शिक्षकों ने उन्हें ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए मजबूर किया, उनके कपड़े उतार दिए गए और स्कूल के वॉशरूम में बेरहमी से पीटा तथा सब कुछ रिकॉर्ड कर लिया। शिक्षकों ने किसी से शिकायत करने पर वीडियो सार्वजनिक करने की धमकी दी।
साभार : द ऑब्जर्वर पोस्ट
दिल्ली के एक सरकारी स्कूल के कई मुस्लिम छात्रों ने शिक्षकों द्वारा दुर्व्यवहार और भेदभाव के गंभीर आरोप लगाए हैं।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर-पूर्वी दिल्ली के नंद नगरी इलाके में सर्वोदय बाल विद्यालय के छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट के वकील अशोक अग्रवाल को एक पत्र लिखकर अपनी शिकायतें दर्ज कराई हैं।
छात्रों ने नाम न बताने की शर्त पर पत्र में बताया कि कैसे उन्हें इस्लामोफोबिक गालियां दी गईं और उन्हें पीटा गया। शिक्षकों ने उन्हें ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए मजबूर किया, उनके कपड़े उतार दिए गए और स्कूल के वॉशरूम में बेरहमी से पीटा तथा सब कुछ रिकॉर्ड कर लिया। शिक्षकों ने किसी से शिकायत करने पर वीडियो सार्वजनिक करने की धमकी दी।
छात्रों ने दुर्व्यवहार करने वालों में आदर्श शर्मा, विकास कुमार और अन्य का नाम बताया। पत्र में लिखा, “कृपया आदर्श शर्मा जी और विकास कुमार और अन्य के खिलाफ कार्रवाई करें। विभागीय कार्रवाई की जानी चाहिए और उन्हें स्कूल से हटाकर पुलिस केस दर्ज किया जाना चाहिए ताकि छात्रों को स्कूल में भेदभाव का सामना न करना पड़े।
इस पत्र में यह भी कहा गया है कि मुस्लिम और दलित छात्रों को कक्षा में पीछे बैठाया जाता था। मुस्लिम छात्रों से कहा जाता था कि उन्हें देश छोड़ देना चाहिए, जबकि दलितों से कहा जाता था कि उन्हें शिक्षा पाने का कोई अधिकार नहीं है।
जब छात्रों ने उन्हें अपने साथ हो रहे भेदभाव के बारे में बताया कि एडवोकेट अग्रवाल 7 अगस्त को उनके स्कूल गए। वकील ने पत्र की एक प्रति एलजी, मुख्यमंत्री, शिक्षा विभाग के निदेशक और दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष को भेजी।
एडवोकेट अग्रवाल ने पूर्व शिक्षा निदेशक आरएन शर्मा को इस बारे में सूचित किया, जब उन्हें ग्यारहवीं कक्षा के एक छात्र ने बताया कि शिक्षक केवल उनकी धार्मिक पहचान के कारण भेदभाव कर रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
कथित तौर पर उन्होंने प्रिंसिपल को भी सूचित किया लेकिन शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय प्रिंसिपल ने उन्हें केवल शिकायतों के बारे में बताया जिससे छात्रों के साथ बुरा हुआ क्योंकि शिक्षक उन्हें और भी परेशान करने लगे।
मुख्यमंत्री आतिशी सिंह को लिखे पत्र में अग्रवाल ने मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि एक खास पार्टी के एजेंडे के चलते ऐसा भेदभाव हो रहा है। उनके मुताबिक सरकार मुस्लिम छात्रों की मदद करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है, क्योंकि ऐसा करने से उनकी राजनीति पर असर पड़ सकता है।
साभार : द ऑब्जर्वर पोस्ट
दिल्ली के एक सरकारी स्कूल के कई मुस्लिम छात्रों ने शिक्षकों द्वारा दुर्व्यवहार और भेदभाव के गंभीर आरोप लगाए हैं।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर-पूर्वी दिल्ली के नंद नगरी इलाके में सर्वोदय बाल विद्यालय के छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट के वकील अशोक अग्रवाल को एक पत्र लिखकर अपनी शिकायतें दर्ज कराई हैं।
छात्रों ने नाम न बताने की शर्त पर पत्र में बताया कि कैसे उन्हें इस्लामोफोबिक गालियां दी गईं और उन्हें पीटा गया। शिक्षकों ने उन्हें ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए मजबूर किया, उनके कपड़े उतार दिए गए और स्कूल के वॉशरूम में बेरहमी से पीटा तथा सब कुछ रिकॉर्ड कर लिया। शिक्षकों ने किसी से शिकायत करने पर वीडियो सार्वजनिक करने की धमकी दी।
छात्रों ने दुर्व्यवहार करने वालों में आदर्श शर्मा, विकास कुमार और अन्य का नाम बताया। पत्र में लिखा, “कृपया आदर्श शर्मा जी और विकास कुमार और अन्य के खिलाफ कार्रवाई करें। विभागीय कार्रवाई की जानी चाहिए और उन्हें स्कूल से हटाकर पुलिस केस दर्ज किया जाना चाहिए ताकि छात्रों को स्कूल में भेदभाव का सामना न करना पड़े।
इस पत्र में यह भी कहा गया है कि मुस्लिम और दलित छात्रों को कक्षा में पीछे बैठाया जाता था। मुस्लिम छात्रों से कहा जाता था कि उन्हें देश छोड़ देना चाहिए, जबकि दलितों से कहा जाता था कि उन्हें शिक्षा पाने का कोई अधिकार नहीं है।
जब छात्रों ने उन्हें अपने साथ हो रहे भेदभाव के बारे में बताया कि एडवोकेट अग्रवाल 7 अगस्त को उनके स्कूल गए। वकील ने पत्र की एक प्रति एलजी, मुख्यमंत्री, शिक्षा विभाग के निदेशक और दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष को भेजी।
एडवोकेट अग्रवाल ने पूर्व शिक्षा निदेशक आरएन शर्मा को इस बारे में सूचित किया, जब उन्हें ग्यारहवीं कक्षा के एक छात्र ने बताया कि शिक्षक केवल उनकी धार्मिक पहचान के कारण भेदभाव कर रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
कथित तौर पर उन्होंने प्रिंसिपल को भी सूचित किया लेकिन शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय प्रिंसिपल ने उन्हें केवल शिकायतों के बारे में बताया जिससे छात्रों के साथ बुरा हुआ क्योंकि शिक्षक उन्हें और भी परेशान करने लगे।
मुख्यमंत्री आतिशी सिंह को लिखे पत्र में अग्रवाल ने मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि एक खास पार्टी के एजेंडे के चलते ऐसा भेदभाव हो रहा है। उनके मुताबिक सरकार मुस्लिम छात्रों की मदद करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है, क्योंकि ऐसा करने से उनकी राजनीति पर असर पड़ सकता है।