तिरुपति लड्डू विवाद पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- भगवान को राजनीति से दूर रखना चाहिए

Written by sabrang india | Published on: September 30, 2024
कोर्ट ने कहा कि भगवान को राजनीति से दूर रखना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि रिपोर्ट जुलाई में आई थी, लेकिन दो महीने बाद ऐसा बयान क्यों दिया गया?


साभार : आज तक (फाइल फोटो)

तिरुपति लड्डू मामले में सुनवाई के दौरान सोमवार, 30 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि भगवान को राजनीति से दूर रखना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि रिपोर्ट जुलाई में आई थी, लेकिन दो महीने बाद ऐसा बयान क्यों दिया गया? इस विवाद पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ सुनवाई कर रही है।

एबीपी न्यूज के अनुसार, सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से पेश हुए वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दलील देते हुए कहा, "इस तरह के बयानों का लोगों पर व्यापक असर पड़ता है। जब मुख्यमंत्री ने ऐसा बयान दिया, तो राज्य सरकार से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती।"

वकील ने सवाल उठाया कि घी सप्लाई करने वाला सप्लायर कौन था? क्या इस तरह अचानक जांच की कोई व्यवस्था है? उन्होंने कहा कि मामले की निगरानी कोर्ट को करनी चाहिए। राज्य सरकार की ओर से पेश हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि स्वामी खुद टीटीडी ट्रस्ट से जुड़े रहे हैं। क्या उनकी याचिका को निष्पक्ष कहा जा सकता है?

मुकुल रोहतगी ने कहा कि सुब्रमण्यम स्वामी का मकसद साफ है; वह राज्य सरकार पर निशाना साधना चाहते हैं। इस पर जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि स्वामी कह रहे हैं कि सैंपल उस घी का लिया गया, जिसे टीटीडी ट्रस्ट ने इस्तेमाल नहीं किया। जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि जब जांच जारी है, तो बीच में ऐसा बयान क्यों दिया? मुख्यमंत्री का पद एक संवैधानिक पद है।

जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि जुलाई में रिपोर्ट आने के दो महीने बाद बयान दिया गया। जब आप सुनिश्चित नहीं थे कि सैंपल किस घी का लिया गया, तो बयान क्यों दिया? राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वकील सिद्धार्थ लूथरा ने बताया कि 50 साल से कर्नाटक के कोऑपरेटिव 'नंदिनी' से घी लिया जा रहा था, लेकिन पिछली सरकार ने इसे बदल दिया।

इस पर जस्टिस गवई ने वकील से पूछा कि बिना तथ्यों की पूरी तरह पुष्टि के बयान देना क्यों जरूरी था? राज्य सरकार के वकील ने बताया कि जुलाई में कब-कब घी आया और किस सैंपल को जांच के लिए भेजा गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भगवान को राजनीति से दूर रखना चाहिए।

सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा कि आपने 26 सितंबर को एसआईटी बनाई, लेकिन बयान उससे पहले ही दे दिया। जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि आप कह सकते थे कि पिछली सरकार में घी का टेंडर गलत आवंटित हुआ, लेकिन आपने सीधे प्रसाद पर ही सवाल उठा दिया।

बता दें कि न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड ने लड्डू में चर्बी और बीफ पाए जाने की बात सामने लाई थी। चौंकाने वाली बात यह है कि प्रसाद के रूप में इन लड्डुओं का वितरण न केवल श्रद्धालुओं के बीच किया गया, बल्कि भगवान को भी यही लड्डू चढ़ाया जाता था।

रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की जांच में तिरुपति मंदिर के लड्डू और अन्नदानम के सैंपल में यह खुलासा हुआ। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद आंध्र प्रदेश में राजनीतिक तूफान उठ खड़ा हुआ। मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने वाईएस जगन मोहन रेड्डी पर आरोप लगाया कि पिछली वाईएसआरसीपी सरकार ने तिरुमला में लड्डू तैयार करने के लिए घी की जगह जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया।

Related

तिरुमला मंदिर का प्रसाद: लड्डू में घी की जगह मछली का तेल?  

बाकी ख़बरें