प्रदर्शनकारियों ने मस्जिद को गिराने और हिंदुओं की एकता का आह्वान करते हुए नारे लगाए और मस्जिद के पास भजन गाए।
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली क्षेत्र में एक चार मंज़िला मस्जिद को गिराने की मांग को लेकर रविवार को हिंदुत्व समूहों के नेतृत्व में सैकड़ों लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों ने मस्जिद को गिराने और हिंदुओं की एकता का आह्वान करते हुए नारे लगाए और मस्जिद के पास भजन गाए।
रिपोर्टों के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने लोगों को मुसलमानों को अपनी संपत्तियां न बेचने या किराए पर न देने की सलाह भी दी। रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसा करने पर उनके बहिष्कार की धमकी दी गई।
शहर के विभिन्न हिस्सों से लगभग 500 लोगों ने इस प्रदर्शन में भाग लिया। उन्होंने शिमला में अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित प्रवासियों की बढ़ती संख्या पर आपत्ति जताई और इन प्रवासियों के पुलिस सत्यापन और पंजीकरण की भी मांग की।
मुसलमानों और मस्जिद के खिलाफ यह अभियान शहर के मलयाना इलाके में एक व्यापारी और कुछ अन्य व्यापारियों तथा मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के बीच विवाद के बाद शुरू हुआ। शुक्रवार रात व्यापारी पर हमला किया गया और पुलिस ने मामले में प्राथमिकी दर्ज की।
मस्जिद के पास विरोध प्रदर्शन जारी रहने के कारण जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भीड़ को शांत करने के लिए मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने कहा कि वक्फ बोर्ड की जमीन पर बनी मस्जिद की ऊपरी मंजिल को लेकर कुछ समस्या थी और मामला विचाराधीन था। इस मामले की सुनवाई शनिवार को नगर निगम अदालत में होगी।
हेट डिटेक्टर ने अधिकारी के हवाले से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करते हुए लिखा, "मामला संवेदनशील है और समुदायों की धार्मिक भावनाएं जुड़ी हुई हैं।"
शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने कहा कि व्यापारी पर हमले के मामले में हत्या के प्रयास की धारा के तहत कार्रवाई की जाएगी और प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि मामले की जांच डीएसपी रैंक के अधिकारी को सौंप दी गई है और दूसरे राज्यों से आने वाले प्रवासियों का पंजीकरण किया जाएगा। शिमला के उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि जांच संबंधित प्रावधानों के तहत की जाएगी।
इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए शिमला के पत्रकार चंद्र शेखर लूथरा ने लिखा कि मुसलमानों के खिलाफ बहिष्कार का आह्वान किया गया और स्थानीय पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर कई दुकानों से मुस्लिम कर्मचारियों को हटाया गया।
लूथरा ने लिखा, "जैसे कि यह पर्याप्त नहीं था, स्थानीय संजौली पुलिस प्रभारी अपने अधीनस्थों के साथ स्थानीय दुकानों (रविवार को खुली) में मुस्लिम श्रमिकों की जांच करते देखे गए... मैंने इन श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहा। मुझे आश्चर्य हुआ जब मैंने देखा कि पुलिस प्रभारी एक दुकान के मालिक को दो मुस्लिम श्रमिकों को तुरंत हटाने का निर्देश दे रहे थे...। 'कम से कम एक सप्ताह के लिए भूमिगत हो जाओ,’ इस छोटे से क्षेत्र में हमारे 'क़ानून प्रवर्तन एजेंसी' प्रतिनिधि का स्पष्ट आदेश था।"
लूथरा ने राज्य की कांग्रेस सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के प्रति दिखाए जा रहे रवैये पर आश्चर्य व्यक्त किया और यह सवाल उठाया कि किसी व्यक्ति द्वारा किए गए अपराध को समुदाय विशेष के रूप में क्यों देखा जा रहा है।
लूथरा ने लिखा, "अपने पूरे 55 साल के जीवन में मैंने शिमला या हिमाचल प्रदेश में किसी भी धर्म के खिलाफ ऐसा शर्मनाक जुलूस नहीं देखा... यहां तक कि 84 (सिख विरोधी) दंगों के दौरान भी हम सभी ने शिमला या हिमाचल प्रदेश में शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को अपनी राजनेतागिरी दिखाने और सभी धर्मों तथा समुदायों के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने की जरूरत है... नफरत फैलाने वालों के हाथों में खेलना कभी भी किसी काम का नहीं हो सकता... कांग्रेस को विपक्ष की इस नफरत की राजनीति को खत्म करना होगा वरना कोई भी उनकी धर्मनिरपेक्ष साख पर कभी विश्वास नहीं करेगा।"
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हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली क्षेत्र में एक चार मंज़िला मस्जिद को गिराने की मांग को लेकर रविवार को हिंदुत्व समूहों के नेतृत्व में सैकड़ों लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों ने मस्जिद को गिराने और हिंदुओं की एकता का आह्वान करते हुए नारे लगाए और मस्जिद के पास भजन गाए।
रिपोर्टों के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने लोगों को मुसलमानों को अपनी संपत्तियां न बेचने या किराए पर न देने की सलाह भी दी। रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसा करने पर उनके बहिष्कार की धमकी दी गई।
शहर के विभिन्न हिस्सों से लगभग 500 लोगों ने इस प्रदर्शन में भाग लिया। उन्होंने शिमला में अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित प्रवासियों की बढ़ती संख्या पर आपत्ति जताई और इन प्रवासियों के पुलिस सत्यापन और पंजीकरण की भी मांग की।
मुसलमानों और मस्जिद के खिलाफ यह अभियान शहर के मलयाना इलाके में एक व्यापारी और कुछ अन्य व्यापारियों तथा मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के बीच विवाद के बाद शुरू हुआ। शुक्रवार रात व्यापारी पर हमला किया गया और पुलिस ने मामले में प्राथमिकी दर्ज की।
मस्जिद के पास विरोध प्रदर्शन जारी रहने के कारण जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भीड़ को शांत करने के लिए मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने कहा कि वक्फ बोर्ड की जमीन पर बनी मस्जिद की ऊपरी मंजिल को लेकर कुछ समस्या थी और मामला विचाराधीन था। इस मामले की सुनवाई शनिवार को नगर निगम अदालत में होगी।
हेट डिटेक्टर ने अधिकारी के हवाले से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करते हुए लिखा, "मामला संवेदनशील है और समुदायों की धार्मिक भावनाएं जुड़ी हुई हैं।"
शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने कहा कि व्यापारी पर हमले के मामले में हत्या के प्रयास की धारा के तहत कार्रवाई की जाएगी और प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि मामले की जांच डीएसपी रैंक के अधिकारी को सौंप दी गई है और दूसरे राज्यों से आने वाले प्रवासियों का पंजीकरण किया जाएगा। शिमला के उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि जांच संबंधित प्रावधानों के तहत की जाएगी।
इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए शिमला के पत्रकार चंद्र शेखर लूथरा ने लिखा कि मुसलमानों के खिलाफ बहिष्कार का आह्वान किया गया और स्थानीय पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर कई दुकानों से मुस्लिम कर्मचारियों को हटाया गया।
लूथरा ने लिखा, "जैसे कि यह पर्याप्त नहीं था, स्थानीय संजौली पुलिस प्रभारी अपने अधीनस्थों के साथ स्थानीय दुकानों (रविवार को खुली) में मुस्लिम श्रमिकों की जांच करते देखे गए... मैंने इन श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहा। मुझे आश्चर्य हुआ जब मैंने देखा कि पुलिस प्रभारी एक दुकान के मालिक को दो मुस्लिम श्रमिकों को तुरंत हटाने का निर्देश दे रहे थे...। 'कम से कम एक सप्ताह के लिए भूमिगत हो जाओ,’ इस छोटे से क्षेत्र में हमारे 'क़ानून प्रवर्तन एजेंसी' प्रतिनिधि का स्पष्ट आदेश था।"
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लूथरा ने लिखा, "अपने पूरे 55 साल के जीवन में मैंने शिमला या हिमाचल प्रदेश में किसी भी धर्म के खिलाफ ऐसा शर्मनाक जुलूस नहीं देखा... यहां तक कि 84 (सिख विरोधी) दंगों के दौरान भी हम सभी ने शिमला या हिमाचल प्रदेश में शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को अपनी राजनेतागिरी दिखाने और सभी धर्मों तथा समुदायों के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने की जरूरत है... नफरत फैलाने वालों के हाथों में खेलना कभी भी किसी काम का नहीं हो सकता... कांग्रेस को विपक्ष की इस नफरत की राजनीति को खत्म करना होगा वरना कोई भी उनकी धर्मनिरपेक्ष साख पर कभी विश्वास नहीं करेगा।"
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