महाराष्ट्र: बीएसएफ ने पश्चिम बंगाल के तीन निवासियों को बांग्लादेश भेजा, पश्चिम बंगाल सरकार के हस्तक्षेप के बाद लौटे वापस  

Written by sabrang india | Published on: June 18, 2025
तृणमूल कांग्रेस सांसद समीरुल इस्लाम ने बताया कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा सभी आवश्यक दस्तावेज मुहैया कराने के बावजूद मुंबई पुलिस ने इन मजदूरों को हिरासत में लिया।



मुंबई में काम करने वाले पश्चिम बंगाल के तीन लोगों को इस सप्ताह की शुरुआत में सीमा सुरक्षा बल (BSF) द्वारा कथित तौर पर बांग्लादेश भेज दिया गया था। रविवार, 15 जून 2025 को ये तीनों वापस भारत लौट आए।

मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा निवासी मिनाजुल शेख़ ने द हिंदू को बताया कि उसका भाई मिनारुल शेख़, जो मुंबई में काम करता था, वहां से उठाया गया और फिर जबरन बांग्लादेश भेज दिया गया। मिनारुल शेख के साथ दो अन्य मजदूरों को भी बांग्लादेश भेजा गया।

ये तीनों मजदूर — मुर्शिदाबाद के मिनारुल शेख और निज़ामुद्दीन शेख, तथा पूर्व बर्दवान के मुस्तफा कमाल शेख — ने अपने परिजनों को एक वीडियो संदेश भेजा जिसमें वे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य के अन्य जनप्रतिनिधियों से भारत वापसी की गुहार लगाते दिखाई दिए।

यह तब हुआ जब पश्चिम बंगाल सरकार ने इस मुद्दे को उठाया। इसके बाद रविवार दोपहर, इन मजदूरों को बांग्लादेश के मेखलिगंज बॉर्डर के रास्ते भारत लाया गया। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और प्रवासी कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष समीरुल इस्लाम ने कहा कि मुंबई में जब मजदूरों को हिरासत में लिया गया, तब राज्य सरकार ने उनके सभी दस्तावेज प्रस्तुत कर दिए थे।

इस्लाम ने कहा, “जो हुआ वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और अवैध है। ये भारत के नागरिक हैं, इन्हें इस तरह जबरन बांग्लादेश नहीं भेजा जा सकता।”

एक्स (पूर्व ट्विटर) पर उन्होंने लिखा, “मुख्यमंत्री @MamataOfficial के नेतृत्व और सक्रिय हस्तक्षेप के चलते हम आखिरकार उन सात भारतीय नागरिकों को वापस लाने में सफल हुए जिन्हें बीएसएफ ने अवैध रूप से बांग्लादेश भेज दिया था। महाराष्ट्र पुलिस ने पहले उन्हें बांग्लादेशी होने के संदेह में हिरासत में लिया और फिर बीएसएफ को सौंप दिया, जिसने इन्हें सिर्फ इसलिए बांग्लादेश भेज दिया क्योंकि वे बंगाली बोलते थे। उन्होंने भारतीय नागरिक होने के तमाम प्रमाण प्रस्तुत किए, फिर भी उन्हें निर्वासित कर दिया गया।”

मेरे कुछ सवाल हैं:

1. महाराष्ट्र पुलिस ने पश्चिम बंगाल सरकार को सूचित किए बिना इन प्रवासी मजदूरों को बीएसएफ को कैसे सौंप दिया?

2. बीएसएफ ने उन्हें जबरन दूसरे देश भेजने से पहले स्थानीय प्रशासन से उनकी पहचान की पुष्टि क्यों नहीं की?

3. क्या यह बीजेपी-शासित राज्यों और बीएसएफ द्वारा बंगाली भाषी प्रवासी मजदूरों को निशाना बनाने और प्रताड़ित करने की किसी संगठित योजना का हिस्सा है?

हम इस मुद्दे को ऐसे ही नहीं जाने देंगे। इस अन्याय के पीछे की सच्चाई सामने लाएंगे और न्याय सुनिश्चित करेंगे।



पुष्टि और प्रतिक्रिया

मेखलिगंज थानाध्यक्ष मणि भूषण सरकार ने बताया कि उन्हें मुर्शिदाबाद और बर्दवान के थानों से यह सूचना मिली थी कि कुछ भारतीय नागरिक बांग्लादेश में हैं। इसके बाद उन्होंने बीएसएफ और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश को इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया, “सीमा पर फ्लैग मीटिंग के बाद तीनों नागरिकों को हमें सौंपा गया।” सूत्रों के अनुसार, इन लोगों को शुक्रवार रात भारत-बांग्लादेश सीमा से किसी अज्ञात स्थान पर बांग्लादेश भेज दिया गया था।

पृष्ठभूमि: बीएसएफ का 'पुश बैक' अभियान

2025 के मध्य मई से, भारत के कुछ प्रशासनिक विभागों ने गुप्त रूप से और बिना किसी सार्वजनिक सूचना के, देशभर में हिरासत में लिए गए दस्तावेज़-विहीन बांग्लादेशी प्रवासियों को पूर्वी सीमा से ज़बरदस्ती वापस भेजने का अभियान (पुश बैक) शुरू किया है। बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) ने विशेष रूप से बिना दस्तावेज़ों वाले प्रवासियों को लेकर चिंता जताई है।

बीएसएफ ने अब तक इस "पुश बैक" अभियान पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। जहां असम और त्रिपुरा में बांग्लादेशी नागरिकों को वापस भेजे जाने की घटनाएं सामने आई हैं, वहीं इस बार पश्चिम बंगाल के भारतीय नागरिकों को बांग्लादेश भेज दिया गया।

असम में सबसे आक्रामक कार्रवाई

इस बीच, असम में इस नीति का सबसे कठोर रूप देखने को मिला है। सिटिज़न्स फॉर जस्टिस एंड पीस (CJP) इस मुद्दे पर सबसे मुखर संगठन रहा है। इसने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) और गुवाहाटी उच्च न्यायालय दोनों के समक्ष दस्तावेज सौंपे हैं। NHRC को दिए गए ज्ञापनों में, यह दर्शाया गया है कि असम पुलिस ने बिना कोई सूचना दिए लोगों को हिरासत में लिया और निर्वासित कर दिया, जबकि उनके पास भारतीय नागरिक होने के दस्तावेज़ मौजूद थे।

पिछले महीने के दौरान इस विषय पर जो मीडिया कवरेज हुई है, वह इस मुद्दे की गंभीरता को उजागर करती है।

Related

असम: नेता प्रतिपक्ष देबब्रत सैकिया ने सरमा के कदम को पक्षपातपूर्ण और गैरकानूनी बताते हुए नागरिकों की "पुशबैक" की प्रक्रिया को तुरंत रोकने की मांग की

बाकी ख़बरें