2006 मुंबई धमाका: ‘सच्चाई की जीत हुई, हमें न्याय मिला,’ हाई कोर्ट के फैसले के कुछ घंटे बाद 8 आरोपी जेल से रिहा

Written by sabrang india | Published on: July 23, 2025
दो आरोपियों को उनके खिलाफ चल रहे अन्य मामलों के कारण रिहाई नहीं मिली। एक आरोपी की मृत्यु कोविड-19 से हो चुकी है और एक अन्य आरोपी पहले ही पैरोल पर बाहर था।


फोटो साभार : मनी कंट्रोल

2006 मुंबई ट्रेन धमाकों के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा 12 आरोपियों को बरी किए जाने के कुछ ही घंटों बाद उनमें से आठ को राज्य की विभिन्न जेलों से रिहा कर दिया गया।

हालांकि दो आरोपियों को उनके खिलाफ चल रहे अन्य मामलों के कारण रिहाई नहीं मिल सकी, वहीं एक की मृत्यु कोविड-19 से हो चुकी है और एक अन्य आरोपी पहले ही पैरोल पर रिहा किया जा चुका था।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार सुबह हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि यदि आरोपियों को किसी अन्य मामले में हिरासत में रखने की आवश्यकता न हो तो उन्हें तत्काल रिहा किया जाए। साथ ही, अदालत ने प्रत्येक आरोपी को 25,000 रूपये के व्यक्तिगत मुचलके भरने का निर्देश भी दिया।

फांसी की सजा पा चुके एहतिशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी और आजीवन कारावास की सजा काट रहे मोहम्मद अली आलम शेर शेख को नागपुर केंद्रीय कारागार से रात करीब 8 बजे रिहा किया गया।

इसके अलावा, अन्य आरोपी-तनवीर अहमद मोहम्मद इब्राहिम अंसारी, मोहम्मद माजिद मोहम्मद शफी, सुहैल मोहम्मद शेख और जमीर अहमद लतीफुर रहमान शेख-को अमरावती केंद्रीय जेल से रात लगभग 9 बजे रिहा किया गया।

आसिफ खान बशीर खान को पुणे की यरवदा जेल से रिहा किया गया, जबकि मुजम्मिल अता-उर-रहमान शेख को नासिक जेल से रिहाई मिली।

दो आरोपियों को उनके खिलाफ लंबित मामलों के चलते रिहा नहीं किया गया। इन दो आरोपियों में औरंगाबाद जेल में बंद मोहम्मद फैसल अता-उर-रहमान शेख और नागपुर जेल में बंद नावेद हुसैन खान रशीद शामिल हैं।

इसके अलावा, कमाल अहमद मोहम्मद वकील अंसारी की 2021 में नागपुर केंद्रीय जेल में कोविड-19 के कारण मृत्यु हो गई थी, जबकि एक अन्य आरोपी मोहम्मद साजिद मरगूब अंसारी पहले ही पैरोल पर रिहा किया जा चुका था।

जेल विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "7/11 मुंबई धमाकों के मामले के दो आरोपी यरवदा जेल में बंद थे। इनमें से आसिफ खान बशीर खान उर्फ जुनैद को सोमवार रात रिहा कर दिया गया। दूसरे आरोपी मोहम्मद फैसल अता-उर-रहमान शेख को रिहा नहीं किया गया क्योंकि उन पर एक अन्य मामला भी चल रहा है।"

पुणे के मुस्लिम मूलनिवासी मंच से जुड़ी कार्यकर्ता अंजुम इनामदार ने कहा, “आसिफ को यरवदा जेल से करीब 8:30 बजे रिहा किया गया और उन्हें उनके भाई लेने आए। दोनों, आसिफ और उनके भाई ने यह महसूस किया कि आखिरकार सच्चाई की जीत हुई है और उन्हें न्याय मिला है।”

सुहैल मोहम्मद शेख ने अमरावती केंद्रीय जेल से लगभग रात 9 बजे रिहा होने के बाद जेल परिसर के बाहर मीडिया से बात करते हुए कहा, “आज हमें 19 वर्षों बाद रिहा किया गया है। हमें अदालत पर पूरा भरोसा था और वह भरोसा सही साबित हुआ। हमारे खिलाफ इस मामले में कुछ भी नहीं था। हमें तो विशेष अदालत से ही बरी होना चाहिए था लेकिन अब यह काम हाई कोर्ट ने किया है। हम न्यायाधीशों और उन वकीलों के आभारी हैं जिन्होंने हमारे लिए काम किया।” 

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