गुजरात विधानसभा के दूसरे चरण में आज 14 जिलों की 93 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं। इस आखिरी चरण में सभी दलों ने प्रचार में पूरी ताकत झोंकी है जिसके नतीजे आज ईवीएम में कैद हो जाएंगे। इनमें सबसे महत्वपूर्ण मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की घाटलोडिया सीट है और वीरमगाम सीट भी है, जहां से पाटीदार नेता हार्दिक पटेल भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इसी चरण में गांधीनगर दक्षिण सीट शामिल है, जहां से अल्पेश ठाकोर भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रचार समाप्त होने से पहले लगातार दो दिन तक रैलियां की थीं और रोड शो किए थे। गुरुवार को उन्होंने 50 किलोमीटर से ज्यादा लंबा रोड शो किया था। उस दौरान उनका काफिला मुख्यमंत्री के क्षेत्र घाटलोडिया से भी गुजरा था।
इसके अलावा, दलित नेता जिग्नेश मेवानी बनासकांठा जिले की वडगाम सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं, और गुजरात विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुखराम राठवा छोटा उदयपुर जिले के जेतपुर से उम्मीदवार हैं। वडोदरा जिले की वाघोडिया सीट से भाजपा के बागी मधु श्रीवास्तव निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। उधर, UP में मैनपुरी लोकसभा के साथ रामपुर व खतौली में उपचुनाव के लिए वोटिंग हो रही है जिसमें सपा रालोद के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ और भाजपा दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर है।
पहले बात गुजरात की तो दूसरे चरण में मध्य और उत्तर गुजरात जिलों की 93 सीटों पर मतदान होना है। करीब 833 उम्मीदवार मैदान में हैं। दूसरे चरण में करीब 2.51 करोड़ लोग वोट डाल सकते हैं। चुनाव आयोग के अनुसार इनमें से 5.96 लाख मतदाता 18-19 वर्ष की आयु के हैं। वोटों की गिनती आठ दिसंबर को होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह अहमदाबाद में वोट डालेंगे। अहमदाबाद की सभी 16 शहरी सीटें भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन पर 1990 के बाद से चुनावों में भाजपा का दबदबा बना हुआ है। कांग्रेस ने अहमदाबाद में पिछले चुनाव में अपनी सीटों में सुधार किया था। 2012 में उसे दो सीटों पर जीत मिली थी और 2017 में 4 सीटों पर जीत मिली.इस बार आम आदमी पार्टी (आप) ने सभी 16 सीटों पर उम्मीदवार उतार कर मुकाबला दिलचस्प बना दिया है।
अहमदाबाद में मुस्लिम बहुल जमालपुर खड़िया सीट पर, असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM की एंट्री कांग्रेस को परेशान कर सकती है, क्योंकि AIMIM के उम्मीदवार साबिर काबलीवाला कांग्रेस के पूर्व विधायक हैं। साबिर ने 2012 में निर्दलीय चुनाव लड़ा था। इसके कारण बीजेपी को यहां से जीत मिली थी। कांग्रेस के वोट साबिर के कारण बंट गए थे। भाजपा और आम आदमी पार्टी सभी 93 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। कांग्रेस 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उसकी सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने दो सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। गुजरात विधानसभा में कुल 182 सीट हैं। प्रदेश चुनाव निकाय के अनुसार, उम्मीदवारों में 285 निर्दलीय भी शामिल हैं। अन्य दलों में, भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने 12 और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 44 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। सोमवार को जिन 93 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होगा, वे अहमदाबाद, वडोदरा, गांधीनगर और अन्य जिलों में फैले हुए हैं।
2017 के विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इनमें से 51 सीटें जीती थी। कांग्रेस ने 39, जबकि तीन सीट पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। मध्य गुजरात में भाजपा ने 37 सीटें जीती थी। कांग्रेस को 22 सीटें मिली थी। उत्तर गुजरात में, कांग्रेस ने 17 सीटें पर जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा को 14 सीटें मिली थी। दूसरे चरण के लिए चुनाव प्रचार शनिवार शाम को समाप्त हो गया था। खास है कि कच्छ सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात क्षेत्रों की 89 सीट पर पहले चरण में एक दिसंबर को मतदान हुआ था। पहले चरण में औसत मतदान 63.31 फीसद दर्ज किया गया था। गुजरात चुनाव के पहले चरण में कम मतदान हुआ। इसके लिए चुनाव आयोग ने भी गुजरात के शहरी मतदाताओं की उदासीनता की आलोचना की है।
UP में मैनपुरी, खतौली व रामपुर उपचुनाव के लिए वोटिंग
UP में आज जहां विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है वहीं, मैनपुरी लोकसभा और रामपुर व खतौली विधानसभा उपचुनाव के लिए आज मतदान हो रहा है। यह चुनाव भाजपा और सपा की तैयारी का लिटमस टेस्ट साबित हो सकता है। सपा के अभेद दुर्ग मैनपुरी को ढहाकर भाजपा यूपी फतह का संदेश देना चाहती है जबकि सपा ने भाजपा के रथ को रोकने के लिए चक्रव्यूह बना रखा है। इसमें अखिलेश-शिवपाल की एकता भाजपा के लिए दीवार बन गई है।
लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले होने वाले मैनपुरी उपचुनाव पर पूरे देश की निगाह है। यहां मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उपचुनाव हो रहा है। सपा ने पूर्व सांसद डिंपल यादव को मैदान में उतारकर सैफई परिवार की साख दांव पर लगा दी है तो भाजपा ने मुलायम के शागिर्द रहे पूर्व सांसद रघुराज शाक्य पर दांव लगाकर गढ़ में ही मात देने की रणनीति तैयार की है। यहां के सियासी मुकाबले की गर्मी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव नामांकन के बाद से मैनपुरी में डेरा डाले हैं। जनसभा के साथ घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं। इसे अखिलेश में हुए बड़े बदलाव के तौर पर भी देखा जा रहा है। क्योंकि अभी तक वह उपचुनाव से दूर रहे हैं। दूसरी तरफ भाजपा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, केशव प्रसाद मौर्य सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं को मैदान में उतार कर पुख्ता सियासी चक्रव्यूह तैयार किया है। इसे तोड़ने में कई जगह सपाई पसीने-पसीने नजर आ रहे हैं।
भाजपा के लिए मैनपुरी का महत्व
सपा का गढ़ माने जाने वाले ज्यादातर लोकसभा क्षेत्र पर भाजपा ने परचम लहरा दिया है। इनमें कन्नौज, फिरोजाबाद, फर्रुखाबाद, इटावा, आजमगढ़ और रामपुर शामिल हैं। मैनपुरी सैफई परिवार की घर की सीट मानी जाती है। यहां 1989 से अब तक हुए 11 लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह या उनके परिवार के सदस्य को ही विजय मिली। मुलायम अब वह नहीं हैं। ऐसे में भाजपा इस सीट को हासिल कर पूरे देश में नया संदेश देना चाहती है। इस सीट के भाजपा के खाते में जाने का सीधा असर मुख्यमंत्री योगी के कद पर भी पड़ेगा।
सपा के लिए भी साख का सवाल
सपा घर की सीट बचाकर अपना दबदबा कायम रखना चाहती है। मुलायम सिंह यहां से खुद पांच बार सांसद रहे। सपा ये संदेश देने में लगी है कि मैनपुरी से सियासी सफर शुरू करने वाले मुलायम सिंह के नहीं रहने पर भी धाक बरकरार है। अमर उजाला के अनुसार, इसी से अब पार्टी नए अंदाज में शुरुआत कर रही है। इस सीट के बहाने प्रत्यक्ष रूप से सैफई परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। लेकिन मैनपुरी खोने का सीधा असर अखिलेश के सियासी कॅरिअर पर पड़ना तय है।
यही वजह है कि सपा ने उम्मीदवार घोषित करने से पहले यहां पूर्व मंत्री आलोक शाक्य को जिलाध्यक्ष बनाया। इनके जरिए गैर यादव ओबीसी वर्ग को साधने का प्रयास किया गया। क्योंकि यहां यादवों के बाद शाक्य मतदाता सर्वाधिक हैं। इतना ही नहीं लंबे समय से चली आ रही तल्खी को भुलाते हुए अखिलेश ने चाचा शिवपाल यादव का आशीर्वाद लिया। क्योंकि उन्हें इस बात का अंदाजा था कि सियासी रणनीतिकार के रूप में शिवपाल ही उन्हें जीत का रास्ता दिखा सकते हैं। मैनपुरी सीट जीतकर सपा 2024 को साधने की तैयरी में है। यह संदेश देगी कि यादव वोट बैंक में बिखराव नहीं है।
यह है सियासी गणित
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटों में करहल से अखिलेश, जसवंतनगर से शिवपाल और किशनी से ब्रजेश कठेरिया विधायक हैं। मैनपुरी से भाजपा के जयवीर सिंह तो भोगनी से भाजपा के राम नरेश अग्निहोत्री विधायक हैं। यहां सर्वाधिक यादव मतदाता हैं, जिनकी संख्या करीब 4.25 लाख है। इसी तरह शाक्य करीब 3.25 लाख, ठाकुर दो लाख, ब्राह्मण 1.22 लाख, दलित डेढ़ लाख और मुस्लिम 70 हजार हैं।
खतौली और रामपुर में भाजपा और सपा रालोद गठबंधन की सीधी टक्कर
खतौली विधानसभा के उपचुनाव के लिए आज 14 प्रत्याशियों के बीच मुकाबला है। सियासी गलियारों में भाजपा प्रत्याशी राजकुमारी सैनी और गठबंधन के प्रत्याशी पूर्व विधायक मदन भैया के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है। दोनों राजनीतिक दल दिनभर अपने-अपने बूथ मैनेजमेंट में जुटे रहे। मतदान के दिन के लिए प्रत्याशियों और समर्थकों ने रणनीति बनाई। खतौली में राजनीतिक दलों के दावों और वादों के बाद अब जनता के फैसले की बारी है। सोमवार को जनता अपना फैसला ईवीएम का बटन दबाकर करेगी। एक ओर भाजपा अपने परंपरागत सवर्ण और सैनी आदि पिछड़े वोटों के साथ दलित और जाटों में सेंधमारी की जुगत में है तो दूसरी ओर, सपा-रालोद और आजाद समाज पार्टी गठबंधन के प्रत्याशी पूर्व विधायक मदन भैया जाट गुर्जर यादव के साथ दलित मुस्लिम मतदाताओं के साथ मजबूती से ताल ठोक रहे हैं। जानकर त्यागी वोट में भी इस बार भारी बंटवारा देख रहे हैं।
रामपुर विधानसभा उपचुनाव में सपा और भाजपा के उम्मीदवारों सहित कुल 10 प्रत्याशी मैदान में
2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर 14 फरवरी को मतदान हुआ था। इसमें सपा के आजम खां निर्वाचित हुए थे। नफरती भाषण के एक मामले में कोर्ट से सजा मिलने के बाद उनकी विधायकी खारिज करने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। मुख्य मुकाबला सपा और भाजपा के बीच माना जा रहा है। सपा के आजम खां के करीबी आसिम राजा मैदान में हैं तो भाजपा से पूर्व राज्यमंत्री शिव बहादुर सक्सेना के पुत्र आकाश सक्सेना। आकाश सक्सेना दूसरी बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। वह इस साल संपन्न हुए विधानसभा के चुनाव में भी इसी सीट से भाजपा के उम्मीदवार थे। आसिम राजा पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले जून माह में संपन्न लोकसभा के उपचुनाव में वह सपा के प्रत्याशी थे। भाजपा के घनश्याम सिंह लोधी से हुए मुकाबले में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
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इसके अलावा, दलित नेता जिग्नेश मेवानी बनासकांठा जिले की वडगाम सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं, और गुजरात विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुखराम राठवा छोटा उदयपुर जिले के जेतपुर से उम्मीदवार हैं। वडोदरा जिले की वाघोडिया सीट से भाजपा के बागी मधु श्रीवास्तव निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। उधर, UP में मैनपुरी लोकसभा के साथ रामपुर व खतौली में उपचुनाव के लिए वोटिंग हो रही है जिसमें सपा रालोद के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ और भाजपा दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर है।
पहले बात गुजरात की तो दूसरे चरण में मध्य और उत्तर गुजरात जिलों की 93 सीटों पर मतदान होना है। करीब 833 उम्मीदवार मैदान में हैं। दूसरे चरण में करीब 2.51 करोड़ लोग वोट डाल सकते हैं। चुनाव आयोग के अनुसार इनमें से 5.96 लाख मतदाता 18-19 वर्ष की आयु के हैं। वोटों की गिनती आठ दिसंबर को होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह अहमदाबाद में वोट डालेंगे। अहमदाबाद की सभी 16 शहरी सीटें भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन पर 1990 के बाद से चुनावों में भाजपा का दबदबा बना हुआ है। कांग्रेस ने अहमदाबाद में पिछले चुनाव में अपनी सीटों में सुधार किया था। 2012 में उसे दो सीटों पर जीत मिली थी और 2017 में 4 सीटों पर जीत मिली.इस बार आम आदमी पार्टी (आप) ने सभी 16 सीटों पर उम्मीदवार उतार कर मुकाबला दिलचस्प बना दिया है।
अहमदाबाद में मुस्लिम बहुल जमालपुर खड़िया सीट पर, असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM की एंट्री कांग्रेस को परेशान कर सकती है, क्योंकि AIMIM के उम्मीदवार साबिर काबलीवाला कांग्रेस के पूर्व विधायक हैं। साबिर ने 2012 में निर्दलीय चुनाव लड़ा था। इसके कारण बीजेपी को यहां से जीत मिली थी। कांग्रेस के वोट साबिर के कारण बंट गए थे। भाजपा और आम आदमी पार्टी सभी 93 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। कांग्रेस 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उसकी सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने दो सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। गुजरात विधानसभा में कुल 182 सीट हैं। प्रदेश चुनाव निकाय के अनुसार, उम्मीदवारों में 285 निर्दलीय भी शामिल हैं। अन्य दलों में, भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने 12 और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 44 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। सोमवार को जिन 93 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होगा, वे अहमदाबाद, वडोदरा, गांधीनगर और अन्य जिलों में फैले हुए हैं।
2017 के विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इनमें से 51 सीटें जीती थी। कांग्रेस ने 39, जबकि तीन सीट पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। मध्य गुजरात में भाजपा ने 37 सीटें जीती थी। कांग्रेस को 22 सीटें मिली थी। उत्तर गुजरात में, कांग्रेस ने 17 सीटें पर जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा को 14 सीटें मिली थी। दूसरे चरण के लिए चुनाव प्रचार शनिवार शाम को समाप्त हो गया था। खास है कि कच्छ सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात क्षेत्रों की 89 सीट पर पहले चरण में एक दिसंबर को मतदान हुआ था। पहले चरण में औसत मतदान 63.31 फीसद दर्ज किया गया था। गुजरात चुनाव के पहले चरण में कम मतदान हुआ। इसके लिए चुनाव आयोग ने भी गुजरात के शहरी मतदाताओं की उदासीनता की आलोचना की है।
UP में मैनपुरी, खतौली व रामपुर उपचुनाव के लिए वोटिंग
UP में आज जहां विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है वहीं, मैनपुरी लोकसभा और रामपुर व खतौली विधानसभा उपचुनाव के लिए आज मतदान हो रहा है। यह चुनाव भाजपा और सपा की तैयारी का लिटमस टेस्ट साबित हो सकता है। सपा के अभेद दुर्ग मैनपुरी को ढहाकर भाजपा यूपी फतह का संदेश देना चाहती है जबकि सपा ने भाजपा के रथ को रोकने के लिए चक्रव्यूह बना रखा है। इसमें अखिलेश-शिवपाल की एकता भाजपा के लिए दीवार बन गई है।
लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले होने वाले मैनपुरी उपचुनाव पर पूरे देश की निगाह है। यहां मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उपचुनाव हो रहा है। सपा ने पूर्व सांसद डिंपल यादव को मैदान में उतारकर सैफई परिवार की साख दांव पर लगा दी है तो भाजपा ने मुलायम के शागिर्द रहे पूर्व सांसद रघुराज शाक्य पर दांव लगाकर गढ़ में ही मात देने की रणनीति तैयार की है। यहां के सियासी मुकाबले की गर्मी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव नामांकन के बाद से मैनपुरी में डेरा डाले हैं। जनसभा के साथ घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं। इसे अखिलेश में हुए बड़े बदलाव के तौर पर भी देखा जा रहा है। क्योंकि अभी तक वह उपचुनाव से दूर रहे हैं। दूसरी तरफ भाजपा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, केशव प्रसाद मौर्य सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं को मैदान में उतार कर पुख्ता सियासी चक्रव्यूह तैयार किया है। इसे तोड़ने में कई जगह सपाई पसीने-पसीने नजर आ रहे हैं।
भाजपा के लिए मैनपुरी का महत्व
सपा का गढ़ माने जाने वाले ज्यादातर लोकसभा क्षेत्र पर भाजपा ने परचम लहरा दिया है। इनमें कन्नौज, फिरोजाबाद, फर्रुखाबाद, इटावा, आजमगढ़ और रामपुर शामिल हैं। मैनपुरी सैफई परिवार की घर की सीट मानी जाती है। यहां 1989 से अब तक हुए 11 लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह या उनके परिवार के सदस्य को ही विजय मिली। मुलायम अब वह नहीं हैं। ऐसे में भाजपा इस सीट को हासिल कर पूरे देश में नया संदेश देना चाहती है। इस सीट के भाजपा के खाते में जाने का सीधा असर मुख्यमंत्री योगी के कद पर भी पड़ेगा।
सपा के लिए भी साख का सवाल
सपा घर की सीट बचाकर अपना दबदबा कायम रखना चाहती है। मुलायम सिंह यहां से खुद पांच बार सांसद रहे। सपा ये संदेश देने में लगी है कि मैनपुरी से सियासी सफर शुरू करने वाले मुलायम सिंह के नहीं रहने पर भी धाक बरकरार है। अमर उजाला के अनुसार, इसी से अब पार्टी नए अंदाज में शुरुआत कर रही है। इस सीट के बहाने प्रत्यक्ष रूप से सैफई परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। लेकिन मैनपुरी खोने का सीधा असर अखिलेश के सियासी कॅरिअर पर पड़ना तय है।
यही वजह है कि सपा ने उम्मीदवार घोषित करने से पहले यहां पूर्व मंत्री आलोक शाक्य को जिलाध्यक्ष बनाया। इनके जरिए गैर यादव ओबीसी वर्ग को साधने का प्रयास किया गया। क्योंकि यहां यादवों के बाद शाक्य मतदाता सर्वाधिक हैं। इतना ही नहीं लंबे समय से चली आ रही तल्खी को भुलाते हुए अखिलेश ने चाचा शिवपाल यादव का आशीर्वाद लिया। क्योंकि उन्हें इस बात का अंदाजा था कि सियासी रणनीतिकार के रूप में शिवपाल ही उन्हें जीत का रास्ता दिखा सकते हैं। मैनपुरी सीट जीतकर सपा 2024 को साधने की तैयरी में है। यह संदेश देगी कि यादव वोट बैंक में बिखराव नहीं है।
यह है सियासी गणित
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटों में करहल से अखिलेश, जसवंतनगर से शिवपाल और किशनी से ब्रजेश कठेरिया विधायक हैं। मैनपुरी से भाजपा के जयवीर सिंह तो भोगनी से भाजपा के राम नरेश अग्निहोत्री विधायक हैं। यहां सर्वाधिक यादव मतदाता हैं, जिनकी संख्या करीब 4.25 लाख है। इसी तरह शाक्य करीब 3.25 लाख, ठाकुर दो लाख, ब्राह्मण 1.22 लाख, दलित डेढ़ लाख और मुस्लिम 70 हजार हैं।
खतौली और रामपुर में भाजपा और सपा रालोद गठबंधन की सीधी टक्कर
खतौली विधानसभा के उपचुनाव के लिए आज 14 प्रत्याशियों के बीच मुकाबला है। सियासी गलियारों में भाजपा प्रत्याशी राजकुमारी सैनी और गठबंधन के प्रत्याशी पूर्व विधायक मदन भैया के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है। दोनों राजनीतिक दल दिनभर अपने-अपने बूथ मैनेजमेंट में जुटे रहे। मतदान के दिन के लिए प्रत्याशियों और समर्थकों ने रणनीति बनाई। खतौली में राजनीतिक दलों के दावों और वादों के बाद अब जनता के फैसले की बारी है। सोमवार को जनता अपना फैसला ईवीएम का बटन दबाकर करेगी। एक ओर भाजपा अपने परंपरागत सवर्ण और सैनी आदि पिछड़े वोटों के साथ दलित और जाटों में सेंधमारी की जुगत में है तो दूसरी ओर, सपा-रालोद और आजाद समाज पार्टी गठबंधन के प्रत्याशी पूर्व विधायक मदन भैया जाट गुर्जर यादव के साथ दलित मुस्लिम मतदाताओं के साथ मजबूती से ताल ठोक रहे हैं। जानकर त्यागी वोट में भी इस बार भारी बंटवारा देख रहे हैं।
रामपुर विधानसभा उपचुनाव में सपा और भाजपा के उम्मीदवारों सहित कुल 10 प्रत्याशी मैदान में
2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर 14 फरवरी को मतदान हुआ था। इसमें सपा के आजम खां निर्वाचित हुए थे। नफरती भाषण के एक मामले में कोर्ट से सजा मिलने के बाद उनकी विधायकी खारिज करने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। मुख्य मुकाबला सपा और भाजपा के बीच माना जा रहा है। सपा के आजम खां के करीबी आसिम राजा मैदान में हैं तो भाजपा से पूर्व राज्यमंत्री शिव बहादुर सक्सेना के पुत्र आकाश सक्सेना। आकाश सक्सेना दूसरी बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। वह इस साल संपन्न हुए विधानसभा के चुनाव में भी इसी सीट से भाजपा के उम्मीदवार थे। आसिम राजा पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले जून माह में संपन्न लोकसभा के उपचुनाव में वह सपा के प्रत्याशी थे। भाजपा के घनश्याम सिंह लोधी से हुए मुकाबले में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
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