ISKCON का मुस्लिम विरोधी प्रोपेगेंडा वीडियो कंटेंट से क्या संबंध है?

Written by sabrang india | Published on: July 31, 2023
ISKCON के कर्मचारियों की कथित तौर पर भारत में मुसलमान विरोधी वीडियो को तैयार करने में क्या भूमिका है? सबरंग इंडिया ने इस मामले की पड़ताल करने की कोशिश की है.  



इन दिनों भारत में तेज़ी से फैल रहे मुस्लिम विरोधी वीडियो की लहर चिंता और तनाव को लगातार बढ़ा रही है. जनता को मज़हब के नाम पर भड़काने वाला कंटेंट बड़ी मात्रा में इंटरनेट पर मौजूद है. यह भी दावा किया जा रहा है कि ‘भक्ति टुडे’ नामक एक ऐसे ही चैनल के तार मशहूर ‘इंटरनेशनल सोसायटी फ़ॉर कृष्णा कांशसनेस’ (ISKCON) से जुड़े हुए हैं. यह वैश्विक स्तर पर काम करने वाला एक हिंदू संगठन है.

सबरंग इंडिया ने एक इंवेस्टिगेटिव रिपोर्ट के ज़रिए ISKCON के कर्मचारियों और मुस्लिम विरोधी वीडियो सामग्री के कथित रूप से जुड़े होने की ख़बरों को समझने की कोशिश की है. एक संबंधित वीडियो ‘द केरला स्टोरी’ के नाम से भी जारी किया गया है जिसमें मुसलमान औरतों की छवि गढ़ने के अलावा उनकी अक़ीदत और इरादों की ग़लत अक्कासी करने की कोशिश की गई है. अनेक दूसरे विवादित वीडियो के साथ ये वीडियो भी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर तेज़ी से फैल रहा है जिससे ISKCON के कर्मचारियों और उनके पूर्वाग्रह भरे नज़रिए पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. –

ISKCON का अपने अनुयायियों के जीवन पर गहरा प्रभाव है इसने अनेक लोगों को आध्यात्मिक उन्नति का रास्ता दिखाया है लेकिन फिर भी इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कई  नामचीन हस्तियां इसके ज़रिए मुस्लिम विरोधी प्रोपेगेंडा परोस रही हैं जो कि संगठन के उन मूल आदर्शों के ख़िलाफ़ है जिसमें हिंदुस्तानी तहज़ीब को बढ़ावा देने का दावा किया गया है.  

‘द केरला स्टोरी’ रिलीज़ के बाद से ही इस्लामोफोबिक विषयवस्तु की वजह से लगातार आलोचना का शिकार रही है. विवादों के चलते मई, 2023 में रिलीज़ सुदीप्तो सेन और विपुल शाह की इस फ़िल्म ने काफ़ी सुर्ख़ियां बटोरी थीं. इसी बीच एक अन्य वीडियो भी बड़े पैमाने पर वायरल था. इस जारी वीडियो को पूरी योजना के साथ ऐसे तैयार किया था जिससे एक मुसलमान औरत की ग़लत छवि गढ़ते हुए सारी मुसलमान औरतों को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया जाए. 

सबरंग इंडिया ने पड़ताल में पाया कि ISKON के कर्मचारियों और ऐसे वीडियो के बीच में ‘भक्ति लाइफ़’ नामक चैनल भी इसी कड़ी में शुमार है. 
 
‘द केरला स्टोरी’- पूर्वाग्रहों का नतीजा
Kerala Story– the Bhakti Today version नाम से जारी ये वीडियो विवादित फ़िल्म का ही एक संक्षिप्त रूप है जिसमें 3 हमउम्र मुसलमान महिला मित्र धर्म के बारे में चर्चा कर रही हैं.. इसमें काले स्कार्फ़ वाली एक मुस्लिम लड़की हिंदू और अन्य धर्मों की आलोचना करते हुए इस्लाम की कट्टर पैरवी करती नज़र आ रही है. जबकि दूसरी लड़की इसके जवाब में एक गुप्त एजेंडे की तरफ़ इशारा करती है. ये पूरा एपिसोड यह साबित करने की कोशिश है कि मुसलमान भारत विरोधी समुदाय है. 




 
इसमें एक चरित्र इस बात पर ज़ोर देता है कि मज़हब की बुनियाद ज्ञान होना चाहिए क्योंकि पैसे और हिंसा को यहां निर्णायक भूमिका निभाने का कोई हक़ नहीं है. ये वीडियो कुल मिलाकर आम मुसलमान को एक ऐसे हिंसक, कट्टर और अनुदारवादी सामाजिक फ़्रेम में पेश करता है जिसमें हिंदू औऱतों का मज़हब बदलवाने को धर्म प्रचार का हिस्सा ही क़रार दिया जाता है. इस वीडियो का थंबनेल भी काफ़ी अजीब ढंग से फ़िल्म के पोस्टर से मेल खाता है. 



द केरला स्टोरी’ में अलग अलग मज़हब वाले दोस्तों के समूहों में मुसलमान औरतों के इरादों पर भी सवाल उठाया गया है. इस्लामोफ़ोबिया के कारण फ़िल्म भारी आलोचना का शिकार हुई थी. संयुक्त राष्ट्र संघ के मुताबिक़- ‘इस्लामोफोबिया मुसलमान समुदाय के ख़िलाफ़ डर, पूर्वाग्रह का रवैय्या है जिसमें मुसलमानों और ग़ैरमुसलमानों को धमकी, प्रताड़ना, गाली देकर, डराकर या उकसाकर ऑनलाईन और ऑफ़लाईन दुनिया में बर्बरता और असहिष्षुता को हवा दी जाती है.’

Kerala Story– the Bhakti Today version नामक इस वीडियो को अभी तक क़रीब 32 लाख से ज़्यादा लोग देख चुके हैं और इस चैनल के 2.55 लाख सब्सक्राईबर्स भी हैं. इस चैनल को अश्विन चौधरी और प्रेमा रूपा मैनेज करते हैं जिन्हें वृंदावन में Food for Life के लिए तैनात किया गया था. प्रेमा रूपा अपने LinkedIn अकाउंट के मुताबिक़ FLF के साथ 2017 से ‘क्लांइट रिलेशनशिप ऑफ़िसर’ के तौर पर काम कर रही हैं. जबकि FLF वेबसाईट के मुताबिक़ वो FFLV USA में अध्यक्ष के सहायक के तौर पर काम कर रही हैं. वह भारतीय मीडिया में भी दख़ल रखती हैं. जबकि अश्विन चौधरी 2017 से FLF में मीडिया प्रमुख हैं. वेबसाईट के मुताबिक़ यह संगठन ‘प्यार और दया के जज़्बे से इंसानियत की सेवा करना’ अपना मुख्य मक़सद बताता रहा है. नफ़रती और इस्लामोफोबिक वीडियो वाले चैनल Bhakti Life के लिए कभी कभी सक्रिप्ट राइटर के तौर पर काम करने वाले अमोघ लीला दास ने नफ़रती नज़रिया रोपने पर सवाल खड़ा किया है. 

दिलचस्प बात यह है कि फ़ूड फ़ॉर लाइफ़, वृन्दावन में संदीपन मुनि स्कूल के परिसर में स्थित है, जो इस्कॉन वेबसाइट पर 'आधिकारिक इस्कॉन केंद्रों और शाखाओं की वर्ल्ड वाइड निर्देशिका' के एक भाग के रूप में सूचीबद्ध है।

इस चैनल के तार प्रवचन देने वालों और बड़े आध्यातिम गुरूओं से भी जुड़े हैं. जैसे कि The Kerala Story-the Bhakti Today Version वीडियो को ‘प्योर डिवोशन’ नामी ग़ैर सरकारी संगठन के एच. जी. सुंदर पाल को भी सौंपा गया था. ‘प्योर डिवोशन’ का ऑफ़िस राजस्थान में है जिसे विधवा महिलाओं की मदद के लिए वृंदावन से ऑपरेट किया जाता है. हालांकि इसका ISKCON से संबंध अभी तक उजागर नहीं हो सका है लेकिन एच. जी. सुंदर पाल को ISKCON की सीनियर मेबर्स की टीम में शामिल कर लिया गया है. 



इसके अलावा अमोघ लीला ‘माई आश्रय’ नामक एक यूट्यूब चैनल पर भी लगातार नज़र आते हैं. इस चैनल के अबाउट सेक्शन में एच. जी. सुंदर पाल का नाम मुखिया के तौर पर दर्ज है. वह लिखते हैं कि उनका चैनल HDG ए. सी. भक्तिवेदांता स्वामी प्रभुदत्ता के ISKCON से प्रेरित है. ISKCON दिल्ली की वेबसाइट पर विज्ञान बिहारी का नाम भी मीडिया प्रभारी के तौर पर दर्ज है. 


 
अमोघ लीला प्रभु सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाने वाले विषय, तरीक़े और नज़रिया चुनते हैं. जैसे कि इस वीडियो [Hyperlink the video] में यह पता लगाना मुश्किल है कि वक्ता आध्यात्मिक गुरू है या क्रूड कूटनीति के निर्माता! वीडियो में वह कहते हैं-  ‘यहां तक कि यूरोप में भी लोग सीरिया की ही तरह लव-जिहाद के शिकार हैं.’ उन्होंने यह भी बताया है कि पिता की मृत्यु के संस्कार में उन्होंने श्रद्दाजंलि देने की इच्छा रखने वाले ब्रम्हचारियों से कहा था कि उन्हें भगवा कपड़ों के बजाय ISKCON के उपदेशकों की तरह पैंट- शर्ट में आना होगा.

इसके अलावा उन्होंने ‘द केरला स्टोरी’ को एक सच्ची कहानी क़रार दिया है और ज्ञानवापी मामले में कहा है कि इसमें जांच की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि शिवलिंग का मिलना बिल्कुल स्पष्ट है.

यहां एक और समस्याग्रस्त वीडियो है जहां वह कहते हैं, "हिंदू ढक्कन हैं और धर्मांतरण के लायक हैं क्योंकि वे पर्याप्त 'मजबूत' नहीं हैं। इसका एक वैरियेशन अब महाराष्ट्र में तेजी से देखा जा रहा है जहां राजा सिंह जैसे वक्ता अक्सर यही दावे करते हैं।

‘ब्रज गर्ल्स’ नामी एक चैनल भी ने भी ‘लव जिहाद’ पर वीडियो पोस्ट किया है. ये स्कूल की लड़कियों का एक समूह है जिनका ‘फूड लाईफ़’ वेबसाइट पर ज़िक्र किया गया था. इस चैनल पर एक नाटक में श्रद्धा नामक लड़की की कहानी को दिखाया गया है जो आफ़ताब से विवाह करने के बाद मुसलमान बन जाती है. 

इसी कड़ी में वेणुगोपाल चरणदास से जुड़ा एक चैनल भी शुमार किया जा सकता है जिसमें ISKCON से जुड़ी सामग्री  के साथ ही मुसलमान विरोधी वीडियो जारी किए जा रहे हैं. इसके एक वीडियो में बताया गया कि कैसे मुसलमान बक़रीद में गौहत्या करते हैं.  नफ़रत फैलाने वाले चैनल्स की श्रृंखला में एक चैनल ऐसा भी है जो नाटकीय तरीका अख़्तियार करते हुए ISKCON पर सवाल उठाकर उसका संदेश फैला रहा है. जैसे एक जारी वीडियो के लिए क्लिकबेट टाइटल थी कि’ क्या ISKCON देश को बांट रहा है?’ 
 
क्या है ISKCON?
1970 के अंत में हरे कृष्णा आंदोलन के दौर में क़रीब 1000 अनुयायियों ने अमेरिका में कम्यून का जीवन चुन लिया था. बंगाल में 16 वीं शताब्दी के श्री चैतन्य की शिक्षा की बुनियाद पर स्थापित ‘गोदिया वैश्वनविश्म’ नामी ये पंथ अमेरिका में 1960 में भारतीय गुरू ए. सी. भक्तिवेदांता ने शुरू किया था. इसी दौरान ‘हरे कृष्णा’ के जाप के साथ इस आंदोलन ने 1960 के दशक में फिल्मों, नाटकों और गानों में भी जगह बनाई. हालांकि कुछ ही दिनों में कथित पुराने सदस्य हरे कृष्णा कम्यून की असलियत पर टीका-टिप्पणी करने लगे. सदस्यों पर भ्रष्टाचार, हत्या व अन्य अपराधों के भी आरोप लगे. नतीजे में इसकी जड़ें कमज़ोर होती गईं और आज अमेरिका में ‘हरे कृष्णा’ पंथ का कोई भी स्कूल नहीं हैं. 

सबसे पहले दिल्ली में ISKCON की स्थापना ‘हरे कृष्णा’ आंदोलन के तहत की गई थी.  ये 57 साल पुराना संगठन आज मलेशिया में भी मौजूद है और इसे कर्नाटक में मिड-डे-मील जैसा सरकारी कांट्रैक्ट भी मिला है, फिर सवाल ये है कि आख़िर आज क्यों ये संगठन खुले तौर पर मुसलमान विरोधी प्रोपेगेंडा को बल दे रहा है? भारत की विविध संस्कृति को देखते हुए आज इन गहराती चिंताओं और चुनौतियों को रूककर फिर से देखने की ज़रूरत है.  

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