दोनों का दायित्व है कि वे एक साथ बैठकर गैर-कानूनी बांग्लादेशियों के मुद्दे को सुलझाएं। कानून को अपना काम करने दें, लेकिन जो लोग भारतीय हैं और जिनके पास सही पहचान दस्तावेज हैं, उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा हमारे संविधान में बताए गए आदर्शों का अपमान है।”

द वायर ने लिखा कि ओडिशा में बंगाल से आए मुस्लिम व्यापारियों और प्रवासी श्रमिकों को कई बार पुलिस हिरासत में लिया गया— इस साल उन पर भीड़ के हमले भी हुए हैं, हालांकि बाद में उन्होंने अपनी वास्तविक पहचान के कागज़ात दिखाए।

मोहंती ने दोनों राज्यों से ‘आपसी संयम’ बरतने की अपील की ताकि हिंसा न भड़के। उन्होंने जोड़ा, “मुख्यमंत्रियों के अलावा दोनों राज्यों के पुलिस महानिदेशकों को एक प्रोटोकॉल तय करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इसे लागू किया जाए।”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि “ऐसी घटनाएं हमारे राज्य में पहले नहीं होती थीं,” और उन्होंने परोक्ष रूप से पिछले साल ओडिशा में सत्ता में आई भाजपा की ओर इशारा किया।

वहीं, वरिष्ठ माकपा नेता जनार्दन पति ने भाजपा–आरएसएस के नाम पर काम करने वाले असामाजिक तत्वों द्वारा कपड़ा विक्रेता पर किए गए हमले की निंदा की। उन्होंने कहा, “ओडिशा में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से ऐसे तत्व पुलिस और राज्य सरकार के संरक्षण में अधिक सक्रिय हो गए हैं।”

उन्होंने कहा, “पुलिस कार्रवाई करने के बजाय उन अपराधियों का समर्थन या बचाव कर रही है… जो अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए संघर्ष कर रहे गरीब और बेगुनाह अल्पसंख्यकों पर हमला कर रहे हैं।”

उधर, राज्य कांग्रेस प्रवक्ता अमिय पांडव ने ‘निर्दोष विक्रेताओं’ पर हुए ‘गुंडागर्दी के शर्मनाक कृत्य’ की आलोचना की। उन्होंने कहा, “ये स्वयंभू राष्ट्रभक्त बांग्लादेशी और बांग्लाभाषी के बीच का बुनियादी अंतर तक नहीं समझते।”

उन्होंने आगे कहा, “ऐसी घटनाओं से पड़ोसी राज्यों के साथ हमारे संबंध बिगड़ेंगे और राज्य से बाहर रह रहे हमारे अपने लोगों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।”

राज्य भाजपा उपाध्यक्ष गोलक महापात्रा ने कहा, “किसी को भी कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए… लेकिन जो लोग कानून का पालन करने की बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं, वे खुद ऐसा करने में नाकाम रहे हैं। अगर उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दे पर सख्त रुख अपनाया होता, तो ऐसी घटनाएं सामने ही नहीं आतीं।”

उन्होंने कहा, “बंगाल से काम करने के लिए आने वाले श्रमिकों से किसी को कोई परेशानी नहीं है — वे दुर्गा पूजा के दौरान भी आते हैं। समस्या उन बांग्लादेशियों से है जो खुद को (भारतीय) बंगाली बताकर यहां आते हैं। उनके पास नकली पहचान पत्र होते हैं, और इसे उजागर किया जाना ज़रूरी है। कभी-कभी ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हो जाती हैं।”

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