अवैध खनन के विरोध पर दबंगों ने इंसानियत की सारी हदें पार कर दीं। दलित युवक की बर्बर पिटाई की गई और उसे जातिसूचक गालियां दी गईं।

मध्य प्रदेश के कटनी जिले के बहोरीबंद थाना क्षेत्र के ग्राम मटवारा में अवैध खनन के विरोध पर एक दलित युवक के साथ अमानवीय घटना सामने आई है। गांव के दबंगों ने न केवल युवक की बेरहमी से पिटाई की बल्कि उसके ऊपर पेशाब करने जैसी शर्मनाक हरकत भी की।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित राजकुमार चौधरी ने बताया कि उसने अपने खेत के पास हो रहे अवैध खनन का विरोध किया था। इससे गुस्साए गांव के सरपंच रामानुज पांडेय, उनके बेटे पवन पांडेय, भतीजे सतीश पांडेय और अन्य लोगों ने मिलकर उसे पकड़ लिया और लोहे की रॉड से बुरी तरह पीटा। बीच-बचाव करने आई पीड़ित की मां को भी बाल पकड़कर घसीटा गया और उसके साथ भी मारपीट की गई।
पीड़ित का आरोप है कि पिटाई के दौरान सरपंच के बेटे पवन पांडेय ने उसके ऊपर पेशाब कर दिया। आरोपियों ने जातिसूचक गालियां दीं और शिकायत करने पर जान से मारने की धमकी दी।
घायल युवक ने अपनी मां के साथ तीन दिन जिला अस्पताल में इलाज कराने के बाद पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर पूरे मामले की जानकारी दी।
पीड़ित ने बताया कि आरोपियों ने उसे गांव वापस न आने की धमकी दी है, जिसके कारण वह अब गांव लौटने से डर रहा है। दबंगों ने साफ कहा कि यदि वह वापस आया तो उसे परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने इतनी बेरहमी से पिटाई की कि वह तीन दिन तक अस्पताल में भर्ती रहा।
मामले की गंभीरता को देखते हुए एडिशनल एसपी संतोष डेहरिया ने मीडिया से बातचीत में बताया कि पीड़ित राजकुमार चौधरी की शिकायत दर्ज कर ली गई है। पूरे मामले की जांच जारी है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह घटना सामाजिक समानता और कानून व्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती है।
उन्होंने बताया कि पूरे मामले की जानकारी संबंधित थाने को दी गई है और जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
देशभर में जारी हैं दलितों पर हमले
हाल ही में तमिलनाडु के पप्पनडु इलाके में छह लोगों को एक 21 वर्षीय दलित युवक पर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस के अनुसार, पीड़ित वेल्लूर निवासी एन. पचीलिन पप्पनडु के एक छोटे ढाबे में काम करता है। सोमवार रात जब वह अपनी बाइक से घर लौट रहा था, तो नेम्मेली के 30 वर्षीय टी. गोपीनाथ ने उसे रोक लिया। गोपीनाथ ने कथित तौर पर उससे कहा, “तुम्हारी जाति के लोगों को इतनी महंगी बाइक नहीं चलानी चाहिए।” पचीलिन ने जवाब दिया कि उसने बाइक अपने पैसों से खरीदी है और उसे इस्तेमाल करने का पूरा अधिकार है।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, उसी रात गोपीनाथ और पांच अन्य लोग पचीलिन के घर पहुंचे। पुलिस ने बताया कि उन्होंने डंडों से उस पर हमला किया और जातिसूचक गालियां दीं। पचीलिन ने बताया, “उन्होंने मुझे पीटा और बार-बार कहा कि मुझे इस तरह की बाइक नहीं चलानी चाहिए।” किसी तरह वह बचकर पुलिस स्टेशन पहुंचा और शिकायत दर्ज कराई।
देशभर में दलितों पर जातिगत अत्याचार बेरोकटोक जारी हैं — चाहे वह शादी की बारात में घोड़ी पर चढ़ने की अनुमति न देना हो, त्योहारों के दौरान उन्हें निशाना बनाना हो, या सार्वजनिक रूप से अपमानित करना और सामाजिक बहिष्कार करना। दलितों को अपने बुनियादी अधिकारों का दावा करने के लिए आज भी अपमान और हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। कई जगहों पर तो उन्हें मंदिरों में प्रवेश तक नहीं दिया जा रहा है।
गुजरात के साबरकांठा जिले का एक हालिया मामला इस व्यवस्थागत उत्पीड़न की एक और चिंताजनक मिसाल है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, खेड़ावाड़ा लक्ष्मीपुरा गांव के 38 वर्षीय दलित मजदूर शैलेश सोलंकी पर कथित तौर पर हमला किया गया और जातिवादी गालियां दी गईं। उनका ‘अपराध’ केवल इतना था कि उन्होंने हिम्मतनगर स्थित काल भैरव मंदिर में दर्शन करने की कोशिश की।
बलूचपुर के एक चौराहे पर गाड़ी का इंतजार करते समय सोलंकी का सामना पास के धनपुरा गांव के निवासी भरत पटेल से हुआ। पटेल ने सोलंकी से पूछा कि वह उस इलाके में क्यों है और उसकी पहचान क्या है।
सोलंकी ने बताया कि वह मंदिर जा रहा था। पटेल ने कथित तौर पर इस स्पष्टीकरण को खारिज कर दिया और जानना चाहा कि सोलंकी अनुसूचित जाति से है या सामान्य वर्ग से।
जब सोलंकी ने अपना आधार कार्ड दिखाया, तो पटेल ने उपनाम से उसकी जाति पहचान ली और जातिवादी गालियां देनी शुरू कर दीं। फिर उसने सोलंकी को कई थप्पड़ मारे और अंधेरा होने के बाद मंदिर जाने को लेकर सवाल उठाए।
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द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित राजकुमार चौधरी ने बताया कि उसने अपने खेत के पास हो रहे अवैध खनन का विरोध किया था। इससे गुस्साए गांव के सरपंच रामानुज पांडेय, उनके बेटे पवन पांडेय, भतीजे सतीश पांडेय और अन्य लोगों ने मिलकर उसे पकड़ लिया और लोहे की रॉड से बुरी तरह पीटा। बीच-बचाव करने आई पीड़ित की मां को भी बाल पकड़कर घसीटा गया और उसके साथ भी मारपीट की गई।
पीड़ित का आरोप है कि पिटाई के दौरान सरपंच के बेटे पवन पांडेय ने उसके ऊपर पेशाब कर दिया। आरोपियों ने जातिसूचक गालियां दीं और शिकायत करने पर जान से मारने की धमकी दी।
घायल युवक ने अपनी मां के साथ तीन दिन जिला अस्पताल में इलाज कराने के बाद पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर पूरे मामले की जानकारी दी।
पीड़ित ने बताया कि आरोपियों ने उसे गांव वापस न आने की धमकी दी है, जिसके कारण वह अब गांव लौटने से डर रहा है। दबंगों ने साफ कहा कि यदि वह वापस आया तो उसे परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने इतनी बेरहमी से पिटाई की कि वह तीन दिन तक अस्पताल में भर्ती रहा।
मामले की गंभीरता को देखते हुए एडिशनल एसपी संतोष डेहरिया ने मीडिया से बातचीत में बताया कि पीड़ित राजकुमार चौधरी की शिकायत दर्ज कर ली गई है। पूरे मामले की जांच जारी है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह घटना सामाजिक समानता और कानून व्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती है।
उन्होंने बताया कि पूरे मामले की जानकारी संबंधित थाने को दी गई है और जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
देशभर में जारी हैं दलितों पर हमले
हाल ही में तमिलनाडु के पप्पनडु इलाके में छह लोगों को एक 21 वर्षीय दलित युवक पर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस के अनुसार, पीड़ित वेल्लूर निवासी एन. पचीलिन पप्पनडु के एक छोटे ढाबे में काम करता है। सोमवार रात जब वह अपनी बाइक से घर लौट रहा था, तो नेम्मेली के 30 वर्षीय टी. गोपीनाथ ने उसे रोक लिया। गोपीनाथ ने कथित तौर पर उससे कहा, “तुम्हारी जाति के लोगों को इतनी महंगी बाइक नहीं चलानी चाहिए।” पचीलिन ने जवाब दिया कि उसने बाइक अपने पैसों से खरीदी है और उसे इस्तेमाल करने का पूरा अधिकार है।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, उसी रात गोपीनाथ और पांच अन्य लोग पचीलिन के घर पहुंचे। पुलिस ने बताया कि उन्होंने डंडों से उस पर हमला किया और जातिसूचक गालियां दीं। पचीलिन ने बताया, “उन्होंने मुझे पीटा और बार-बार कहा कि मुझे इस तरह की बाइक नहीं चलानी चाहिए।” किसी तरह वह बचकर पुलिस स्टेशन पहुंचा और शिकायत दर्ज कराई।
देशभर में दलितों पर जातिगत अत्याचार बेरोकटोक जारी हैं — चाहे वह शादी की बारात में घोड़ी पर चढ़ने की अनुमति न देना हो, त्योहारों के दौरान उन्हें निशाना बनाना हो, या सार्वजनिक रूप से अपमानित करना और सामाजिक बहिष्कार करना। दलितों को अपने बुनियादी अधिकारों का दावा करने के लिए आज भी अपमान और हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। कई जगहों पर तो उन्हें मंदिरों में प्रवेश तक नहीं दिया जा रहा है।
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सोलंकी ने बताया कि वह मंदिर जा रहा था। पटेल ने कथित तौर पर इस स्पष्टीकरण को खारिज कर दिया और जानना चाहा कि सोलंकी अनुसूचित जाति से है या सामान्य वर्ग से।
जब सोलंकी ने अपना आधार कार्ड दिखाया, तो पटेल ने उपनाम से उसकी जाति पहचान ली और जातिवादी गालियां देनी शुरू कर दीं। फिर उसने सोलंकी को कई थप्पड़ मारे और अंधेरा होने के बाद मंदिर जाने को लेकर सवाल उठाए।
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