डीजे पर अंबेडकर और जाटव समाज से जुड़े गीतों पर आपत्ति के बाद ठाकुर समुदाय ने बारात पर पथराव किया जिसमें दो लोग घायल हो गए।

साभार : अमर उजाला (फाइल फोटो)
उत्तर प्रदेश में एक बार फिर ऊंची जातियों द्वारा दलित की शादी को निशाना बनाया गया। मथुरा के दहरूआ गांव में शनिवार शाम को दो दलित दूल्हों की बारात के दौरान डीजे पर भीमराव अंबेडकर और जाटव समुदाय की शान में बज रहे गीतों को लेकर हिंसा भड़क उठी। आरोप है कि ठाकुर समुदाय के कुछ लोगों ने इन गीतों पर आपत्ति जताते हुए बारात पर पथराव किया और मारपीट की। पुलिस ने इस मामले में एससी/एसटी एक्ट और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं के तहत केस दर्ज कर तीन आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना थाना जमुनापार क्षेत्र के दहरूआ गांव में शनिवार शाम करीब 6:30 से 7:30 बजे के बीच हुई। एफआईआर के अनुसार, पीड़ित परिवार के सदस्य देवेंद्र कुमार ने बताया कि उनके भाई राम कुमार (22) और सौरभ कुमार (23) की बारात में डीजे पर जाटव समाज की महिमा और डॉ. भीमराव अंबेडकर के सम्मान में गीत बजाए जा रहे थे। इसी दौरान ठाकुर समुदाय के कुछ लोगों ने इन गीतों का विरोध किया और गाली-गलौज करते हुए बारात पर पथराव शुरू कर दिया।
हालात बिगड़ते देख स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित किया। इस झड़प में दो लोगों को मामूली चोटें आई हैं।
जमुनापार थाना प्रभारी अजय किशोर ने बताया कि इस मामले में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 115(2) (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 352 (हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 351(3) (आपराधिक धमकी) और 125 (किसी की जान या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालना) के तहत केस दर्ज किया गया है। इसके अलावा, एससी/एसटी एक्ट की धाराएं भी लागू की गई हैं। तीन आरोपियों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया गया है।
मथुरा सदर क्षेत्र के डिप्टी एसपी संदीप सिंह ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि विवाद बारात में शामिल लोगों को लेकर नहीं, बल्कि डीजे पर बज रहे गीतों को लेकर हुआ था। मामले में दो लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है और जांच अब भी जारी है।
यह पहली घटना नहीं जब दलित की शादी में ऊंची जाति के लोगों द्वारा हमला किया गया हो। पहले भी इस तरह की घटनाएं लगातार देखने को मिलती रही हैं। पिछले महीने ओडिशा के बालसोर जिले के सिंगला पुलिस सीमा अंतर्गत बलिया पाटी गांव में अपनी नाबालिग बेटी की शादी से इनकार करने पर अनुसूचित जाति के एक परिवार को पिछले तीन वर्षों से सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ा।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, प्रशांत बार, उनकी पत्नी और बेटी को ग्रामीणों ने पानी, जलाऊ लकड़ी, गांव के मंदिर, स्थानीय दुकानों, बाजारों और कृषि क्षेत्रों तक पहुंच से वंचित करके सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है।
तीन साल पहले, प्रशांत की नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली बेटी को जंभीराई के एक युवक ने अगवा कर लिया था और बाद में उसे बचा लिया गया। घर लौटने के बाद, ग्रामीणों और युवक के माता-पिता ने प्रशांत और उसकी पत्नी पर लड़की की युवक के साथ शादी को स्वीकार करने का दबाव बनाया।
लेकिन, प्रशांत ने यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि वह नाबालिग है और वह उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहती है। इसके बाद से इस मामले को लेकर दोनों पक्षों और गांव वालों के बीच कई बैठकें हुईं। हालांकि, प्रशांत अपने फैसले पर डंटे रहे।
इसके बाद, गांव वालों के फैसले को न मानने पर कंगारू कोर्ट ने परिवार पर सामाजिक बहिष्कार लगा दिया। सोशल मीडिया पर चल रहे इस घटनाक्रम के वीडियो में गांव के मुखिया स्थानीय बाजार में जाकर प्रशांत के परिवार के सामाजिक बहिष्कार की घोषणा करते नजर आ रहे हैं।
बीते महीने जून के शुरूआत में एक शादी समारोह के दौरान कुछ लोगों ने लाठी-डंडों से एक दलित परिवार पर हमला कर दिया। हमलावरों ने कथित तौर पर जाति-सूचक गालियां दीं, क्योंकि वे इस बात से नाराज थे कि उत्तर प्रदेश के रसरा में एक दलित परिवार मैरिज हॉल का इस्तेमाल कर रहा था। पुलिस ने मीडिया को ये जानकारी दी।
द ऑब्जर्वर की रिपोर्ट के अनुसार, एक घायल व्यक्ति राघवेंद्र गौतम ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कहा, “हम जश्न मना रहे थे, तभी अचानक कुछ लोगों का एक समूह आया और चिल्लाने लगा, ‘दलित हॉल में शादी कैसे कर सकते हैं?’ फिर उन्होंने सभी को पीटना शुरू कर दिया।”
यह हमला स्वयंवर मैरिज हॉल में रात करीब 10:30 बजे हुआ। दो लोग अजय कुमार और मनन कांत बुरी तरह घायल हो गए। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।
उधर, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से दलित उत्पीड़न का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया। चौरा-चौरी थाना क्षेत्र के दूधई गांव में एक शादी समारोह के दौरान दलित समाज के छह लोगों से केवल इसलिए मारपीट की गई कि उन्होंने भोजन करने के लिए पत्तल उठा ली। ये मामला 9 मई का है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, दूधई गांव के रहने वाले लालजी के घर शादी में गांव के ही दलित युवक दीनानाथ अपने परिवार के साथ पहुंचे थे। दीनानाथ का कहना था कि उन्हें न्यौता दिया गया था, लेकिन जब उन्होंने खाने के लिए पत्तल उठाई तो राजभर समाज के सोनू, रामचंद्र और भीम ने उन्हें रोकते हुए अपमानित किया और गाली-गलौज करते हुए वहां से भगा दिया।
मामला केवल शादी से भगाने तक नहीं थमा। पीड़ित परिवार किसी तरह वापस अपने घर लौट आया लेकिन देर रात आरोप था कि वही आरोपी अपने दूसरे साथियों के साथ दीनानाथ के घर पर लाठी-डंडों और चाकुओं से लैस होकर पहुंचे और पूरे परिवार पर हमला कर दिया। इस हमले में महिलाओं समेत छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। पीड़ितों ने थाने में शिकायत दर्ज कराई। इसके आधार पर पुलिस ने 11 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई।
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साभार : अमर उजाला (फाइल फोटो)
उत्तर प्रदेश में एक बार फिर ऊंची जातियों द्वारा दलित की शादी को निशाना बनाया गया। मथुरा के दहरूआ गांव में शनिवार शाम को दो दलित दूल्हों की बारात के दौरान डीजे पर भीमराव अंबेडकर और जाटव समुदाय की शान में बज रहे गीतों को लेकर हिंसा भड़क उठी। आरोप है कि ठाकुर समुदाय के कुछ लोगों ने इन गीतों पर आपत्ति जताते हुए बारात पर पथराव किया और मारपीट की। पुलिस ने इस मामले में एससी/एसटी एक्ट और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं के तहत केस दर्ज कर तीन आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना थाना जमुनापार क्षेत्र के दहरूआ गांव में शनिवार शाम करीब 6:30 से 7:30 बजे के बीच हुई। एफआईआर के अनुसार, पीड़ित परिवार के सदस्य देवेंद्र कुमार ने बताया कि उनके भाई राम कुमार (22) और सौरभ कुमार (23) की बारात में डीजे पर जाटव समाज की महिमा और डॉ. भीमराव अंबेडकर के सम्मान में गीत बजाए जा रहे थे। इसी दौरान ठाकुर समुदाय के कुछ लोगों ने इन गीतों का विरोध किया और गाली-गलौज करते हुए बारात पर पथराव शुरू कर दिया।
हालात बिगड़ते देख स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित किया। इस झड़प में दो लोगों को मामूली चोटें आई हैं।
जमुनापार थाना प्रभारी अजय किशोर ने बताया कि इस मामले में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 115(2) (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 352 (हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 351(3) (आपराधिक धमकी) और 125 (किसी की जान या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालना) के तहत केस दर्ज किया गया है। इसके अलावा, एससी/एसटी एक्ट की धाराएं भी लागू की गई हैं। तीन आरोपियों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया गया है।
मथुरा सदर क्षेत्र के डिप्टी एसपी संदीप सिंह ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि विवाद बारात में शामिल लोगों को लेकर नहीं, बल्कि डीजे पर बज रहे गीतों को लेकर हुआ था। मामले में दो लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है और जांच अब भी जारी है।
यह पहली घटना नहीं जब दलित की शादी में ऊंची जाति के लोगों द्वारा हमला किया गया हो। पहले भी इस तरह की घटनाएं लगातार देखने को मिलती रही हैं। पिछले महीने ओडिशा के बालसोर जिले के सिंगला पुलिस सीमा अंतर्गत बलिया पाटी गांव में अपनी नाबालिग बेटी की शादी से इनकार करने पर अनुसूचित जाति के एक परिवार को पिछले तीन वर्षों से सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ा।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, प्रशांत बार, उनकी पत्नी और बेटी को ग्रामीणों ने पानी, जलाऊ लकड़ी, गांव के मंदिर, स्थानीय दुकानों, बाजारों और कृषि क्षेत्रों तक पहुंच से वंचित करके सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है।
तीन साल पहले, प्रशांत की नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली बेटी को जंभीराई के एक युवक ने अगवा कर लिया था और बाद में उसे बचा लिया गया। घर लौटने के बाद, ग्रामीणों और युवक के माता-पिता ने प्रशांत और उसकी पत्नी पर लड़की की युवक के साथ शादी को स्वीकार करने का दबाव बनाया।
लेकिन, प्रशांत ने यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि वह नाबालिग है और वह उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहती है। इसके बाद से इस मामले को लेकर दोनों पक्षों और गांव वालों के बीच कई बैठकें हुईं। हालांकि, प्रशांत अपने फैसले पर डंटे रहे।
इसके बाद, गांव वालों के फैसले को न मानने पर कंगारू कोर्ट ने परिवार पर सामाजिक बहिष्कार लगा दिया। सोशल मीडिया पर चल रहे इस घटनाक्रम के वीडियो में गांव के मुखिया स्थानीय बाजार में जाकर प्रशांत के परिवार के सामाजिक बहिष्कार की घोषणा करते नजर आ रहे हैं।
बीते महीने जून के शुरूआत में एक शादी समारोह के दौरान कुछ लोगों ने लाठी-डंडों से एक दलित परिवार पर हमला कर दिया। हमलावरों ने कथित तौर पर जाति-सूचक गालियां दीं, क्योंकि वे इस बात से नाराज थे कि उत्तर प्रदेश के रसरा में एक दलित परिवार मैरिज हॉल का इस्तेमाल कर रहा था। पुलिस ने मीडिया को ये जानकारी दी।
द ऑब्जर्वर की रिपोर्ट के अनुसार, एक घायल व्यक्ति राघवेंद्र गौतम ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कहा, “हम जश्न मना रहे थे, तभी अचानक कुछ लोगों का एक समूह आया और चिल्लाने लगा, ‘दलित हॉल में शादी कैसे कर सकते हैं?’ फिर उन्होंने सभी को पीटना शुरू कर दिया।”
यह हमला स्वयंवर मैरिज हॉल में रात करीब 10:30 बजे हुआ। दो लोग अजय कुमार और मनन कांत बुरी तरह घायल हो गए। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।
उधर, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से दलित उत्पीड़न का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया। चौरा-चौरी थाना क्षेत्र के दूधई गांव में एक शादी समारोह के दौरान दलित समाज के छह लोगों से केवल इसलिए मारपीट की गई कि उन्होंने भोजन करने के लिए पत्तल उठा ली। ये मामला 9 मई का है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, दूधई गांव के रहने वाले लालजी के घर शादी में गांव के ही दलित युवक दीनानाथ अपने परिवार के साथ पहुंचे थे। दीनानाथ का कहना था कि उन्हें न्यौता दिया गया था, लेकिन जब उन्होंने खाने के लिए पत्तल उठाई तो राजभर समाज के सोनू, रामचंद्र और भीम ने उन्हें रोकते हुए अपमानित किया और गाली-गलौज करते हुए वहां से भगा दिया।
मामला केवल शादी से भगाने तक नहीं थमा। पीड़ित परिवार किसी तरह वापस अपने घर लौट आया लेकिन देर रात आरोप था कि वही आरोपी अपने दूसरे साथियों के साथ दीनानाथ के घर पर लाठी-डंडों और चाकुओं से लैस होकर पहुंचे और पूरे परिवार पर हमला कर दिया। इस हमले में महिलाओं समेत छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। पीड़ितों ने थाने में शिकायत दर्ज कराई। इसके आधार पर पुलिस ने 11 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई।
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