जामिया यूनिवर्सिटी में छात्रों पर कार्रवाई, झड़पों व कैंपस से प्रतिबंध के मामलों में वृद्धि : आरटीआई

Written by sabrang india | Published on: July 2, 2025
पिछले दो वर्षों में जामिया यूनिवर्सिटी में अधिकारियों द्वारा निलंबन, परिसर प्रतिबंध और अन्य अनुशासनात्मक कार्रवाइयों का सामना करने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है। इसी अवधि में छात्रों के बीच झड़पों की घटनाओं में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है।


फोटो साभार : एक्सप्रेस

पिछले दो वर्षों के दौरान जामिया मिलिया इस्लामिया में निलंबन और परिसर में प्रवेश पर रोक जैसी अनुशासनात्मक कार्रवाइयों का सामना करने वाले छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ है। यह जानकारी टाइम्स ऑफ इंडिया को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मिली है।

रिपोर्ट के अनुसार, अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करने वाले छात्रों की संख्या 2019 में 17 थी, जो 2022 में बढ़कर 47 हो गई, फिर 2023 में यह आंकड़ा 105 तक पहुंच गया, जबकि 2024 में 74 छात्र ऐसे मामलों में शामिल रहे। इस तरह, बीते चार वर्षों में कुल 243 छात्रों पर कार्रवाई हुई।

आरटीआई के अनुसार, इस अवधि के दौरान छात्रों के बीच टकराव की घटनाओं में भी बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2023 और 2024 में ऐसे 42 मामले दर्ज किए गए।

हालांकि, 2020 और 2021 में कोविड-19 लॉकडाउन के चलते यूनिवर्सिटी में किसी भी प्रकार की झड़प की कोई घटना दर्ज नहीं की गई।

गौरतलब है कि 2019 के अंत में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ जामिया मिलिया इस्लामिया में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। 15 दिसंबर 2019 को, जब छात्र शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे, दिल्ली पुलिस ने एक असाधारण कदम उठाते हुए विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश किया। इस दौरान पढ़ाई कर रहे छात्रों पर कार्रवाई की गई, लाइब्रेरी में आंसू गैस के गोले छोड़े गए और बड़े पैमाने पर अराजकता का माहौल बन गया। इस पुलिस कार्रवाई में सौ से ज्यादा छात्र घायल हुए थे।

पिछले कुछ वर्षों में, एक अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान के रूप में जामिया मिलिया इस्लामिया अक्सर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की मुस्लिम समुदाय से जुड़ी नीतियों को लेकर केंद्र में रहा है।

द वायर ने तब एक रिपोर्ट में बताया था कि इस साल 13 फरवरी की सुबह विश्वविद्यालय के अंदर विरोध प्रदर्शन कर रहे 14 छात्रों को सोते समय जगाया गया और संस्थान के सुरक्षा गार्ड्स ने उन्हें जबरन उठाकर पुलिस के हवाले कर दिया। ये छात्र चार छात्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई को रद्द करने की मांग को लेकर धरने पर बैठे थे, जिन्हें एक स्मृति दिवस कार्यक्रम आयोजित करने के लिए निलंबित कर दिया गया था।

इस वर्ष की शुरुआत में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने निलंबन आदेश पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी थी। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर विश्वविद्यालय की प्रतिक्रिया की आलोचना करते हुए उसे ‘चिंताजनक’ करार दिया था।

गौरतलब है कि पिछले साल 29 नवंबर को जारी एक ज्ञापन में कहा गया था कि ‘विश्वविद्यालय परिसर के किसी भी हिस्से में किसी भी संवैधानिक पदाधिकारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, धरना या नारे लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।’ इसके अलावा, परिसर में ग्रैफिटी और पोस्टर लगाने पर 50,000 रुपये तक का जुर्माना है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि छात्रों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई में चेतावनी और कारण बताओ नोटिस से लेकर निलंबन और परिसर में प्रतिबंध तक शामिल हैं।

इसके अनुसार, 2023 में जामिया ने 71 कारण बताओ नोटिस जारी किए थे। 21 छात्रों से अच्छे आचरण के बॉन्ड पर हस्ताक्षर कराने को कहा गया और तीन छात्रों को परिसर में प्रवेश पर प्रतिबंधित किया गया था। वहीं, 2024 में 56 छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए, आठ को अच्छे आचरण के बॉन्ड पर रखा गया, चार को निलंबित किया गया और एक छात्र को परिसर से प्रतिबंधित किया गया।

इसके अलावा, पिछले छह वर्षों में विवादों से जुड़े कुल पांच एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिनमें से एक 2019 में और चार 2024 में दर्ज हुईं।

अखबार में कहा गया है, ‘एफआईआर ‘चोट पहुंचाने’ से संबंधित धाराओं के तहत दर्ज की गई थीं।

हालांकि, यूनिवर्सिटी ने आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(एच) का हवाला देते हुए कुछ विशिष्ट प्रावधानों का खुलासा करने से इनकार किया, क्योंकि ये ऐसे विवरण हैं जो जांच में बाधा डाल सकते हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2019 से 2024 के बीच जामिया ने कुल 27,000 रुपये का जुर्माना वसूला, जिसमें साल 2019 में 7,000 रुपये, 2022 में 4,000 रुपये, 2023 में 12,500 रुपये और 2024 में 3,500 रुपये शामिल हैं। कोविड-19 के कारण साल 2020 और 2021 में कोई जुर्माना वसूला नहीं गया। 

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