यूपी : दलित युवती से छेड़छाड़ का विरोध करने पर परिवार पर हमला; पुलिस ने पटाखा विवाद बताया

Written by sabrang india | Published on: October 23, 2025
"मामला बच्चों के पटाखा जलाने को लेकर शुरू हुए विवाद का है, जिसमें दोनों पक्षों के लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और दोनों पक्षों के दो-दो लोगों को गिरफ्तार कर आगे की कार्रवाई की गई है।"



उत्तर प्रदेश के औरैया के एक गांव में दलित परिवार के साथ क्रूरता की घटना सामने आई है। एक युवती के साथ छेड़छाड़ का विरोध करने की सजा उसके पूरे परिवार को दी गई है। बदमाशों ने उनके घर में घुसकर बुरी तरह पिटाई की और सरकार व जाति का दंभ भरते हुए जान से मारने की धमकी दी।

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित परिवार का आरोप है कि आरोपी खुलेआम कह रहे थे—"हमारी सरकार है, मुख्यमंत्री हमारे हैं।" घटना के बाद पुलिस भी एफआईआर दर्ज करने में आनाकानी कर रही है, जिससे पीड़ित परिवार इंसाफ की उम्मीद में उच्चाधिकारियों के सामने गुहार लगाने को मजबूर है।

भरसेन गांव में दलित युवती के साथ छेड़छाड़ के बाद हुआ पारिवारिक विवाद गंभीर रूप ले चुका है। पीड़िता के परिवार का आरोप है कि बदमाशों ने न सिर्फ युवती का यौन शोषण किया, बल्कि बाद में उसके परिवार के सदस्यों की बुरी तरह पिटाई की और जान से मारने की धमकी भी दी। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि आरोपियों ने सत्ता और जातिगत दबदबे का दावा करते हुए खुलेआम गोली मारने की धमकी दी।

इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर युवती की लिखित शिकायत की कॉपी और पीड़ित परिवार की तस्वीरें वायरल हो गई हैं, जिसके बाद औरैया पुलिस ने घटना का खंडन किया है। पुलिस का कहना है कि विवाद दीपावली की रात बच्चों द्वारा जलाए गए पटाखों के कारण हुआ, जिसमें दोनों पक्षों के बीच आपसी मारपीट हुई और कुछ लोग घायल भी हुए।

पीड़िता के अनुसार, उसके पड़ोस में रहने वाला क्षितिज उर्फ हीरू उर्फ वीरेश उस पर गंदी नजर रखता है और अश्लील इशारे करता है। डर, गरीबी और जातिगत दबाव के चलते परिवार ने इसका विरोध नहीं किया। 20 अक्टूबर की शाम करीब 7 बजे जब पीड़िता शौच के लिए खेत में गई, तो क्षितिज ने अचानक उसे पकड़ लिया, उसके प्राइवेट पार्ट को पकड़ा और छेड़छाड़ की। वह रोती हुई घर आई और इस बात की जानकारी अपनी मां को दी।

इसके बाद पीड़िता के पिता ने आरोपियों के परिवार से शिकायत की। लेकिन विरोधी पक्ष ने उन्हें उल्टा 'चमार' जाति का ताना देते हुए गलत आरोप लगाने का आरोप लगाया और कहा—"हमारी सरकार है, मुख्यमंत्री हमारे हैं, तुम्हारी क्या औकात?" इसके बाद रात लगभग साढ़े दस बजे नौ लोगों का एक समूह तमंचे और लाठी-डंडे लेकर पीड़िता के घर पहुंचा।

हमलावरों ने दरवाजा तोड़ा और शोर मचाते हुए कहा—"आज चमारों को सबक सिखा दो, जान से मार दो।" उन्होंने पीड़िता के भाइयों दीपक और सुशील और एक अन्य व्यक्ति को पीटा और डर का माहौल बना दिया। पीड़िता ने अपनी लिखित शिकायत में कहा कि आरोपियों ने घोषणा की कि गांव में रहना है तो सिर झुकाकर रहो, वरना खुलेआम गोली मार देंगे। धमकी दी गई कि "अब राज्य में बहुजन समाज पार्टी की सरकार नहीं आएगी, हमारा योगी ही रहेगा, ठाकुरबाद ही रहेगा।"

पीड़िता के अनुसार, घटना की शिकायत थाने में की गई, लेकिन थाना प्रभारी ने केवल चिकित्सीय जांच करवाई और एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया। परिवार का आरोप है कि पुलिस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही और आरोपियों के दबदबे के आगे झुक रही है। अब पीड़िता ने उच्च अधिकारियों से न्याय की मांग की है।

पत्रकार गौरव पाल ने घायल परिजनों की तस्वीरों के साथ पीड़िता की तरफ से लिखित शिकायत सोशल मीडिया X पर शेयर करते हुए लिखा—"उत्तर प्रदेश में जाति और जातिवाद का ऐसा आलम हो गया है कि औरैया के भरसेन में क्षत्रिय वर्ण के लोग दलितों के साथ मारपीट करते हैं, लेकिन FIR दर्ज नहीं की जाती। पुलिस मुख्यमंत्री के सजातीय लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने से क्यों पीछे हट रही है? परिवार का आरोप है कि उनका मुकदमा दर्ज नहीं किया गया और उन्हें थाने से भगा दिया गया।"

थाना कोतवाली औरैया क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम भरसेन में हुए विवाद के संबंध में क्षेत्राधिकारी नगर ने बताया कि मामला दीपावली के दिन बच्चों द्वारा पटाखे जलाने को लेकर शुरू हुआ विवाद है। इस दौरान दोनों पक्षों के लोगों के बीच गाली-गलौज और पथराव हुआ, जिसमें दोनों पक्षों के कई लोग घायल हुए। उनका मेडिकल परीक्षण कराया गया और दोनों पक्षों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। इसके अलावा, दोनों पक्षों के दो-दो लोगों को गिरफ्तार कर आगे की कार्रवाई की गई है। क्षेत्राधिकारी ने सोशल मीडिया में वायरल हो रही खबरों का खंडन करते हुए इन्हें भ्रामक बताया।

बीते दिनों उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एक आरएसएस कार्यकर्ता ने एक दलित बुज़ुर्ग व्यक्ति को जातिवादी हिंसा का शिकार बनाया और कथित तौर पर उसे पेशाब चाटने के लिए मजबूर किया। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और दलित समूहों ने इसकी कड़ी निंदा की है। वहीं, सांसद चंद्रशेखर आजाद ने इसे मानवता पर कलंक बताते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की।

मकतूब की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना काकोरी थाना क्षेत्र के पुरानी बाजार के पास शीतल मंदिर मोहल्ले में हुई। पीड़ित की पहचान रामपाल पासी के रूप में हुई है। पासी को कथित तौर पर अपमानजनक व्यवहार का सामना करना पड़ा, जिसने एक बार फिर राज्य के कुछ हिस्सों में जाति-आधारित हिंसा को उजागर कर दिया है।

रिपोर्टों के अनुसार, बीमार व्यक्ति ने पानी पीते समय गलती से पानी गिरा दिया था, लेकिन कथित तौर पर एक आरएसएस कार्यकर्ता ने उस पर पेशाब करने का आरोप लगाया और क्रूरता दिखाते हुए, पानी लाने के बाद उसे चाटने के लिए मजबूर किया।

वहां मौजूद लोगों ने बताया कि बुज़ुर्ग पीड़ित को जातिवादी अपमान और गाली-गलौज का भी सामना करना पड़ा, जिससे उसका अपमान और बढ़ गया। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और दलित संगठनों ने इस घटना को सामंती अहंकार और जातिगत उत्पीड़न की अभिव्यक्ति बताते हुए निंदा की है। यह घटना ग्रामीण और शहरी उत्तर प्रदेश में हाशिए पर पड़े समुदायों के खिलाफ फैली सामाजिक नफरत को उजागर करती है।

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