गुजरात मॉडल पर पी. चिदंबरम की दो टूक

Written by संजय कुमार सिंह | Published on: November 25, 2022


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्तूबर के बाद से कई बार गुजरात का दौरा कर चुके हैं। राज्य में एक और पांच दिसंबर को विधानसभा के लिए मतदान होने हैं। उससे पहले नवंबर में उनके और अधिक दौरे करने की उम्मीद है। खासकर गुजरात के तैंतीस जिलों में उन्होंने हर जगह कार्यक्रम आयोजित किए हैं। जब तक चुनाव आयोग मेहरबान था, प्रधानमंत्री ‘उद्घाटन’ की होड़ में थे। उन्हें ‘सरकारी’ कार्यक्रमों के रूप में प्रचारित किया गया था, मगर प्रधानमंत्री के भाषणों में कुछ भी ‘सरकारी’ नहीं था। उनके भाषणों में (चाहे वे गुजरात में हों, भारत में कहीं भी या विदेश में) सभी में एक विषय-वस्तु समान है: आधुनिक, पुनरुत्थानशील भारत का इतिहास 2014 से शुरू हुआ। इसी तर्क से, आधुनिक, पुनरुत्थानवादी गुजरात का इतिहास 2001 में शुरू हुआ। क्या उन बयानों में कुछ झकझोरने वाला है (गुजरात, भारत से पहले भी?)। मैं इसे आप पर छोड़ता हूं कि आप इस पहेली को सुलझाएं।

प्रधानमंत्री के मुताबिक गुजरात भारत के लिए एक ‘मॉडल’ है। वे यह दावा करने से केवल एक कदम दूर हैं कि दुनिया के लिए भारत एक माडल है। गुजरात की जनता दिसंबर की शुरुआत में प्रधानमंत्री के दावे पर मतदान करेगी। दुर्भाग्य से, दुनिया के लोगों को दूसरे दावे पर वोट करने का मौका नहीं मिलेगा। मुझे लगता है कि यह उनका दुर्भाग्य है।

ईर्ष्याजनक नहीं 
आइए, गुजरात माडल की परख करते हैं: मैंने इसमें कुछ अनोखी विशेषताएं देखी हैं: 

- भाजपा सत्ता में रही है, लेकिन 2016 से अब तक वहां तीन मुख्यमंत्री हुए हैं। तीनों में, सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले विजय रूपाणी थे- 2016 से 2021 तक- लेकिन उन्होंने ऐसी अमिट छाप छोड़ी कि उन्हें अपने पूरे मंत्रिपरिषद के साथ पद से हटा दिया गया। ‘रिवाल्विंग डोर चीफ मिनिस्टर्स’ यानी घूमते दरवाजे में मुख्यमंत्री आधुनिक, पुनरुत्थानशील गुजरात का (कर्नाटक और उत्तराखंड का भी) प्रिय माडल है।
गुजरात माडल की एक अन्य विशेषता है, ‘डबल इंजन’ सरकार। आप अंदाजा लगा रहे होंगे कि डबल इंजन का मतलब ‘पीएम और सीएम’ है। मगर, आप गलत हैं। डबल इंजन हैं- ‘प्रधानमंत्री और गृहमंत्री’। गुजरात में तब तक कुछ नहीं चलता, जब तक कि डबल इंजन नहीं चलते। अगर बाकी भारत गुजरात माडल का पालन करता है, तो हम राज्य सरकारों और राज्यों से भी छुटकारा पा सकते हैं, और ‘एक भारत, एक सरकार’ बना सकते हैं।

घटता गौरव
- गुजरात माडल की एक उल्लेखनीय विशेषता है घटती विकास दर, मगर गुजराती गौरव का बढ़ना। चार वर्षों में राज्य की सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर इस प्रकार रही है: 2017-18 में 10.7 फीसद, 2018-19 में 8.9, 2019-20 में 7.3 और 2020-21 में -1.9 फीसद। आप पूछ सकते हैं कि क्या अखिल भारतीय जीडीपी की विकास दर 2017-18 से गिरावट पर थी? जवाब है, ‘बेशक, हां’। ऐसा इसलिए है, क्योंकि भारत ने गुजरात माडल का अनुकरण किया। महामारी के बाद गुजरात की 2021-22 की जीएसडीपी में उछाल आया, तो अखिल भारतीय जीडीपी में भी उछाल आया। गुजरात ने जो कुछ कल किया, भारत उसे कल करेगा।

- एक दूसरी विशेषता, जिसे भारत अपनाएगा, वह है ‘कोई माफी नहीं, कोई इस्तीफा नहीं’ का सिद्धांत। मोरबी पुल के गिरने से तिरपन बच्चों सहित एक सौ पैंतीस लोगों की मौत हो गई। यह त्रासदी इतनी बड़ी थी कि प्रधानमंत्री वहां गए, पर न तो मीडिया को संबोधित किया और न उसके सवालों का जवाब दिया। गुजरात उच्च न्यायालय ने बताया कि करीब सवा पृष्ठ का करार हुआ था; जिसमें न कोई मकसद जाहिर था; न कोई निविदा थी; न किसी पूर्व योग्यता की शर्त थी; न कोई प्रतिस्पर्धी बोली लगाई गई थी; न कोई शर्त; न पुल पर पेंट की ताजा परत (तथाकथित मरम्मत) लगने के बाद कोई ‘फिटनेस’ प्रमाण पत्र लिया गया; फिर भी पुल को जनता के लिए खोल दिया गया। एक सिद्धांत के रूप में, गुजरात ‘कोई माफी नहीं और कोई इस्तीफा नहीं’ में विश्वास करता है। भविष्य में भारत भी बिना किसी जवाबदेही के इस सिद्धांत का पालन करेगा।

- शेरों के गौरव की तरह (गिर वन), संख्याओं को लेकर भी गर्व प्रकट किया जाता है। संख्याएं गुजराती अस्मिता (गौरव) को बढ़ाती हैं। मसलन, वादा किए गए निवेश और गुजरात में वास्तविक निवेश की इस तालिका को देखें: जैसे-जैसे वादे और हकीकत के बीच की खाई बढ़ती जाएगी, भारत की अस्मिता भी बढ़ेगी।

महिलाएं, युवा और बच्चे
- गुजरात एक ऐसा माडल है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि महिलाओं के साथ कैसा व्यवहार (नहीं) किया जाए, इसकी शुरुआत बालिकाओं से होती है। अखिल भारतीय औसत 943 के मुकाबले लिंग अनुपात (महिला से पुरुष) 919 है। जबकि श्रम भागीदारी दर (एलपीएफ) 41.0 फीसद है, महिलाओं के लिए एलपीएफ 23.4 फीसद है। कहां हैं लापता बच्चियां? और अगर वे जीवित रहती हैं तो 76 फीसद अपने घरों से बाहर काम नहीं करती हैं।
- गुजरात माडल युवाओं पर काम का बोझ नहीं डालता। बीस से चौबीस साल के युवाओं में बेरोजगारी दर 12.49 फीसद है। चुनाव से पहले उन्हें अच्छी तरह से आराम दिया जाता है।
- गुजरात बच्चों, उनके पोषण और उनके स्वास्थ्य की देखभाल (नहीं) करने का एक माडल है। बच्चों में 39 फीसद नाटे और 39.7 फीसद कम वजन के हैं। अविकसित बच्चे 25.1 फीसद हैं। इन संकेतकों में, गुजरात भारत के तीस राज्यों में छब्बीस से उनतीसवें स्थान पर है। 
- गुजरात माडल ने ईमानदारी से आरएसएस की इस उक्ति का पालन किया कि ‘इस देश में रहने वाले सभी भारतीय हिंदू हैं’। नतीजतन, राज्य की आबादी में 9.67 फीसद मुसलिम भी हिंदू हैं। इसलिए, गुजरात माडल के तहत, भाजपा ने 1995 के बाद से पंचवर्षीय विधानसभा चुनाव में एक भी मुसलिम उम्मीदवार (182 सीटों पर) को मैदान में नहीं उतारा। 

गुजरात माडल को अन्य राज्यों और अन्य देशों में भी निर्यात किया जाना चाहिए। गुजरात माडल के लिए हर वोट यह सुनिश्चित करेगा कि उन लक्ष्यों को हासिल किया जाएगा। तथास्तु।
 
[इंडियन एक्सप्रेस में ‘अक्रॉस दि आइल’ नाम से छपने वाला, पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता, पी चिदंबरम का साप्ताहिक कॉलम। जनसत्ता में यह ‘दूसरी नजर’ नाम से छपता है। हिन्दी अनुवाद जनसत्ता से साभार, संपादित। जनसत्ता में इसका शीर्षक है, "गुजरात आदर्श नहीं"। इंडियन एक्सप्रेस के शीर्षक का अनुवाद होगा, "गुजरात : एक मॉडल जो अनुसरण योग्य नहीं है"। मुझे लगता है कि गुजरात पर तथ्यों के साथ ऐसा शायद लिखा ही नहीं गया हो, इन दिनों तो उम्मीद भी नहीं है। इंडियन एक्सप्रेस और जनसत्ता में यह इतवार, 20 नवंबर 2022 को प्रकाशित हुआ था।]

संजय कुमार सिंह के फेसबुक वॉल से साभार

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