उत्तराखंड: पंचायत चुनाव की घोषणा के दो दिन बाद हाईकोर्ट ने आरक्षण नीति को लेकर चुनावी प्रक्रिया पर रोक लगाई

Written by sabrang india | Published on: June 26, 2025
उत्तराखंड में पंचायत चुनावों की तारीखों का ऐलान होने के बाद, एक व्यक्ति ने सरकार के मौजूदा आरक्षण रोटेशन को रद्द कर नए रोटेशन लागू करने के फैसले पर सवाल उठाए थे। इसके बाद हाईकोर्ट ने चुनावी कार्यवाहियों पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से आरक्षण नीति स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने को कहा है।


फोटो साभार : भास्कर इंग्लिश

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सोमवार 23 जून को राज्य में पंचायत चुनाव की तारीखों की घोषणा के दो दिन बाद, चुनाव से जुड़ी सभी प्रक्रियाओं पर रोक लगा दी।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, यह आदेश बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल की ओर से दायर याचिका पर आया है। याचिका में कहा गया था कि सरकार द्वारा पंचायत चुनावों में मौजूदा आरक्षण रोटेशन को रद्द कर नए रोटेशन प्रणाली को लागू करने के फैसले के कारण वे चुनाव लड़ने से वंचित रह गए हैं।

गौरतलब है कि आरक्षण रोटेशन प्रणाली के तहत निर्वाचन क्षेत्र तीन कार्यकालों के लिए अलग-अलग श्रेणियों के लिए आरक्षित किया जाता है, जिसके बाद आरक्षण दूसरी सीटों पर स्थानांतरित हो जाता है। लेकिन सरकार द्वारा मौजूदा रोटेशन को रद्द कर इस वर्ष से नई रोटेशन प्रणाली लागू करने के कारण, याचिकाकर्ता कांडपाल का कहना है कि जिस सीट पर पिछले तीन कार्यकालों से आरक्षण लागू था, वह इस बार भी आरक्षित रह गई है। इस वजह से वे चुनाव लड़ने से वंचित हो गए हैं।

याचिकाकर्ता ने यह तर्क दिया कि उच्च न्यायालय इस विषय में पहले ही दिशा-निर्देश जारी कर चुका है।

उल्लेखनीय है कि यह याचिका गुरुवार, 19 जून को दायर की गई थी और शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र तथा न्यायमूर्ति आलोक माहरा की खंडपीठ ने इस पर सुनवाई की।

सोमवार को अदालत ने इस मामले में आदेश दिया कि जब तक राज्य सरकार पंचायत चुनाव के लिए नए नियमों की अधिसूचना प्रस्तुत नहीं करती, तब तक चुनाव से जुड़ी सभी कार्यवाहियों पर रोक रहेगी। इसके साथ ही, अदालत ने राज्य सरकार को आरक्षण नीति पेश करने का निर्देश भी दिया है।

इस स्थगन आदेश के बाद पंचायती राज सचिव चंद्रेश कुमार ने कहा कि हाईकोर्ट ने पंचायत चुनावों पर अस्थायी रोक इसलिए लगाई है क्योंकि आरक्षण नियमावली 2025 के लिए अभी तक कोई गजट अधिसूचना जारी नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि इस सिलसिले में उन्होंने राजकीय मुद्रणालय, रुड़की से संपर्क किया है, ताकि गजट अधिसूचना की एक प्रति राज्य सरकार को उपलब्ध कराई जा सके। इसे अदालत में प्रस्तुत कर स्थगन आदेश हटवाने का प्रयास किया जा सके।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अदालत की गरिमा और उसके निर्देशों का पूर्ण पालन करने के साथ-साथ संविधान और कानून के अनुसार पंचायती राज व्यवस्था को संचालित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

गौर करने वाली बात है कि शनिवार को राज्य निर्वाचन आयोग ने उत्तराखंड के 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तारीखों की घोषणा की थी। घोषित कार्यक्रम में हरिद्वार को छोड़कर शेष सभी जिले शामिल थे।

आयोग के अनुसार, चुनाव दो चरणों में आयोजित किए जाने थे, जिसमें नामांकन प्रक्रिया 25 जून से शुरू होनी थी। पहले चरण का मतदान 10 जुलाई को और दूसरे चरण का मतदान 15 जुलाई को होना था, जबकि मतगणना 19 जुलाई को निर्धारित थी। शहरी क्षेत्रों और हरिद्वार जिले को छोड़कर राज्य के सभी इलाकों में आदर्श आचार संहिता लागू कर दी गई है।

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