मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह कांड के छह साल बाद भी महिलाओं के प्रति नहीं बदली लोगों की सोच!

Written by sabrang india | Published on: August 19, 2024
"बिहार के मुजफ्फरपुर में कोलकाता RG kar कॉलेज रेप से भी भयानक रेप हुआ है। मुजफ्फरपुर रेप कांड से नीतीश कुमार के चेहरे पर लगा सबसे बड़ा कालिख याद आता है।" 


फोटो साभार : हिंदुस्तान
पश्चिम बंगाल में आरजी कर अस्पताल में एक डॉक्टर से रेप और हत्या की दर्दनाक घटना के बाद बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह में लड़कियों से महीनों तक रेप किए जाने की घटना को लेकर चर्चा सोशल मीडिया पर तेज़ हो गई। लोग एक बार फिर मांग करने लगे हैं कि इस तरह की वारदात को अंजाम देने वालों अपराधियों को जल्द कठोर से कठोर सजा दी जाए ताकि महिलाओं के खिलाफ होने वाले इस जघन्य कुकृत्य को समाज से समाप्त किया जा सके। 

सोशल मीडिया 'एक्स' पर एक यूजर ने लिखा, "बिहार के मुजफ्फरपुर में कोलकाता RG kar कॉलेज रेप से भी भयानक रेप हुआ है। मुजफ्फरपुर रेप कांड से नीतीश कुमार के चेहरे पर लगा सबसे बड़ा कालिख याद आता है।" 

ज्ञात हो कि करीब छह साल पहले साल पहले 2018 में मुजफ्फरपुर बालिका गृह में हुई घटना की जानकारी सामने आने के बाद इसे बंद कर दिया गया। इस मामले में बालिका गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर समेत करीब दस से अधिक लोगों को दिल्ली की एक अदालत ने साल 2020 में उम्र क़ैद की सजा सुनाई थी।  

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बालिका गृह में रहने वाली बच्चियों के साथ एक से ज़्यादा बार शारीरिक शोषण, रेप और टॉर्चर जैसी घटनाएं हुई थीं। वहां रहने वाली लड़कियों के मेडिकल जांच में पता चला कि 42 में से 34 बच्चियों के साथ कई बार शारीरिक शोषण हुआ था। 

इस मामले का तब खुलासा हुआ जब सोशल ऑडिट करने वाली संस्था टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग के आदेश पर साल 2017-18 में राज्य के सभी बालिका गृहों का सोशल ऑडिट किया था। इसने करीब सौ पन्नों की रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में दावा किया गया कि मुजफ्फरपुर में चल रहे बालिका गृह सेवा संकल्प एवं विकास समिति में लड़कियों का यौन शोषण हो रहा है। इस रिपोर्ट में इस संगठन के खिलाफ मामला दर्ज करने की सिफारिश की गई। इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने अपनी जांच कराई जिसमें टाटा इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में बताई गई बात सच साबित हुई। 

टीवी9 भारतवर्ष की रिपोर्ट के मुताबिक मेडिकल जांच में तीन लड़कियों के गर्भवती होने की भी पुष्टि हुई। इसी दौरान एक लड़की ने पुलिस को बताया कि एक बच्ची ने गलत काम का विरोध किया तो उसकी पिटाई की गई। उसे इतना पीटा गया कि उसकी मौत हो गई। बाथरूम में उसकी लाश बरामद होने के बाद बाल संरक्षण गृह की ओर से उसे लीची के बागीचे में दफना दिया गया। लड़कियों ने कोर्ट को बताया था कि उनके लिए सबसे भयानक दिन मंगलवार का होता था। मंगलवार को उन बच्चियों की काउंसलिंग होती थी। काउंसलिंग के नाम पर उन उन्हें बाहर ले जाया जाता था, जहां उनके साथ उत्पीड़न होता था।

सीबीआई ने इस मामले में 21 को आरोपी बनाया। इनमें से 10 महिलाएं थीं, जो कि बालिका गृह की लड़कियों के साथ हो रही दरिंदगी को न सिर्फ छिपाती रहीं, बल्कि बच्चियों को चुप रहने के लिए उनको यातनाएं भी देती रहीं। यही नहीं, मुजफ्फरपुर बालिका गृह में तैनात रसोइया से लेकर गेटकीपर पर भी लड़कियों के साथ दुष्कर्म के आरोप लगे। मुजफ्फरपुर शेल्टर होम का संचालक बृजेश ठाकुर पर यहां की 6 से अधिक लड़कियों ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था। आरोप था की वह बड़े-बड़े अधिकारियों तक को यहां की लड़कियां सप्लाई करता था। 
पीड़ित लड़कियों के अनुसार, इस जघन्य कांड के आरोपियों और उनके खिलाफ लगे आरोपों का डिटेल्स इस प्रकार है:

ब्रजेश ठाकुर: यह बालिका गृह का संरक्षक और इस कांड का मुख्य आरोपी है। इस पर छह से अधिक लड़कियों ने रेप का आरोप लगाया। यह लड़कियों का यौन शोषण करता था और उन्हें बड़े अधिकारियों तक पहुंचाता था। उसने मुजफ्फरपुर और पटना में ठिकाना बना रखा था, जहां वह लड़कियों को भेजता था और विरोध करने वाली लड़कियों की पिटाई करता था।

इंदु कुमारी : मुजफ्फरपुर बालिका गृह की अधीक्षिका थी। इसने लड़कियों को डरा-धमकाकर रेप के लिए मजबूर किया और विरोध करने पर उन्हें पीटा। वह ब्रजेश की रही है।

मीनू देवी : बालिका गृह की हाउस मदर मीनू लड़कियों को नशीली दवाएं देती थी और विरोध करने वाली बच्चियों को पीटती थी।

मंजू देवी: यह बालिका गृह की काउंसलर थी और अन्य कर्मचारियों के साथ मिलकर लड़कियों को रेप के लिए तैयार करती थी। उसने बच्चियों को नशीली दवाएं खिलाईं।

चंदा देवी: चंदा देवी लड़कियों को रेप के लिए बालिका गृह से बाहर भेजती थी। बच्चियों ने मजिस्ट्रेट के सामने दिए अपने बयान में उल्लेख किया है कि चंदा उन्हें रवि कुमार रोशन के पास भेजती थी।

नेहा कुमारी: इसने लड़कियों को नशीली दवाएं देकर बेहोश किया और ब्रजेश के खिलाफ बोलने पर पीटती थी।

किरण कुमारी: इसने विरोध करने वाली लड़कियों को भूखा रखती थी और अन्य कर्मियों के साथ मिलकर उनकी पिटाई की।

हेमा मसीह: हेमा बालिका गृह की प्रोबेशनरी अधिकारी थी, जिसकी जिम्मेदारी कागजात की देखरेख और बालिका गृह की छवि पेश करने की थी। उन पर बालिका गृह की गतिविधियों को छिपाने का आरोप है।

रवि रोशन: रवि किशोरियों की सुरक्षा का जिम्मेदार था लेकिन उसने उनके साथ दुष्कर्म किया और उन्हें अश्लील गानों पर नाचने के लिए मजबूर किया।

विकास कुमार: विकास और उसके साथी हर मंगलवार को किशोरियों का यौन शोषण करते थे और इस दिन कुछ किशोरियां डरी-सहमी रहती थीं।

रोजी रानी: बाल संरक्षण इकाई की सहायक निदेशक थी। इसको लड़कियों ने घटनाओं की जानकारी दी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। उस पर आरोपियों का सहयोग करने का आरोप है।

विजय कुमार तिवारी: यह ब्रजेश का ड्राइवर था और उस पर लड़कियों से रेप करने और उन्हें पीटने का आरोप है। लड़कियों की सप्लाई में भी शामिल था।

गुड्डू कुमार: बालिका गृह की बच्चियों के साथ रेप करता था और विरोध करने वाली लड़कियों को पीटता था।

कृष्णा कुमार राम: उसने भी बालिका गृह की बच्चियों के साथ दुष्कर्म किया और विरोध करने पर उन्हें पीटा।

रामानुज ठाकुर: रामानुज पर भी बच्चियों के साथ दुष्कर्म और विरोध करने पर पिटाई करने का आरोप है।

साजिस्ता परवीन उर्फ मधु:  यह ब्रजेश की करीबी थी और एनजीओ के प्रबंधन से जुड़ी थी। उसने लड़कियों को अश्लील गानों पर नाचने के लिए मजबूर किया। 

अश्विनी कुमार: इसने लड़कियों को दुष्कर्म के कारण दर्द की शिकायत पर दवाएं दीं और उन्हें बेहोश किया। लड़कियां इससे बहुत डरी हुई थीं।

दिलीप वर्मा: सीडब्ल्यूसी का अध्यक्ष था और लड़कियों ने उसकी पहचान की। वह भी दुष्कर्म करता था।

प्रेमिला: अश्विनी और प्रेमिला ने दुष्कर्म के कारण दर्द की शिकायत करने वाली लड़कियों को दवाएं देकर चुप कराया।

रामाशंकर सिंह उर्फ मास्टर साहब: ब्रजेश के पारिवारिक प्रेस का मैनेजर था और लड़कियों के साथ दुष्कर्म और पिटाई करता था।

विक्की: यह मधु का करीबी रिश्तेदार और भांजा है। वह ब्रजेश ठाकुर के लिए काम करता था और लड़कियों को बालिका गृह में ले जाने और लाने का काम करता था।

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