महाराष्ट्र : 'जय भीम' के नारों के बीच VBA ने जन आक्रोश मोर्चा निकाला

Written by sabrang india | Published on: October 27, 2025
भारी संख्या में जुटे प्रदर्शनकारियों ने फुले-शाहू-अंबेडकरवादी विचारधारा को और अधिक सशक्त बनाने का संकल्प लिया और RSS पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठाई।


साभार : द मूकनायक

महाराष्ट्र के औरंगाबाद में शुक्रवार को एक ऐतिहासिक घटना घटी-स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार वंचित बहुजन आघाड़ी (VBA) के नेतृत्व में अंबेडकरवादी संगठनों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय के ठीक बाहर जन आक्रोश मोर्चा निकाला। हजारों प्रदर्शनकारियों के ‘जय भीम’ और ‘मनुवाद मुर्दाबाद’ के नारों से वातावरण गूंज उठा। इस दौरान RSS के सदस्य अपने कार्यालय बंद कर वहां से निकल गए।

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, इस शांतिपूर्ण लेकिन दृढ़ चुनौती के केंद्र में थे तीन प्रतीकात्मक उपहार, जो VBA ने RSS को सौंपने का इरादा रखा था- भारतीय संविधान की प्रति, राष्ट्रीय तिरंगा और महाराष्ट्र पब्लिक ट्रस्ट एक्ट। ये उपहार न सिर्फ RSS की वैचारिक कमजोरी को उजागर करते हैं, बल्कि संवैधानिक मूल्यों, राष्ट्रीय गौरव और कानूनी अनुपालन की याद दिलाने का माध्यम भी बने। हजारों की संख्या में उमड़े प्रदर्शनकारियों ने फुले-शाहू-अंबेडकरवादी विचारधारा को मजबूत करने का संकल्प लिया और RSS पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।

VBA के नेतृत्व में यह आंदोलन अंबेडकरवादी राजनीतिक दलों और संगठनों के साझा प्रयास का परिणाम था। डॉ. बी.आर. अंबेडकर के प्रपौत्र और VBA के प्रमुख सुजात अंबेडकर ने इसका नेतृत्व किया, जबकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट प्रकाश अंबेडकर ने इसे ‘राजनीतिक साहस’ का प्रतीक बताया। स्थानीय स्तर पर सम्यक विद्यार्थी कॉलेज जैसे छात्र संगठन भी सक्रिय रूप से इसमें शामिल हुए - वही संगठन जो कुछ दिन पहले RSS के ‘Join RSS’ अभियान के विरोध में खड़े हुए थे।

प्रदर्शन स्थल पर भाषण देते हुए सुजात अंबेडकर ने कहा, “हम यहां हिंसा फैलाने नहीं, बल्कि RSS को यह याद दिलाने आए हैं कि कोई भी संगठन संविधान से ऊपर नहीं है।” उन्होंने आगे बताया कि VBA, RSS को तीन प्रतीकात्मक उपहार देने आया है-

● भारतीय संविधान की प्रति - ताकि RSS अपनी गतिविधियां संवैधानिक ढांचे में चलाए।

● राष्ट्रीय ध्वज - RSS को सभी कार्यालयों में तिरंगा फहराने और 15 अगस्त को 'काला दिवस' न मनाने की याद दिलाने के लिए।

● महाराष्ट्र पब्लिक ट्रस्ट एक्ट की प्रति - RSS को अविवाहित संगठन होने के बावजूद कानूनी पंजीकरण कराने में मदद के लिए।

हालांकि, RSS के सदस्यों ने कार्यालय बंद होने का हवाला देकर वहां से निकलने का रास्ता तलाश लिया। अंततः औरंगाबाद के उप पुलिस आयुक्त (DCP) ने RSS की ओर से वे प्रतीकात्मक उपहार स्वीकार किए। सुजात अंबेडकर ने व्यंग्य करते हुए कहा, “अगर यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, तो फिर 7,000 पुलिसकर्मी क्यों तैनात किए गए? RSS का यह कायरतापूर्ण रवैया संविधान और तिरंगे के प्रति उनकी नफरत को उजागर करता है।”

यह प्रदर्शन RSS के हालिया ‘जॉइन RSS’ अभियान के प्रतिवाद में आयोजित किया गया था - वह अभियान औरंगाबाद के पॉलिटेक्निक कॉलेज परिसर में बिना अनुमति के चलाया गया था। जब VBA से संबद्ध सम्यक विद्यार्थी कॉलेज के छात्रों ने इसका विरोध किया और सवाल उठाए, तो उनके खिलाफ गैर-जमानती धाराओं में मुकदमे दर्ज कर दिए गए। इस पर सुजात अंबेडकर ने तीखा सवाल उठाया, “राष्ट्रीय मूल्यों के खिलाफ काम करने वाली RSS को कॉलेज परिसर में प्रवेश की अनुमति क्यों दी गई? और वे छात्र, जो लोकतांत्रिक ढंग से प्रश्न उठा रहे थे, उन्हीं पर कार्रवाई क्यों की गई?”

VBA के मुख्य प्रवक्ता सिद्धार्थ मोकले ने कहा, “RSS को पहले खुद अपना कानूनी पंजीकरण कराना चाहिए। बाबासाहेब अंबेडकर और उनके विचारों के उत्तराधिकारी ही RSS की विचारधारा का वास्तविक जवाब दे सकते हैं। यह देश अंबेडकर के संविधान से चलेगा, मनुवाद से नहीं।” वहीं VBA के राज्य उपाध्यक्ष फारुख अहमद ने RSS को ‘देशद्रोही’ करार देते हुए कहा, “जो संविधान, तिरंगे और अशोक स्तंभ का सम्मान नहीं करता, वह देश का गद्दार है। अवैध संगठन RSS के प्रमुख मोहन भागवत को जेल में डाला जाना चाहिए।”

मोर्चे के दौरान VBA के फुले-शाहू-अंबेडकरवादियों ने पांच सूत्री शपथ ली:

1. RSS पर प्रतिबंध लगाने की मांग।

2. बाबासाहेब के संविधान की रक्षा।

3. फुले-शाहू-अंबेडकरवादी विचारधारा पर चलना।

4. भाजपा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना को कभी वोट न देना।

5. देश को फुले-शाहू-अंबेडकरवाद से चलाना, मनुवाद से नहीं।

प्रकाश अंबेडकर ने सोशल मीडिया पर लिखा, "RSS के दरवाजे पर मोर्चा निकालने की हिम्मत सिर्फ VBA में है। अन्य पार्टियां इतने सालों में क्यों नहीं कर सकीं? RSS मुर्दाबाद! जय फुले, जय शाहू, जय भीम, जय संविधान!"

यह प्रदर्शन महाराष्ट्र में हिंदुत्व राजनीति के खिलाफ बहुजन और अंबेडकरवादी शक्तियों के बीच उभरती एकजुटता का प्रतीक है। VBA ने RSS और भाजपा पर सामाजिक न्याय तथा धर्मनिरपेक्षता की बुनियाद को कमजोर करने का आरोप लगाया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना न केवल RSS के कानूनी दर्जे, बल्कि शासन व्यवस्था पर उसके प्रभाव को लेकर भी बहस को और तेज करेगी।

VBA ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यह सिर्फ शुरुआत है। यह मोर्चा न सिर्फ प्रतीकात्मक था, बल्कि राजनीतिक संदेश भी दे गया: अंबेडकरवादी आंदोलन RSS की विचारधारा को हराएगा, चाहे इसमें जितना समय लगे।

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