गुजरात के अहमदाबाद में प्रशासन ने भीड़ की हिंसा के आरोपियों के ‘अवैध’ घरों को ध्वस्त किया

Written by sabrang india | Published on: March 18, 2025
अमराईवाड़ी और खोखर इलाकों में 15 मार्च को नगर निगम ने भारी पुलिस बल के साथ 14 आरोपियों में से छह आरोपियों के ‘अवैध रूप से बने’ घरों को ध्वस्त कर दिया।


प्रतीकात्मक तस्वीर ; साभार : इंडिया टूडे

अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) के अधिकारियों ने गत शनिवार 15 मार्च को भीड़ द्वारा हिंसा के 14 आरोपियों में से छह आरोपियों के ‘अवैध रूप से बने’ घरों को ध्वस्त कर दिया।

स्थानीय पुलिस के अनुसार, इन आरोपियों में एक आरोपी नाबालिग भी है। इन सभी को राहगीरों पर हमला करने और दंगा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था जिसमें तीन लोग घायल हो गए और कई वाहनों को नुकसान पहुंचा।

न्यूज एजेंसी पीटीआई को पुलिस अधिकारी ने बताया कि अमराईवाड़ी और खोखर इलाकों में एएमसी ने भारी पुलिस बल की मौजूदगी में तोड़फोड़ की। इस दौरान 700-800 पुलिसकर्मी मौजूद थे। आरोपियों के परिवार के सदस्यों द्वारा इस प्रक्रिया को बाधित करने के प्रयास विफल हो गए, क्योंकि पुलिस ने उन्हें काबू में कर लिया।

रिपोर्ट के अनुसार, जिस हिंसा का इन लोगों पर आरोप है, वह गुरुवार रात को उस समय भड़की जब लाठी, तलवार और चाकुओं के साथ करीब 20 लोगों की भीड़ ने वस्त्राल इलाके में वाहनों को नुकसान पहुंचाया और लोगों से मार पीट की।

पुलिस ने अलाप सोनी की शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की। इसने बताया कि कैसे उसके परिवार की सैर ‘असामाजिक तत्वों’ द्वारा हमला के बाद एक बेहद ख़राब अनुभव में बदल गई।

आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है जिसमें हत्या का प्रयास, गैरकानूनी रूप से इकट्ठा होना, दंगा करना और गलत तरीके से रोकना शामिल है।

रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस द्वारा कुछ आरोपियों को सार्वजनिक रूप से डंडे मारने के कथित वीडियो भी सामने आए हैं लेकिन पुलिस उपायुक्त बलदेव देसाई ने दावा किया कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, गुजरात के पुलिस महानिदेशक विकास सहाय ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में शीर्ष पुलिस अधिकारियों को अगले 100 घंटों के भीतर ‘असामाजिक तत्वों’ की पहचान करने और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया। जबरन वसूली, धमकी, चोरी और शराबबंदी व जुआ सहित अवैध कारोबार जैसे अपराधों में शामिल बार-बार अपराध करने वालों पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसके अलावा, अधिकारियों को सरकारी जमीन पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण सहित संपत्ति से जुड़े अपराधों पर नकेल कसने के लिए कहा गया है।

अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे पहचाने गए आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करें, खास तौर पर उनकी अवैध गतिविधियों जैसे कि भूमि अतिक्रमण, अनाधिकृत निर्माण और अवैध बिजली कनेक्शनों पर ध्यान दें। इसके अलावा, डीजीपी ने निर्देश दिया कि अगर इनमें से कोई भी व्यक्ति जमानत पर बाहर रहते हुए अवैध गतिविधियों में शामिल पाया जाता है, तो उसकी जमानत रद्द कर दी जानी चाहिए।

ज्ञात हो कि पिछले साल 13 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा था कि किसी व्यक्ति के घर को कानूनी प्रक्रिया के बिना ध्वस्त करना ‘पूरी तरह से असंवैधानिक’ है।

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