इस मेले का आयोजन वर्षों से मुस्लिम समाज द्वारा किया जा रहा है। ये दीपावली मेला हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक बन चुका है।
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के स्याना में मुस्लिम समाज द्वारा दीपावली मेले का आयोजन किया गया। इस मेले के आयोजन हापुड़ बस स्टैंड में किया गया। बतौर मुख्य अतिथि इस मेले का उद्घाटन करते हुए क्षेत्राधिकारी वंदना मिश्रा ने कहा कि ये मेले हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं और यह नगर की गौरवशाली परंपरा है। इस मेले में बच्चों से लेकर बुज़ुर्ग तक, दूर-दूर से लोग आते हैं। यह मेला स्याना नगर की पहचान है। इस मेले में आम जनता का उत्साह देखते ही बनता है।
बता दें कि इस मेले का आयोजन वर्षों से मुस्लिम समाज द्वारा किया जा रहा है। ये दीपावली मेला हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक बन चुका है। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, उपजिलाधिकारी कुंवर बहादुर सिंह ने ऐतिहासक आयोजन एवं सांप्रदायिक सौहार्द के लिए आयोजकों की सराहना की। क्षेत्राधिकारी ने फीता काटकर मेले का उद्घाटन किया। उपजिलाधिकारी एवं क्षेत्राधिकारी ने मेले में लगे स्टाल आदि का अवलोकन किया। इससे पूर्व समारोह स्थल आगमन पर आयोजक मौलाना रिफाकत अली, मौलाना अब्दुल अली आदि ने अतिथियों का स्वागत किया। राजन शर्मा, नितिन त्यागी, नरेंद्र त्यागी आदि ने विचार रखे।
ज्ञात हो कि एक तरफ जहां देश भर में बंटेंगे तो कटेंगे के नारे गूंज रहे हैं वहीं दूसरी तरफ हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक के तौर पर विभिन्न त्योहारों पर दोनों समाज के लोग सदभाव की मिसाल पेश कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में जहां दीपावली के मेले का आयोजन मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा किया जाता है वहीं झारखंड के दुमका ज़िले के शिकारीपाड़ा प्रखंड के ढेबाडीह गांव में मुस्लिम समुदाय के लोगों के सहयोग से काली पूजा की जाती है। इस गांव में करीब 4,500 से ज़्यादा मुस्लिम रहते हैं और यहां सिर्फ एक हिंदू परिवार रहता है। इस गांव में दीपावली के दिन मेले का आयोजन किया जाता है और विसर्जन भी मुस्लिम के लोग भी साथ में होते हैं।
ईटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, वाराणसी में दीपावली पर लमही के सुभाष भवन में मुस्लिम महिला फाउंडेशन एवं विशाल भारत संस्थान के प्रोग्राम में मुस्लिम महिलाओं ने अपने हाथों से रंगोली बनाई। भगवान श्रीराम की प्रतिमा को पुष्पों से सजाया और भगवान राम की आरती गायी। इन मुस्लिम महिलाओं का मानना है कि राम नाम के दीपक से दुनिया में नफरत का अंधकार खत्म हो सकता है।
पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास महाराज ने श्रीराम स्तुति की। आरती में मुस्लिम महिलाओं का साथ दिया और भेदभाव खत्म करने का संदेश दिया। हिन्दू और मुसलमानों को एक दूसरे के करीब लाने, दिलों को जोड़ने और सांस्कृतिक एकता की स्थापना के लिये मुस्लिम महिलाओं का यह प्रयोग सबसे कारगर साबित हुआ। मुस्लिम महिलाएं वर्ष 2006 से भगवान श्रीराम की आरती कर सांप्रदायिक एकता और सौहार्द्र का संदेश देती आ रही हैं।
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के स्याना में मुस्लिम समाज द्वारा दीपावली मेले का आयोजन किया गया। इस मेले के आयोजन हापुड़ बस स्टैंड में किया गया। बतौर मुख्य अतिथि इस मेले का उद्घाटन करते हुए क्षेत्राधिकारी वंदना मिश्रा ने कहा कि ये मेले हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं और यह नगर की गौरवशाली परंपरा है। इस मेले में बच्चों से लेकर बुज़ुर्ग तक, दूर-दूर से लोग आते हैं। यह मेला स्याना नगर की पहचान है। इस मेले में आम जनता का उत्साह देखते ही बनता है।
बता दें कि इस मेले का आयोजन वर्षों से मुस्लिम समाज द्वारा किया जा रहा है। ये दीपावली मेला हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक बन चुका है। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, उपजिलाधिकारी कुंवर बहादुर सिंह ने ऐतिहासक आयोजन एवं सांप्रदायिक सौहार्द के लिए आयोजकों की सराहना की। क्षेत्राधिकारी ने फीता काटकर मेले का उद्घाटन किया। उपजिलाधिकारी एवं क्षेत्राधिकारी ने मेले में लगे स्टाल आदि का अवलोकन किया। इससे पूर्व समारोह स्थल आगमन पर आयोजक मौलाना रिफाकत अली, मौलाना अब्दुल अली आदि ने अतिथियों का स्वागत किया। राजन शर्मा, नितिन त्यागी, नरेंद्र त्यागी आदि ने विचार रखे।
ज्ञात हो कि एक तरफ जहां देश भर में बंटेंगे तो कटेंगे के नारे गूंज रहे हैं वहीं दूसरी तरफ हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक के तौर पर विभिन्न त्योहारों पर दोनों समाज के लोग सदभाव की मिसाल पेश कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में जहां दीपावली के मेले का आयोजन मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा किया जाता है वहीं झारखंड के दुमका ज़िले के शिकारीपाड़ा प्रखंड के ढेबाडीह गांव में मुस्लिम समुदाय के लोगों के सहयोग से काली पूजा की जाती है। इस गांव में करीब 4,500 से ज़्यादा मुस्लिम रहते हैं और यहां सिर्फ एक हिंदू परिवार रहता है। इस गांव में दीपावली के दिन मेले का आयोजन किया जाता है और विसर्जन भी मुस्लिम के लोग भी साथ में होते हैं।
ईटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, वाराणसी में दीपावली पर लमही के सुभाष भवन में मुस्लिम महिला फाउंडेशन एवं विशाल भारत संस्थान के प्रोग्राम में मुस्लिम महिलाओं ने अपने हाथों से रंगोली बनाई। भगवान श्रीराम की प्रतिमा को पुष्पों से सजाया और भगवान राम की आरती गायी। इन मुस्लिम महिलाओं का मानना है कि राम नाम के दीपक से दुनिया में नफरत का अंधकार खत्म हो सकता है।
पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास महाराज ने श्रीराम स्तुति की। आरती में मुस्लिम महिलाओं का साथ दिया और भेदभाव खत्म करने का संदेश दिया। हिन्दू और मुसलमानों को एक दूसरे के करीब लाने, दिलों को जोड़ने और सांस्कृतिक एकता की स्थापना के लिये मुस्लिम महिलाओं का यह प्रयोग सबसे कारगर साबित हुआ। मुस्लिम महिलाएं वर्ष 2006 से भगवान श्रीराम की आरती कर सांप्रदायिक एकता और सौहार्द्र का संदेश देती आ रही हैं।