बंगाली भाषी मुस्लिम मज़दूरों पर हमला करने और उन्हें असम छोड़ने की धमकी देने के आरोप में भाजपा नेता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है, और असमिया मुस्लिम गायक को विरोध गीत “मिया बिहू” के लिए गिरफ्तार किया गया है।
असमिया मूलनिवासी समूहों द्वारा बंगाली मुसलमानों को पूर्वी असम के जिलों से बाहर जाने के आह्वान के बीच, 24 अगस्त 2024 को चराईदेव जिले में इस समुदाय के मज़दूरों के एक समूह पर उनके कार्यस्थल पर हमला किया गया।
पूर्वी असम के चराईदेव जिले के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता मयूर बोरगोहेन के खिलाफ राज्य में बंगाली भाषी मुस्लिम (मिया मुस्लिम) मज़दूरों पर हमला करने और उन्हें धमकाने के आरोप में 26 अगस्त को प्राथमिकी दर्ज की गई है। भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं जैसे ग़ैरक़ानूनी सभा, दंगा, घातक हथियारों से लैस होने, चोट पहुंचाने, दुश्मनी को बढ़ावा देने और आपराधिक धमकी के तहत यह प्राथमिकी दर्ज की गई है। पश्चिमी असम के बारपेटा जिले के रहने वाले मज़दूरों को चराईदेव में एक कौशल विकास केंद्र के निर्माण के लिए बोरगोहेन ने नियुक्त किया था।
कश्मीरियत की रिपोर्ट के अनुसार, एक मज़दूर राजीबुल हक ने आरोप लगाया कि बार-बार याद दिलाने के बावजूद बोरगोहेन ने 15 लाख रुपये के बकाया बिल का भुगतान नहीं किया था। 24 अगस्त की रात लगभग 10:30 बजे 14-15 नकाबपोश लोगों के एक समूह ने कथित तौर पर बोरगोहेन के आदेश पर मज़दूरों को झुकने के लिए मजबूर किया और खंजर, बंदूक, लाठी और प्लास्टिक के पाइप से उन पर हमला किया। हमलावरों ने मज़दूरों को जान से मारने की धमकी दी और मांग की कि वे अपना बकाया वेतन लिए बिना ज़िला छोड़ दें।
25 अगस्त की सुबह चराईदेव जिले के नाज़िरा शहर से भागे सद्दाम अहमद ने कहा, "हम मिया मुसलमान हैं और वे हमें मज़दूरी नहीं देना चाहते थे, इसलिए उन्होंने हमें पीटा।" सद्दाम ने 11 अन्य निर्माण श्रमिकों के साथ 24 अगस्त को चराईदेव जिले के डोलबागान गांव के पास एक जंगल में छिपकर रात बिताई थी।
सद्दाम ने घटना को याद करते हुए कहा, "पूरे दिन चिलचिलाती गर्मी में काम करने के बाद हम किसी भी अन्य दिन की तरह आराम कर रहे थे। रात करीब 10:30 बजे 14-15 नकाबपोश लोग हमारे कमरे में आए और हमें बाहर आने के लिए कहा। वे खंजर, तलवारें, डंडे और पाइप लेकर आए थे।"
इन मज़दूरों ने आरोप लगाया कि उन्हें "आतासु जिंदाबाद, जोई आई अहोम" बोलने के लिए कहा गया। इस दौरान वे पीटते रहे। अखिल असम ताई अहोम छात्र संघ (AATASU) असम में अहोम समुदाय का एक छात्र संगठन है।
नकाबपोश लोगों के समूह द्वारा किए गए हमलों और उत्पीड़न के बारे में बोलते हुए सद्दाम ने बताया कि, “उनमें से तीन लोग हमें लाठियों से पीटते रहे। जब एक ने मारना छोड़ दिया, तो दूसरे ने पीटना शुरू कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर पुलिस के पास गए या प्रेस से बात की तो हम तुम्हें मार देंगे।”
मक्तूब मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, नागांव जिले के धींग इलाके में 14 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार के बाद असम में मिया-विरोधी सेंटिमेंट्स बढ़ रहे हैं। इस वारदात में एक आरोपी मिया मुस्लिम था और अन्य दो की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है।
पीड़ितों की पहचान राजीबुल हक, अहदुल खान, अमीनुल हक, अमीरुल हक, सुरत जमाल, असीर उद्दीन, सद्दाम हुसैन, अली हसन और असबुल हक के रूप में की गई है। उन्होंने अपनी शिकायत के साथ हमले का एक वीडियो भी उपलब्ध कराया है। आगे होने वाली हिंसा के डर से वे उसी रात ज़िले से भाग गए और उम्मीद है कि वे पुलिस के सामने अपना बयान दर्ज कराएंगे।
यह घटना असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा 21 अगस्त को फेसबुक लाइव वीडियो स्ट्रीम करते समय की गई हालिया टिप्पणियों के परिणामस्वरूप हुई है, जिसमें उन्होंने मई 2024 से महिलाओं और कुछ अन्य समुदायों के खिलाफ अपराधों को गिनाया था। इसमें उन्होंने "मिया मुसलमानों" पर अपराधी होने का आरोप लगाया था।
Article 14 की रिपोर्ट के अनुसार, “मिया” एक अपमानजनक शब्द है जिसका इस्तेमाल मुख्यमंत्री असम में बंगाली बोलने वाले मुसलमानों को बताने के लिए अक्सर करते हैं, जिन्हें मूल आबादी में से कई लोग नियमित रूप से “बहिरागता” (बाहरी) और बांग्लादेश से आए “अवैध अप्रवासी” के रूप में बदनाम करते हैं।
साथ ही, लगभग 30 संगठनों ने धींग बलात्कार मामले के बाद मिया मुसलमानों को 7 दिनों के भीतर ऊपरी असम छोड़ने की समय सीमा जारी की है।
विरोध गीत “मिया बिहू” के लिए असमिया मुस्लिम गायक गिरफ्तार
31 अगस्त को असम में 31 वर्षीय बंगाली भाषी मुस्लिम गायक अल्ताफ हुसैन को पिछले महीने जारी किए गए एक विरोध गीत के माध्यम से राज्य के जातीय समुदायों के खिलाफ नफ़रत भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। एक स्थानीय युवक ने उनके खिलाफ अभयपुरी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी, और मामला गौरीपुरा को भेजा गया था, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
अल्ताफ के वकील आदम अली ने कहा कि उनके मुवक्किल पर भारतीय दंड संहिता की धारा 196 (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 299 (किसी धर्म या धार्मिक भावनाओं का अपमान करने का जानबूझकर प्रयास) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
अली ने कहा, "शिकायतकर्ता ने पुलिस कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि अल्ताफ का गाना बिहू गीत को निशाना बनाकर उसका अपमान करता है। इसलिए शिकायत के आधार पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। हम जल्द ही उनकी ज़मानत के लिए याचिका दायर करेंगे।"
द सेंटिनल की रिपोर्ट के अनुसार, बंगाली में गाने के बोल बांग्लादेशी विरोध गीत, देश ता तोमर बापर नाकी? (क्या यह देश तुम्हारे पिता का है?) से मिलते-जुलते हैं।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को अपने फेसबुक लाइव सेशन के दौरान गिरफ्तारी का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह गाना एक "हमले" का हिस्सा था और इसे "बिहू को मिया बिहू में बदलने" का प्रयास कहा। सरमा ने गाने को असमिया संस्कृति के प्रति अपमानजनक बताया।
अपने गीतों के ज़रिए हुसैन ने “मिया” के साथ होने वाले भेदभाव की ओर ध्यान खींचा है। मिया एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल असम में बंगाली बोलने वाले मुसलमानों के लिए अक्सर किया जाता है। वह बताते हैं कि वैसे तो सभी समुदायों के लोग अपराध कर सकते हैं, लेकिन मुख्य रूप से मिया को ही निशाना बनाया जाता है और अक्सर उन पर गलत आरोप लगाया जाता है कि वे अवैध अप्रवासी हैं।
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असमिया मूलनिवासी समूहों द्वारा बंगाली मुसलमानों को पूर्वी असम के जिलों से बाहर जाने के आह्वान के बीच, 24 अगस्त 2024 को चराईदेव जिले में इस समुदाय के मज़दूरों के एक समूह पर उनके कार्यस्थल पर हमला किया गया।
पूर्वी असम के चराईदेव जिले के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता मयूर बोरगोहेन के खिलाफ राज्य में बंगाली भाषी मुस्लिम (मिया मुस्लिम) मज़दूरों पर हमला करने और उन्हें धमकाने के आरोप में 26 अगस्त को प्राथमिकी दर्ज की गई है। भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं जैसे ग़ैरक़ानूनी सभा, दंगा, घातक हथियारों से लैस होने, चोट पहुंचाने, दुश्मनी को बढ़ावा देने और आपराधिक धमकी के तहत यह प्राथमिकी दर्ज की गई है। पश्चिमी असम के बारपेटा जिले के रहने वाले मज़दूरों को चराईदेव में एक कौशल विकास केंद्र के निर्माण के लिए बोरगोहेन ने नियुक्त किया था।
कश्मीरियत की रिपोर्ट के अनुसार, एक मज़दूर राजीबुल हक ने आरोप लगाया कि बार-बार याद दिलाने के बावजूद बोरगोहेन ने 15 लाख रुपये के बकाया बिल का भुगतान नहीं किया था। 24 अगस्त की रात लगभग 10:30 बजे 14-15 नकाबपोश लोगों के एक समूह ने कथित तौर पर बोरगोहेन के आदेश पर मज़दूरों को झुकने के लिए मजबूर किया और खंजर, बंदूक, लाठी और प्लास्टिक के पाइप से उन पर हमला किया। हमलावरों ने मज़दूरों को जान से मारने की धमकी दी और मांग की कि वे अपना बकाया वेतन लिए बिना ज़िला छोड़ दें।
25 अगस्त की सुबह चराईदेव जिले के नाज़िरा शहर से भागे सद्दाम अहमद ने कहा, "हम मिया मुसलमान हैं और वे हमें मज़दूरी नहीं देना चाहते थे, इसलिए उन्होंने हमें पीटा।" सद्दाम ने 11 अन्य निर्माण श्रमिकों के साथ 24 अगस्त को चराईदेव जिले के डोलबागान गांव के पास एक जंगल में छिपकर रात बिताई थी।
सद्दाम ने घटना को याद करते हुए कहा, "पूरे दिन चिलचिलाती गर्मी में काम करने के बाद हम किसी भी अन्य दिन की तरह आराम कर रहे थे। रात करीब 10:30 बजे 14-15 नकाबपोश लोग हमारे कमरे में आए और हमें बाहर आने के लिए कहा। वे खंजर, तलवारें, डंडे और पाइप लेकर आए थे।"
इन मज़दूरों ने आरोप लगाया कि उन्हें "आतासु जिंदाबाद, जोई आई अहोम" बोलने के लिए कहा गया। इस दौरान वे पीटते रहे। अखिल असम ताई अहोम छात्र संघ (AATASU) असम में अहोम समुदाय का एक छात्र संगठन है।
नकाबपोश लोगों के समूह द्वारा किए गए हमलों और उत्पीड़न के बारे में बोलते हुए सद्दाम ने बताया कि, “उनमें से तीन लोग हमें लाठियों से पीटते रहे। जब एक ने मारना छोड़ दिया, तो दूसरे ने पीटना शुरू कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर पुलिस के पास गए या प्रेस से बात की तो हम तुम्हें मार देंगे।”
मक्तूब मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, नागांव जिले के धींग इलाके में 14 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार के बाद असम में मिया-विरोधी सेंटिमेंट्स बढ़ रहे हैं। इस वारदात में एक आरोपी मिया मुस्लिम था और अन्य दो की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है।
पीड़ितों की पहचान राजीबुल हक, अहदुल खान, अमीनुल हक, अमीरुल हक, सुरत जमाल, असीर उद्दीन, सद्दाम हुसैन, अली हसन और असबुल हक के रूप में की गई है। उन्होंने अपनी शिकायत के साथ हमले का एक वीडियो भी उपलब्ध कराया है। आगे होने वाली हिंसा के डर से वे उसी रात ज़िले से भाग गए और उम्मीद है कि वे पुलिस के सामने अपना बयान दर्ज कराएंगे।
यह घटना असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा 21 अगस्त को फेसबुक लाइव वीडियो स्ट्रीम करते समय की गई हालिया टिप्पणियों के परिणामस्वरूप हुई है, जिसमें उन्होंने मई 2024 से महिलाओं और कुछ अन्य समुदायों के खिलाफ अपराधों को गिनाया था। इसमें उन्होंने "मिया मुसलमानों" पर अपराधी होने का आरोप लगाया था।
Article 14 की रिपोर्ट के अनुसार, “मिया” एक अपमानजनक शब्द है जिसका इस्तेमाल मुख्यमंत्री असम में बंगाली बोलने वाले मुसलमानों को बताने के लिए अक्सर करते हैं, जिन्हें मूल आबादी में से कई लोग नियमित रूप से “बहिरागता” (बाहरी) और बांग्लादेश से आए “अवैध अप्रवासी” के रूप में बदनाम करते हैं।
साथ ही, लगभग 30 संगठनों ने धींग बलात्कार मामले के बाद मिया मुसलमानों को 7 दिनों के भीतर ऊपरी असम छोड़ने की समय सीमा जारी की है।
विरोध गीत “मिया बिहू” के लिए असमिया मुस्लिम गायक गिरफ्तार
31 अगस्त को असम में 31 वर्षीय बंगाली भाषी मुस्लिम गायक अल्ताफ हुसैन को पिछले महीने जारी किए गए एक विरोध गीत के माध्यम से राज्य के जातीय समुदायों के खिलाफ नफ़रत भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। एक स्थानीय युवक ने उनके खिलाफ अभयपुरी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी, और मामला गौरीपुरा को भेजा गया था, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
अल्ताफ के वकील आदम अली ने कहा कि उनके मुवक्किल पर भारतीय दंड संहिता की धारा 196 (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 299 (किसी धर्म या धार्मिक भावनाओं का अपमान करने का जानबूझकर प्रयास) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
अली ने कहा, "शिकायतकर्ता ने पुलिस कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि अल्ताफ का गाना बिहू गीत को निशाना बनाकर उसका अपमान करता है। इसलिए शिकायत के आधार पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। हम जल्द ही उनकी ज़मानत के लिए याचिका दायर करेंगे।"
द सेंटिनल की रिपोर्ट के अनुसार, बंगाली में गाने के बोल बांग्लादेशी विरोध गीत, देश ता तोमर बापर नाकी? (क्या यह देश तुम्हारे पिता का है?) से मिलते-जुलते हैं।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को अपने फेसबुक लाइव सेशन के दौरान गिरफ्तारी का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह गाना एक "हमले" का हिस्सा था और इसे "बिहू को मिया बिहू में बदलने" का प्रयास कहा। सरमा ने गाने को असमिया संस्कृति के प्रति अपमानजनक बताया।
अपने गीतों के ज़रिए हुसैन ने “मिया” के साथ होने वाले भेदभाव की ओर ध्यान खींचा है। मिया एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल असम में बंगाली बोलने वाले मुसलमानों के लिए अक्सर किया जाता है। वह बताते हैं कि वैसे तो सभी समुदायों के लोग अपराध कर सकते हैं, लेकिन मुख्य रूप से मिया को ही निशाना बनाया जाता है और अक्सर उन पर गलत आरोप लगाया जाता है कि वे अवैध अप्रवासी हैं।
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