उत्तर प्रदेश : मिर्जापुर में आंबेडकर प्रतिमा की चोरी, लोगों में नाराजगी

Written by sabrang india | Published on: July 21, 2025
मिर्जापुर जिले के एक पार्क से बाबा साहेब की प्रतिमा को अज्ञात लोगों ने रात में चोरी कर ली। इसी साल जनवरी में इसी पार्क में आंबेडकर की प्रतिमा को असामाजिक तत्वों ने तोड़ दिया था।


फोटो साभार : द वायर

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के संतनगर थाना क्षेत्र के दीपनगर आंबेडकर पार्क से डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा को अज्ञात असामाजिक तत्वों ने रात में चुरा लिया। शुक्रवार 18 जुलाई की सुबह जब यह पता चला तो स्थानीय लोगों में नाराजगी फैल गई।

द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, जानकारी मिलते ही स्थानीय निवासियों के साथ-साथ समाजवादी पार्टी के नेता और सोनभद्र लोकसभा प्रभारी निराला कोल, गप्पू यादव और सपा जिलाध्यक्ष देवी चौधरी भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने प्रशासन से घटना की उच्चस्तरीय जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

स्थानीय लोगों ने इस घटना को न केवल कानून-व्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती बताया, बल्कि इसे समाज में जानबूझकर शांति भंग करने की एक सोची-समझी साजिश करार दिया।

लालगंज क्षेत्राधिकारी अशोक कुमार सिंह ने इस घटना को लेकर बताया कि 18 जुलाई की रात दीपनगर आंबेडकर पार्क में डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया गया है। थाना संतनगर पुलिस में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है और कानूनी कार्रवाई जारी है। साथ ही, प्रशासन की ओर से नई प्रतिमा स्थापित कराने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। फिलहाल इलाके में शांति है।

ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं

इस तरह की यह कोई पहली घटना नहीं है। जिले में करीब 110 आंबेडकर प्रतिमाएं हैं और पहले भी कई बार उन्हें नुकसान पहुंचाया जा चुका है।

उल्लेखनीय है कि जनवरी 2025 में भी इसी पार्क में बाबा साहेब की प्रतिमा को असामाजिक तत्वों ने नुकसान पहुंचाया था। उस समय प्रतिमा को गिराकर उसका सिर और चेहरा पत्थरों से बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। घटना के बाद दलित और आदिवासी समाज के लोगों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया था, जिसके चलते प्रशासन को नई प्रतिमा लगवानी पड़ी थी और इलाके में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई थी।

बीते महीने 10 तारीख को हलिया थाना क्षेत्र के चककोटार गांव के सार्वजनिक पार्क में स्थित बाबा साहेब की प्रतिमा को अज्ञात लोगों ने रात के समय क्षतिग्रस्त कर दिया था। प्रतिमा के सिर को धड़ से अलग कर करीब 200 मीटर दूर फेंक दिया गया था। उल्लेखनीय है कि उस पार्क में भगवान बुद्ध और अशोक स्तंभ की प्रतिमाएं भी मौजूद थीं। इस घटना ने स्थानीय लोगों में नाराजगी और चिंता को बढ़ा दिया था।

गौरतलब है कि चककोटार गांव में इस प्रतिमा का अनावरण केंद्रीय राज्य मंत्री और मिर्जापुर की सांसद अनुप्रिया पटेल ने नवंबर 2024 में किया था। इस घटना के बाद प्रशासन ने 24 घंटे के भीतर नई प्रतिमा स्थापित कराई थी, लेकिन अब तक दोषी पकड़े नहीं गए हैं।

इसी तरह जिले के बेदौली गांव में भी आंबेडकर प्रतिमा को नुकसान पहुंचाया गया था।

इस बार चोर प्रतिमा को पूरी तरह उखाड़कर ले गए जिससे यह साफ होता है कि यह कोई सामान्य शरारत नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है। जैसे ही शुक्रवार सुबह प्रतिमा के गायब होने की खबर पता चली, स्थानीय लोगों और राजनीतिक कार्यकर्ता तुरंत मौके पर पहुंच गए।

लोगों को इस बात की आशंका है कि यह समाज को बांटने, जातीय सौहार्द बिगाड़ने और बाबा साहेब के अनुयायियों को उकसाने की मंशा से किया गया कृत्य है।

स्थानीय नेताओं ने कहा कि बाबा साहेब की प्रतिमा को हटाना केवल शरारत नहीं बल्कि यह राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित कृत्य हो सकती है। कुछ लोगों का मानना है कि यह एक जातीय साजिश है ताकि दलित और आदिवासी समाज को भड़काया जा सके।

खेत किसान मजदूर यूनियन की जिलाध्यक्ष जीरा भारती ने इस घटना को भाजपा की साजिश बताया। उन्होंने कहा, ‘यह भाजपा वालों की साजिश है, बाबा साहेब की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर आदिवासी कोल समाज के लोगों को फंसाने, उत्पीड़न करने की मंशा है।’

उन्होंने आगे कहा कि कि जो बाबा साहेब की प्रतिमा को कभी तोड़कर तो कभी उठाकर चुरा ले जाते हैं आखिरकार ऐसे लोग पकड़े क्यों नहीं जाते हैं और वे कानून व्यवस्था को चुनौती देते हैं?’

भारती ने कहा कि जब तक ऐसी घटनाओं में दोषियों को सजा नहीं दी जाएगी, तब तक यह सिलसिला जारी रहेगा और समाज में तनाव बढ़ता रहेगा।

उल्लेखनीय है कि मिर्जापुर जनपद पिछड़ा इलाका है जहां आदिवासी, दलित और पिछड़ा वर्ग के सदस्यों की संख्या काफी ज्यादा है।

स्थानीय निवासी कहते हैं कि प्रशासन हर बार नई प्रतिमा लगाकर स्थिति को सामान्य करने का प्रयास करती है, लेकिन असली समस्या तब तक बनी रहेगी जब तक इन घटनाओं को अंजाम देने वालों की पहचान कर उन्हें सख्त सजा नहीं दी जाती। वे सवाल करते हैं कि आखिर बाबा साहेब की प्रतिमाएं ही क्यों निशाने पर हैं? क्या यह केवल असामाजिक तत्वों की हरकत है, या इसके पीछे कोई राजनीतिक या जातीय मकसद छिपा है?

नोट: यह लेख मूलतः द वायर में संतोष देव गिरि द्वारा लिखी गई।

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