मणिपुर लगभग ढाई महीने से जल रहा है, वहां सरकारी असलहे लूटे जा रहे हैं और सेना भी कुछ कर नहीं पा रही है। इस बीच सबसे बड़ा सवाल खड़ा हो रहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर पर क्यों नहीं बोल रहे हैं जबकि वहां भी भाजपा की सरकार है। लेकिन आज प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर में हो रहे संघर्ष पर रोष व्यक्त किया है। पीएम मोदी ने कहा कि मैं सभी मुख्यमंत्रियों से कहना चाहता हूं कि वो अपने राज्य की मां और बेटियों की सुरक्षा के लिए सदैव सजग रहे हैं और कानून व्यवस्था को और मजबूत करें। प्रधानमंत्री मोदी का वक्तव्य ऐसे वक्त में आया है जब विपक्ष ने INDIA नाम से अलायंस कर 2024 के चुनाव की ताल ठोंक दी है और केंद्र सरकार को कल से शुरू हो रहे मानसून सत्र में भी यह मुद्दा उठाया जा सकता है।
बता दें कि मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने की कथित घटना का वीडियो बुधवार को सामने आने के बाद राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया। चार मई के इस वीडियो में दिख रहा है कि कुछ व्यक्ति एक समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड करा रहे हैं।
‘इंडिजीनियस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) के एक प्रवक्ता के मुताबिक, ‘घृणित’ घटना चार मई को कांगपोकपी जिले में हुई है और वीडियो में दिख रहा है कि पुरुष असहाय महिलाओं के साथ लगातार छेड़छाड़ कर रहे हैं और वे (महिलाएं) रो रही हैं तथा उनसे मिन्नतें कर रही हैं। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
ज्ञात हो कि मणिपुर में करीब दो माह से जातीय हिंसा हो रही है। इस मुद्दे पर पहली बार प्रधानमंत्री ने कुछ बोला है।
पीएम मोदी ने कहा कि मणिपुर में जो हुआ है वो बेहद शर्मनाक है। ये पूरे देश को शर्मसार करने जैसा है। पीएम मोदी ने कहा कि मैं सभी मुख्यमंत्रियों से कहना चाहता हूं कि वो अपने राज्य की मां और बेटियों की सुरक्षा के लिए सदैव सजग रहे हैं और कानून व्यवस्था को और मजबूत करें। इस घटना को लेकर मैं आपको आश्वासन देता हूं कि जो भी दोषी हैं उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी। मणिपुर में महिलाओं के साथ जो हुआ वो किसी भी सभ्य समाज के लिए सही नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि इस देश के किसी भी कोने में, किसी के भी राज्य सरकार में राजनीति और वाद-विवाद से ऊपर उठकर कानून व्यवस्था का महात्म्य और नारी का सम्मान है। मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं कि किसी भी गुनहगार को बख्शा नहीं जाएगा। कानून अपनी पूरी शक्ती से और सख्ती से एक के बाद एक कदम उठाएगा। मणिपुर की इन बेटियों के साथ जो हुआ है इसको कभी माफ नहीं किया जाएगा।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। राज्य में तब से अब तक कम से कम 160 लोगों की जान जा चुकी है।
उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर उनकी परेड कराने के वीडियो से वह ‘‘बहुत व्यथित’’ है।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इसे ‘‘पूरी तरह अस्वीकार्य’’ बताया। पीठ ने केंद्र तथा राज्य सरकार से फौरन कदम उठाने और उसे यह बताने का निर्देश दिया कि क्या कार्रवाई की गयी है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम सरकार को कार्रवाई के लिए थोड़ा समय देंगे और अगर जमीनी स्तर पर कुछ नहीं होता है तो फिर हम कार्रवाई करेंगे।’’
कांग्रेस ने मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराए जाने की वीभत्स घटना से जुड़ा वीडियो सामने आने के बाद बृहस्पतिवार को तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने लोकतंत्र को ‘भीड़तंत्र’ में बदल दिया है।
मुख्य विपक्षी दल ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की और यह भी कहा कि संसद के इस मानसून सत्र में विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस’ (इंडिया) मणिपुर के विषय पर सरकार से जवाब मांगेगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुद इसका जवाब देना चाहिए।
उधर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दावा किया कि मणिपुर को लेकर 80 दिनों तक प्रधानमंत्री मोदी ने जो ‘चुप्पी साध रखी थी’ उसे देश कभी माफ नहीं करेगा।
खरगे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मोदी जी के पास 38 दलों की बैठक बुलाने का समय है, लेकिन क्या मणिपुर जाने का समय नहीं है? राहुल गांधी सीमित साधन रहते हुए भी वहां गए और लोगों से बात की। लेकिन प्रधानमंत्री चुनाव प्रचार में व्यस्त थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को सदन में मणिपुर के मामले पर चर्चा कराना चाहिए।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार में लोकतंत्र को ‘भीड़तंत्र’ में तब्दील कर दिया गया है।
इससे पहले, खरगे ने ट्वीट किया "मणिपुर में मानवता खत्म हो गई। मोदी सरकार और भाजपा ने राज्य के नाजुक सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करके लोकतंत्र और कानून के शासन को भीड़तंत्र में बदल दिया है।"
उन्होंने कहा, "नरेंद्र मोदी जी, भारत आपकी चुप्पी को कभी माफ नहीं करेगा। यदि आपकी सरकार में ज़रा भी विवेक या शर्म बची है, तो आपको संसद में मणिपुर के बारे में बोलना चाहिए और केंद्र एवं राज्य दोनों में अपनी दोहरी अक्षमता के लिए दूसरों को दोष दिए बिना देश को बताना चाहिए कि क्या हुआ। आपने अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारी त्याग दी है।’’
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "संकट की इस घड़ी में हम मणिपुर के लोगों के साथ खड़े हैं।"
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बता दें कि मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने की कथित घटना का वीडियो बुधवार को सामने आने के बाद राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया। चार मई के इस वीडियो में दिख रहा है कि कुछ व्यक्ति एक समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड करा रहे हैं।
‘इंडिजीनियस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) के एक प्रवक्ता के मुताबिक, ‘घृणित’ घटना चार मई को कांगपोकपी जिले में हुई है और वीडियो में दिख रहा है कि पुरुष असहाय महिलाओं के साथ लगातार छेड़छाड़ कर रहे हैं और वे (महिलाएं) रो रही हैं तथा उनसे मिन्नतें कर रही हैं। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
ज्ञात हो कि मणिपुर में करीब दो माह से जातीय हिंसा हो रही है। इस मुद्दे पर पहली बार प्रधानमंत्री ने कुछ बोला है।
पीएम मोदी ने कहा कि मणिपुर में जो हुआ है वो बेहद शर्मनाक है। ये पूरे देश को शर्मसार करने जैसा है। पीएम मोदी ने कहा कि मैं सभी मुख्यमंत्रियों से कहना चाहता हूं कि वो अपने राज्य की मां और बेटियों की सुरक्षा के लिए सदैव सजग रहे हैं और कानून व्यवस्था को और मजबूत करें। इस घटना को लेकर मैं आपको आश्वासन देता हूं कि जो भी दोषी हैं उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी। मणिपुर में महिलाओं के साथ जो हुआ वो किसी भी सभ्य समाज के लिए सही नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि इस देश के किसी भी कोने में, किसी के भी राज्य सरकार में राजनीति और वाद-विवाद से ऊपर उठकर कानून व्यवस्था का महात्म्य और नारी का सम्मान है। मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं कि किसी भी गुनहगार को बख्शा नहीं जाएगा। कानून अपनी पूरी शक्ती से और सख्ती से एक के बाद एक कदम उठाएगा। मणिपुर की इन बेटियों के साथ जो हुआ है इसको कभी माफ नहीं किया जाएगा।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। राज्य में तब से अब तक कम से कम 160 लोगों की जान जा चुकी है।
उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर उनकी परेड कराने के वीडियो से वह ‘‘बहुत व्यथित’’ है।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इसे ‘‘पूरी तरह अस्वीकार्य’’ बताया। पीठ ने केंद्र तथा राज्य सरकार से फौरन कदम उठाने और उसे यह बताने का निर्देश दिया कि क्या कार्रवाई की गयी है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम सरकार को कार्रवाई के लिए थोड़ा समय देंगे और अगर जमीनी स्तर पर कुछ नहीं होता है तो फिर हम कार्रवाई करेंगे।’’
कांग्रेस ने मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराए जाने की वीभत्स घटना से जुड़ा वीडियो सामने आने के बाद बृहस्पतिवार को तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने लोकतंत्र को ‘भीड़तंत्र’ में बदल दिया है।
मुख्य विपक्षी दल ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की और यह भी कहा कि संसद के इस मानसून सत्र में विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस’ (इंडिया) मणिपुर के विषय पर सरकार से जवाब मांगेगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुद इसका जवाब देना चाहिए।
उधर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दावा किया कि मणिपुर को लेकर 80 दिनों तक प्रधानमंत्री मोदी ने जो ‘चुप्पी साध रखी थी’ उसे देश कभी माफ नहीं करेगा।
खरगे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मोदी जी के पास 38 दलों की बैठक बुलाने का समय है, लेकिन क्या मणिपुर जाने का समय नहीं है? राहुल गांधी सीमित साधन रहते हुए भी वहां गए और लोगों से बात की। लेकिन प्रधानमंत्री चुनाव प्रचार में व्यस्त थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को सदन में मणिपुर के मामले पर चर्चा कराना चाहिए।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार में लोकतंत्र को ‘भीड़तंत्र’ में तब्दील कर दिया गया है।
इससे पहले, खरगे ने ट्वीट किया "मणिपुर में मानवता खत्म हो गई। मोदी सरकार और भाजपा ने राज्य के नाजुक सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करके लोकतंत्र और कानून के शासन को भीड़तंत्र में बदल दिया है।"
उन्होंने कहा, "नरेंद्र मोदी जी, भारत आपकी चुप्पी को कभी माफ नहीं करेगा। यदि आपकी सरकार में ज़रा भी विवेक या शर्म बची है, तो आपको संसद में मणिपुर के बारे में बोलना चाहिए और केंद्र एवं राज्य दोनों में अपनी दोहरी अक्षमता के लिए दूसरों को दोष दिए बिना देश को बताना चाहिए कि क्या हुआ। आपने अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारी त्याग दी है।’’
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