यह घटना राज्य में धर्म परिवर्तन के आरोपों का हिस्सा है। हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों का दावा है कि हज़ारों हिंदुओं को लालच और झूठे वादों के ज़रिए ईसाई धर्म में परिवर्तित किया गया है। भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को सही ठहराने के लिए अक्सर ऐसे आरोप लगाए जाते हैं।
बिहार के नवादा में रविवार, 1 सितंबर को दक्षिणपंथी हिंदू समूहों की भीड़ ने ईसाई समुदाय की प्रार्थना सभा में बाधा डाली। भीड़ ने मौजूद लोगों पर धर्म परिवर्तन में शामिल होने का आरोप लगाया। यह घटना तब घटी जब ईसाइयों का एक समूह रविवार की प्रार्थना के लिए एक घर में इकट्ठा हुआ था।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, भगवा गमछा और शर्ट पहने उग्र भीड़ ने घर में घुसकर प्रार्थना को बाधित किया। उन्होंने ईसाई समाज के लोगों से उलझते हुए उन पर हिंदुओं को बरगलाने और उनका धर्म परिवर्तन करने का आरोप लगाया। घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें भीड़ को "धर्म परिवर्तन करना बंद करो" के नारे लगाते हुए देखा जा सकता है।
यह घटना राज्य में धर्म परिवर्तन के आरोपों का हिस्सा है। हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों का दावा है कि हज़ारों हिंदुओं को लालच और झूठे वादों के ज़रिए ईसाई धर्म में परिवर्तित किया गया है। भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को सही ठहराने के लिए अक्सर ऐसे आरोप लगाए जाते हैं।
हिंदू समूहों का कहना है कि धर्म परिवर्तन विदेशी फंडिंग और संगठनों से जुड़ी एक बड़ी साजिश का हिस्सा है।
दिल्ली स्थित समूहों के अनुसार, यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम ने 2023 के अंत में रिपोर्ट दी कि भारत में औसतन प्रतिदिन दो ईसाइयों पर हमले होते हैं।
5 जुलाई को हुई एक पिछली घटना में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के एक नेता के नेतृत्व में हिंदुत्ववादी संगठनों की भीड़ ने जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप लगाकर राजस्थान के भरतपुर में एक प्रार्थना सभा के दौरान ईसाइयों पर हमला किया था। इस हमले में महिलाओं सहित मौजूद लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। मथुरा गेट पुलिस ने 20 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था।
यूनियन ऑफ कैथोलिक एशियन न्यूज (यूसीएएन) के अनुसार, कट्टरपंथी हिंदू राष्ट्रवादियों ने पूरे भारत में अपनी ईसाई विरोधी गतिविधियों को तेज़ कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप ईसाइयों और उनके पूजा स्थलों पर हमले बढ़े हैं।
4 अगस्त को यूपी के बरेली ज़िले में भी एक घटना घटी, जहां बजरंग दल के सदस्यों ने धर्म परिवर्तन का आरोप लगाते हुए एक प्रार्थना सभा में रुकावट पैदा की।
यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 के पहले नौ महीनों में ही भारत में ईसाइयों के उत्पीड़न की 300 से अधिक घटनाएं दर्ज की गई हैं।
पिछले कुछ वर्षों में कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली से रविवार की प्रार्थनाओं में रुकावट और हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं।
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बिहार के नवादा में रविवार, 1 सितंबर को दक्षिणपंथी हिंदू समूहों की भीड़ ने ईसाई समुदाय की प्रार्थना सभा में बाधा डाली। भीड़ ने मौजूद लोगों पर धर्म परिवर्तन में शामिल होने का आरोप लगाया। यह घटना तब घटी जब ईसाइयों का एक समूह रविवार की प्रार्थना के लिए एक घर में इकट्ठा हुआ था।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, भगवा गमछा और शर्ट पहने उग्र भीड़ ने घर में घुसकर प्रार्थना को बाधित किया। उन्होंने ईसाई समाज के लोगों से उलझते हुए उन पर हिंदुओं को बरगलाने और उनका धर्म परिवर्तन करने का आरोप लगाया। घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें भीड़ को "धर्म परिवर्तन करना बंद करो" के नारे लगाते हुए देखा जा सकता है।
यह घटना राज्य में धर्म परिवर्तन के आरोपों का हिस्सा है। हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों का दावा है कि हज़ारों हिंदुओं को लालच और झूठे वादों के ज़रिए ईसाई धर्म में परिवर्तित किया गया है। भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को सही ठहराने के लिए अक्सर ऐसे आरोप लगाए जाते हैं।
हिंदू समूहों का कहना है कि धर्म परिवर्तन विदेशी फंडिंग और संगठनों से जुड़ी एक बड़ी साजिश का हिस्सा है।
दिल्ली स्थित समूहों के अनुसार, यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम ने 2023 के अंत में रिपोर्ट दी कि भारत में औसतन प्रतिदिन दो ईसाइयों पर हमले होते हैं।
5 जुलाई को हुई एक पिछली घटना में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के एक नेता के नेतृत्व में हिंदुत्ववादी संगठनों की भीड़ ने जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप लगाकर राजस्थान के भरतपुर में एक प्रार्थना सभा के दौरान ईसाइयों पर हमला किया था। इस हमले में महिलाओं सहित मौजूद लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। मथुरा गेट पुलिस ने 20 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था।
यूनियन ऑफ कैथोलिक एशियन न्यूज (यूसीएएन) के अनुसार, कट्टरपंथी हिंदू राष्ट्रवादियों ने पूरे भारत में अपनी ईसाई विरोधी गतिविधियों को तेज़ कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप ईसाइयों और उनके पूजा स्थलों पर हमले बढ़े हैं।
4 अगस्त को यूपी के बरेली ज़िले में भी एक घटना घटी, जहां बजरंग दल के सदस्यों ने धर्म परिवर्तन का आरोप लगाते हुए एक प्रार्थना सभा में रुकावट पैदा की।
यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 के पहले नौ महीनों में ही भारत में ईसाइयों के उत्पीड़न की 300 से अधिक घटनाएं दर्ज की गई हैं।
पिछले कुछ वर्षों में कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली से रविवार की प्रार्थनाओं में रुकावट और हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं।
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