मणिपुर में तनाव: कुकी-ज़ो समुदाय के अलग प्रशासन की मांग को लेकर किए गए विरोध प्रदर्शन के बाद हिंसक झड़पें हुईं, लीक हुए टेप के आधार पर राज्य के सीएम के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग

Written by sabrang india | Published on: September 4, 2024
मणिपुर में कुकी- ज़ो समुदाय द्वारा अलग प्रशासन की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन तेज़ हो गया है, "लीक्ड टेप: एथनिक क्लिंजिंग एक्सपोज्ड" और "सेप्रेट एडमिनिस्ट्रेशन द ओनली सॉल्यूशन" लिखे बैनर सड़कों पर दिखाई दे रहे हैं जो जारी हिंसा के बीच राज्य सरकार के प्रति बढ़ते अविश्वास को दर्शाता है।



पहले से ही तनाव से घिरे क्षेत्र मणिपुर में पिछले सप्ताह अशांति का दौर देखने को मिला क्योंकि कुकी- ज़ो समुदाय ने अलग प्रशासन की मांग तेज़ कर दी है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह द्वारा कथित तौर पर कुछ आपत्तिजनक बयानों वाले एक विवादास्पद ऑडियो क्लिप के जारी होने के बाद प्रमुख ज़िलों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जिससे समुदायों के बीच अविश्वास और गहरा गया है। स्थिति तब और बिगड़ गई जब बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के अगले दिन, कोत्रुक में एक बड़ा हमला हुआ, जिसमें कथित तौर पर कुकी उग्रवादियों ने विस्फोटकों से हमला करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जिसके परिणामस्वरूप दो लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। जैसे-जैसे राज्य गहराते विभाजन और बढ़ती हिंसा से जूझ रहा है निर्णायक हस्तक्षेप की मांगें ज़ोर पकड़ती जा रही हैं।

मणिपुर में कुकी- ज़ो समुदाय द्वारा अलग प्रशासन की मांग के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए:

शनिवार 31 अगस्त को मणिपुर के चुराचांदपुर और कांगपोकपी ज़िलों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, क्योंकि कुकी-ज़ो समुदाय के सदस्य अलग प्रशासन की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए। ये रैलियां अन्य क्षेत्रों में भी फैल गईं और कहा जा रहा है कि इसका आयोजन कुकी-ज़ो समुदाय के "नरसंहार और जातीय संहार" के विरोध में कीकिया गया है, अब वे एक अलग प्रशासन द्वारा स्वायत्तता के लिए आवाज़ उठा रहे हैं।

विरोध प्रदर्शन विशेष रूप से लीशांग (चुराचांदपुर), कीथेलमैनबी (कांगपोकपी) और मोरेह (तेंगनौपाल) जैसे क्षेत्रों में तेज़ थे। चुराचांदपुर में विरोध एंग्लो-कुकी युद्ध द्वार से शुरू हुआ और लगभग 6 किमी की दूरी तय करते हुए तुइबोंग के शांति मैदान तक चला गया। रैली के कारण बाज़ार और स्कूल बंद हो गए और सरकारी कार्यालयों में उपस्थिति काफी कम रही, जबकि राज्य सरकार ने संस्थानों को खुला रखने की अपील की थी। कांगपोकपी ज़िले में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने कीथेलमैनबी मिलिट्री कॉलोनी से ज़िला मुख्यालय के थॉमस ग्राउंड तक मार्च किया, जिसमें लगभग 8 किलोमीटर की दूरी तय की गई।

इन रैलियों की प्रतिक्रिया में मणिपुर के घाटी ज़िलों में आयोजित काम बंद करने के हड़ताल ने आम जन-जीवन को ठप्प कर दिया। इससे पूरे इलाक़े में व्यवसाय, स्कूल और संस्थान प्रभावित हुए। सरकार द्वारा दुकानों और व्यवसायों को खुला रखने की अपील के बावजूद रैलियों वाले क्षेत्रों में कई प्रतिष्ठान बंद रहे। प्रदर्शनकारियों ने लीक्ड टेप की निंदा करते हुए बैनर और तख्तियां ले रखी थीं और अलग प्रशासन की मांग कर रहे थे। इन बैनर पर "लीक्ड टेप: इथनिक क्लिंजिंग एक्सपोज्ड, सेव अस फ्रॉम मणिपुर" और "अलग प्रशासन ही एकमात्र समाधान है" लिखे हुए थे।

हालांकि हड़ताल ने इन क्षेत्रों को काफ़ी हद तक बाधित किया, लेकिन यह काफी शांतिपूर्ण रहा। कुकी-ज़ो संगठनों ने नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर भी प्रदर्शन किया, जहां उन्होंने अलग प्रशासन की अपनी मांग दोहराई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन सौंपे। इन ज्ञापनों में समुदाय की शिकायतों को दर्ज किया गया है और प्रधानमंत्री कार्यालय से मणिपुर की स्थिति को तत्काल निपटाने का आग्रह किया गया।

विरोध प्रदर्शन की शुरुआत कैसे हुई? लीक्ड ऑडियो क्लिप का डिटेल:

विरोध प्रदर्शन वायरल ऑडियो क्लिप के कारण हुआ जिसमें कथित तौर पर मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह मणिपुर में चल रहे संघर्ष से संबंधित भड़काऊ टिप्पणी कर रहे थे। मणिपुर सरकार ने इन ऑडियो क्लिप को, "आवाज़ के साथ छेड़छाड़” बता कर ख़ारिज कर दिया और घोषणा करी कि पुलिस की जांच चल रही है। सरकार के इनकार के बावजूद इस ऑडियो के चलते अशांति और बढ़ गई और इसने कुकी-ज़ो समुदाय की मांगों को और अभी अधिक भड़का दिया है।

अगस्त की शुरुआत में द वायर द्वारा तीन-भाग की श्रृंखला में रिपोर्ट किए जाने के बाद लीक्ड ऑडियो क्लिप ने ध्यान खींचा। 48 मिनट की रिकॉर्डिंग जो कथित तौर पर मुख्यमंत्री सिंह के साथ एक बैठक के दौरान बनाई गई थी, जारी हिंसा में कथित तौर पर उनकी “पक्षपातपूर्ण मिलीभगत” को उजागर करती है।

द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, यह ऑडियो क्लिप कथित तौर पर मुख्यमंत्री की बताई जा रही है, आवाज़ में दो कुकी महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध को हल्के में लेते हुए सुना जा सकता है जिन्हें नग्न अवस्था में घुमाया गया था और जो यौन हिंसा की शिकार हुई थीं तथा मैतेई नागरिक समाज समूहों को यह कहते हुए फटकार लगाई जा रही है कि वे सामने नहीं आए और “साहसपूर्वक, गर्व के साथ” यह नहीं कह रहे थे कि “हम, मैतेई ही हैं जिन्होंने उन्हें भीड़ से बचाया”। इस रिकॉर्डिंग में यह कहते हुए सुना गया कि, “हमें कितनी बुरी तरह से शर्मिंदा किया गया! हमें उन्हें बचाने, उन्हें कपड़े पहनाने और उन्हें घर भेजने का श्रेय लेना चाहिए था।”

इन लीक हुए ऑडियो क्लिप को लेकर विवाद ने मणिपुर में तनाव को और बढ़ा दिया है, जिससे राज्य सरकार और उसके नेतृत्व में समुदाय का अविश्वास और गहरा हो गया है। हालांकि यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि द वायर ने रिकॉर्डिंग में आवाज़ की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं की है लेकिन इसने कुछ लोगों के साथ बैठक की तारीख़, विषय और सामग्री की पुष्टि की है जिससे पता चलता है कि आवाज़ मुख्यमंत्री की हो सकती है।

इस रिकॉर्डिंग को अजय लांबा की अध्यक्षता वाले जांच आयोग को सौंप दिया गया है जो राज्य में जातीय हिंसा की जांच कर रहा है।

कुकी-ज़ो संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई ज्ञापन सौंपे है,  प्रधानमंत्री ने 3 मई 2023 को जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से मणिपुर का दौरा नहीं किया है। ज्ञापन में लीक हुए ऑडियो टेप के “प्रभावों” पर प्रकाश डाला गया और प्रधानमंत्री कार्यालय से इस संघर्ष में कुकी-ज़ो समुदाय को निशाना बनाए जाने से संबंधित “स्थिति की गंभीरता” को निपटाने का आग्रह किया गया।

कांगपोकपी में कुकी छात्र संगठन (केएसओ) द्वारा प्रस्तुत ज्ञापन में मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ कार्रवाई, असम राइफल्स के साथ बफर जोन को मजबूत करने और अनुच्छेद 239ए के तहत तत्काल राजनीतिक समाधान की मांग की गई। चुराचांदपुर में, केएसओ सहित सात छात्र संगठनों ने भी लीक हुए ऑडियो टेप के मुद्दे को उजागर किया, जिसमें कहा गया कि मुख्यमंत्री के नाम से “गोपनीय ऑडियो रिकॉर्डिंग के हालिया खुलासे” ने काफ़ी अशांति पैदा की है और राज्य के भीतर सुधारात्मक कार्रवाई के लिए तत्काल आह्वान किया है।

ज्ञापन में ज़ोर दिया गया कि लीक हुई रिकॉर्डिंग में कथित तौर पर मुख्यमंत्री सिंह द्वारा की गई विवादास्पद और भड़काऊ टिप्पणियां शामिल थीं जिसको लेकर द वायर ने अपनी रिपोर्ट में ज़िक्र किया है। इन टिप्पणियों में यौन उत्पीड़न का शिकार हुई महिलाओं से संबंधित बयान और मौजूदा अशांति के संदर्भ में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ उनकी बातचीत के दौरान विस्फोटक उपकरणों के इस्तेमाल का संदर्भ शामिल था। इस रिकॉर्डिंग से हिंसा बढ़ने और आम जन की सुरक्षा को ख़तरे में डालने की आशंका जताई गई है।

लंबे समय से चल रहे संकट और लीक हुए टेप के नतीजों को देखते हुए कुकी-ज़ो समुदाय ने राष्ट्रपति शासन लागू करने और स्वायत्त प्रशासन स्थापित करने के लिए अपनी मांग दोहराई है और जनता का विश्वास और शांति बहाल करने के लिए एक निर्णायक और संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया है। अगस्त की शुरुआत में द वायर द्वारा तीन-भाग की रिपोर्ट प्रकाशित किए जाने के बाद से ऑडियो क्लिप सुर्खियों में हैं जहां रिकॉर्डिंग करने वालों ने दावा किया था कि यह क्लिप एक निजी बैठक के दौरान बनाई गई थी जिसमें मुख्यमंत्री ने जारी हिंसा में कथित तौर पर अपनी पक्षपातपूर्ण मिलीभगत व्यक्त की थी।

भाजपा के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार ने ऑडियो टेप को "आवाज़ के साथ छेड़छाड़" बताते हुए ख़ारिज कर दिया और दावा किया कि राज्य में शांति बहाल करने के चल रहे प्रयासों को कमज़ोर करने के लिए रिकॉर्डिंग को फैलाया जा रहा था।

मणिपुर में रविवार को हुई हिंसा: हमले का विवरण और सरकार की प्रतिक्रिया

मौजूदा मणिपुर सरकार के विरोध में कुकी-ज़ो समुदायों द्वारा निकाली गई रैलियों के ठीक एक दिन बाद रविवार 1 सितंबर को मणिपुर के इम्फाल पश्चिम ज़िले में स्थित कोत्रुक क्षेत्र में हिंसा भड़क उठी। भड़की हिंसा जारी संघर्ष में एक और महत्वपूर्ण वृद्धि को दर्शाता है। इसके चलते दो लोगों की मौत हो गई और दस अन्य घायल हो गए जिनमें दो पुलिस अधिकारी और एक टेलीविजन रिपोर्टर शामिल हैं।

मणिपुर पुलिस के अनुसार, कोत्रुक में हमला अभूतपूर्व था जिसमें कथित कुकी उग्रवादियों ने हाई-टेक ड्रोन के ज़रिए रॉकेट-प्रोपेल्ड ग्रेनेड (RPG) का इस्तेमाल किया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने अनुमान लगाया कि इस गांव में सात ऐसे विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया था। पुलिस ने सुरक्षा बलों और नागरिकों दोनों के ख़िलाफ़ बमबारी के लिए ड्रोन के इस इस्तेमाल को एक उल्लेखनीय वृद्धि के रूप में बताया जो तकनीकी विशेषज्ञता वाले बेहद प्रशिक्षित पेशेवरों की भागीदारी को दर्शाता है।

टेलीग्राफ के अनुसार, मणिपुर पुलिस के एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, "कोत्रुक में एक अभूतपूर्व हमले में कथित कुकी उग्रवादियों ने हाई-टेक ड्रोन का इस्तेमाल करके कई आरपीजी (रॉकेट-प्रोपेल्ड ग्रेनेड) दाग़े हैं।"

मणिपुर पुलिस ने एक आधिकारिक बयान में कहा, "हालांकि ड्रोन बमों का इस्तेमाल आम तौर पर सामान्य युद्धों में किया जाता रहा है, सुरक्षा बलों और नागरिकों के ख़िलाफ़ विस्फोटक बरसाने के लिए ड्रोन का इस तरह का इस्तेमाल एक महत्वपूर्ण वृद्धि को दर्शाता है। तकनीकी विशेषज्ञता और मदद की संभावना के साथ उच्च प्रशिक्षित पेशेवरों की भागीदारी से इनकार नहीं किया जा सकता है।"

रविवार को उग्रवादियों ने कोत्रुक और पड़ोसी कडांगबंद पर गोलीबारी की और बम गिराए। हमले के परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर दहशत फैल गई जिससे महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। नौ घायलों में से पांच को गोली लगी, जबकि बाकी बम विस्फोटों के कारण छर्रे लगने से घायल हो गए। मृतक महिला नंगबाम सुरबाला देवी के शव को पोस्टमार्टम के लिए रिजनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (RIMS) भेज दिया गया। अन्य मृतकों की पहचान की जा रही है।

मृतकों की पहचान 35 वर्षीय नंगबाम सुरबाला के रूप में हुई है जिन्हें सिर में गोली लगी थी और उनकी 11 वर्षीय बेटी जिनके दाहिने हाथ में गोली लगी थी। गोलीबारी दोपहर करीब 2:00 बजे शुरू हुई और लगभग रात के 7:30 बजे तक जारी रही जिससे रात तक स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। स्थानीय लोगों ने बताया कि कोत्रुक में घरों में आग लगा दी गई और कई ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।

कोत्रुक, कुकी-ज़ोमी-बहुल कांगपोकपी ज़िले के पास इम्फाल पश्चिम ज़िले में एक मेइती-बहुल गांव है, जो जारी संघर्ष में सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक रहा है। रविवार शाम को मणिपुर के पुलिस महानिदेशक राजीव सिंह ने ज़िला पुलिस अधीक्षकों को हाई अलर्ट पर रहने और सभी सीमावर्ती क्षेत्रों में सतर्कता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। उन्होंने विभिन्न सुरक्षा बलों के बीच समन्वय और संयुक्त तलाशी अभियान चलाने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया।

मणिपुर सरकार के गृह विभाग ने हिंसा की निंदा करते हुए इसे "निहत्थे ग्रामीणों को आतंकित करने का कृत्य" क़रार दिया। बयान में हिंसा की आलोचना करते हुए इसे शांति बहाल करने के राज्य के प्रयासों को कमज़ोर करने का प्रयास बताया गया। मणिपुर सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने और कोत्रुक गांव पर हमले के लिए ज़िम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने के लिए तत्काल कार्रवाई करने की बात कही है।

मैतेई और कुकी-ज़ोमी-बहुल ज़िलों की सीमाओं पर कई महीनों की शांति के बाद हिंसा भड़क उठी है। ये मई 2023 से हिंसा के केंद्र रहे हैं। हिंसा की आख़िरी बड़ी घटना जून में हुई थी जब 6 जून को एक मैतेई किसान का सिर कटा शव मिला था और राज्य एक बार फिर हिंसा की चपेट में आ गया था जिसमें 70 घर, पुलिस चौकी और एक वन कार्यालय जला दिए गए थे। इसके चलते क़रीब 2000 लोग विस्थापित हो गए थे। (विवरण यहां पढ़ा जा सकता है।)

वर्तमान उथल-पुथल की प्रतिक्रिया में स्थिति को स्थिर करने के लिए राज्य और केंद्रीय दोनों इकाइयों सहित सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। राज्य सरकार ने हमले की कड़ी निंदा की है और शांति बहाल करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।

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