हरियाणा: ईवीएम वोटों की पुनर्गणना के बाद पंचायत चुनाव परिणाम पलटे, सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश

Written by sabrang india | Published on: August 16, 2025
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में लगभग तीन साल पहले हरियाणा के पानीपत की एक ग्राम पंचायत के सरपंच चुनाव के परिणाम को बदल दिया है। यह देश का पहला ऐसा मामला माना जा रहा है, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव में इस्तेमाल की गई ईवीएम और अन्य रिकॉर्ड तलब किए और अपने परिसर में मतों की पुनर्गणना कराई, जिसके बाद परिणाम बदल गया।


साभार : इंडियन एक्सप्रेस

सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के पानीपत जिले के बुआना लाखू गांव की ग्राम पंचायत के सरपंच चुनाव के लगभग तीन वर्ष पुराने परिणाम को पलट दिया है।

यह देश में अपनी तरह का पहला मामला बताया जा रहा है, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव में इस्तेमाल की गई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और अन्य रिकॉर्ड तलब किए तथा अपने परिसर में ही मतों की दोबारा गणना करवाई, जिसके परिणामस्वरूप चुनाव का नतीजा बदल गया।

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, पुनर्मतगणना सर्वोच्च न्यायालय की ओएसडी (रजिस्ट्रार) कावेरी की देखरेख में दोनों पक्षों और उनके अधिवक्ताओं की मौजूदगी में कराई गई। पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी की गई।

इस संबंध में, जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने 11 अगस्त को अपने आदेश में कहा कि 'उपायुक्त-सह-निर्वाचन अधिकारी, पानीपत को निर्देश दिया जाता है कि वे दो दिनों के भीतर एक अधिसूचना जारी करें, जिसमें अपीलकर्ता मोहित कुमार को उक्त ग्राम पंचायत का निर्वाचित सरपंच घोषित किया जाए।

जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ, जिसमें जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह भी शामिल थे, ने अपने आदेश में कहा कि अपीलकर्ता मोहित कुमार तत्काल प्रभाव से सरपंच पद ग्रहण करने और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के पात्र होंगे।"

गौरतलब है कि यह विवाद 2 नवंबर, 2022 को आयोजित ग्राम पंचायत के सरपंच पद के चुनाव से संबंधित है, जिसमें कुलदीप सिंह को उनके प्रतिद्वंद्वी मोहित कुमार के मुकाबले विजयी घोषित किया गया था।

इसके बाद अपीलकर्ता मोहित कुमार ने चुनाव परिणाम को चुनौती देते हुए पानीपत के अतिरिक्त सिविल जज (वरिष्ठ श्रेणी)-सह-चुनाव न्यायाधिकरण के समक्ष एक चुनाव याचिका दायर की। इस याचिका के क्रम में 22 अप्रैल, 2025 को उपायुक्त-सह-चुनाव अधिकारी द्वारा 7 मई, 2025 को बूथ संख्या 69 के मतों की पुनर्गणना किए जाने का आदेश जारी किया गया।

हालांकि, चुनाव न्यायाधिकरण के आदेश को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने 1 जुलाई, 2025 को रद्द कर दिया। इसके पश्चात मोहित कुमार ने इस निर्णय के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया।

मामले की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने 31 जुलाई को संबंधित ईवीएम और अन्य चुनावी रिकॉर्ड प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। साथ ही, न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को केवल एक बूथ तक सीमित न रहते हुए, सभी बूथों के मतों की पुनर्गणना कराने का आदेश भी दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने 31 जुलाई, 2025 को अपने आदेश में कहा, 'मामले की विशिष्ट परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, उपायुक्त एवं जिला निर्वाचन अधिकारी, पानीपत, हरियाणा को निर्देश दिया जाता है कि वे सभी ईवीएम इस न्यायालय के उस रजिस्ट्रार के समक्ष प्रस्तुत करें, जिन्हें महासचिव द्वारा नामित किया जाएगा। यह प्रस्तुति 06 अगस्त, 2025 को सुबह 10 बजे की जाए।

अदालत ने आगे कहा, ‘नामित रजिस्ट्रार न केवल विवादित बूथ के, बल्कि सभी बूथों के मतों की पुनर्गणना करेंगे। पुनर्गणना की पूरी प्रक्रिया की विधिवत वीडियोग्राफी की जाएगी। याचिकाकर्ता के साथ-साथ प्रतिवादी संख्या 1 या उनके अधिकृत प्रतिनिधि भी पुनर्गणना के समय उपस्थित रहेंगे।’

इसके बाद, 6 अगस्त 2025 को ओएसडी (रजिस्ट्रार) कावेरी द्वारा बूथ संख्या 65 से 70 तक के सभी मतों की पुनर्गणना की गई। पुनर्गणना के बाद एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसमें कुल 3,767 मतों में याचिकाकर्ता मोहित कुमार को 1,051 मत प्राप्त हुए, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी प्रतिवादी कुलदीप सिंह को 1,000 मत मिले।

अपने आदेश में शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले को खारिज करते हुए कहा, ‘इस न्यायालय के ओएसडी (रजिस्ट्रार) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर प्रथमदृष्टया संदेह करने का कोई कारण नहीं है, विशेषकर तब जब पूरी पुनर्गणना विधिवत वीडियोग्राफी के माध्यम से रिकॉर्ड की गई हो और इसके परिणामों पर दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर मौजूद हों।

पीठ ने आगे कहा, ‘हम इस बात से संतुष्ट हैं कि अपीलकर्ता मोहित कुमार 22 नवंबर 2022 को हुए चुनाव में हरियाणा के पानीपत जिले के बुआना लाखू गांव की ग्राम पंचायत के निर्वाचित सरपंच घोषित किए जाने के पात्र हैं।’

हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि पक्षकार अब भी चुनाव न्यायाधिकरण के समक्ष शेष किसी भी मुद्दे को उठा सकते हैं। 

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