शिक्षा से खिलवाड़ बहुत सालों से हो रही है, और अब यह बहुत तेजी से हो रही है। ये मिलिट्री टाइप का अपब्रिंगिंग चाहते हैं। बस जो है वो है, उसमें कोई सवाल नहीं है और न कोई सवाल करेगा...।
किताबों का क्या भगवाकरण हो रहा है। क्या अब हमारे किताबों के ज़रिए केवल एक विचारधारा की जानकारी बच्चों को पढ़ाई जा रही है। डार्विन थ्योरी को गायब कर अब बच्चों को अंधभक्त बनाने की तैयारी की जा रही है! इन सब प्रश्नों का उत्तर वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सेतलवाड़ ने एक वीडियो पोडकास्ट में इन सबका उत्तर दिया।
उन्होंने एंकर के प्रश्नों के उत्तर में कहा, शिक्षा से खिलवाड़ बहुत सालों से हो रही है, और अब यह बहुत तेजी से हो रही है। ये मिलिट्री टाइप का अपब्रिंगिंग चाहते हैं। बस जो है वो है, उसमें कोई सवाल नहीं है और न कोई सवाल करेगा...। जहां पर भी सत्ता कोई धर्म के साथ जुड़ जाए तो ये बहुत खतरनाक होता है सोच के लिए, संविधान के लिए और इतिहास के लिए। हम आरएसएस के लोगों को इंस्टिट्यूशन में क्यों अपोज करते हैं क्योंकि आरएसएस की बुनियादी सोच गैर संवैधानिक है।
किताबों का क्या भगवाकरण हो रहा है। क्या अब हमारे किताबों के ज़रिए केवल एक विचारधारा की जानकारी बच्चों को पढ़ाई जा रही है। डार्विन थ्योरी को गायब कर अब बच्चों को अंधभक्त बनाने की तैयारी की जा रही है! इन सब प्रश्नों का उत्तर वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सेतलवाड़ ने एक वीडियो पोडकास्ट में इन सबका उत्तर दिया।
उन्होंने एंकर के प्रश्नों के उत्तर में कहा, शिक्षा से खिलवाड़ बहुत सालों से हो रही है, और अब यह बहुत तेजी से हो रही है। ये मिलिट्री टाइप का अपब्रिंगिंग चाहते हैं। बस जो है वो है, उसमें कोई सवाल नहीं है और न कोई सवाल करेगा...। जहां पर भी सत्ता कोई धर्म के साथ जुड़ जाए तो ये बहुत खतरनाक होता है सोच के लिए, संविधान के लिए और इतिहास के लिए। हम आरएसएस के लोगों को इंस्टिट्यूशन में क्यों अपोज करते हैं क्योंकि आरएसएस की बुनियादी सोच गैर संवैधानिक है।