गुजरात चुनाव: मोरबी व कच्छ सहित पहले चरण की 89 विधानसभा सीटों पर आज वोटिंग

Written by Navnish Kumar | Published on: December 1, 2022
गुजरात में विधानसभा चुनाव के पहले चरण का प्रचार बंद होने के बाद आज 1 दिसंबर को राज्य के 19 जिलों की मोरबी, कच्छ, राजकोट, पोरबंदर और जूनागढ़ सहित 89 विधानसभा क्षेत्रों में वोट डाले जाएंगे। बची 93 सीटों पर 5 दिसंबर को मतदान होगा। पहले चरण की 89 सीटों के लिए 788 उम्मीदवार मैदान में हैं और करीब दो करोड़ मतदाता अपने वोट डालने के अधिकार का इस्तेमाल करेंगे। खास है कि मोरबी में हाल ही में झूलते पुल के टूटने से हुए हादसे में 52 बच्चों सहित करीब 141 लोगों की मृत्यु हो गई थी।



मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पहले चरण में भाजपा और कांग्रेस सभी 89 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं, जबकि आम आदमी पार्टी ने 88 सीटों पर उम्मीदवारों को उतारा है। बहुजन समाजवादी पार्टी ने 57 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं तो असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएमआईएम के 6 उम्मीदवार मैदान में हैं। पहले चरण के प्रचार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजराती अस्मिता के साथ आतंकवाद के मसले पर वोट मांगे। कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा छोड़कर 21 नवंबर को प्रचार में गुजरात गए थे। उन्होंने दो चुनावी सभाओं को संबोधित किया। प्रचार के आखिरी दिन मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 3 जिलों में 4 सभाओं को संबोधित किया, जबकि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भावनगर ने रोड शो किया। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने मांडवी और गांधीधाम में प्रचार किया। पहले चरण की सीटों पर भाजपा ने पिछले तीन हफ्ते में 150 से ज्यादा जनसभा और रोड शो किए हैं। गुजरात में पहली बार ऐसा हो रहा है कि चुनाव त्रिकोणीय हो रहा है और भाजपा व और कांग्रेस के साथ साथ आम आदमी पार्टी भी पूरी ताकत से लड़ रही है।

वहीं राजनीतिक विश्लेषकों और चुनावी पंडितों के अनुसार, गुजरात के चुनाव भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों के लिए प्रतिष्ठा के चुनाव हैं। वरिष्ठ पत्रकार ओम प्रकाश मेहता नया इंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट में कहते हैं कि पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य गुजरात के ये चुनाव जहां बीते 27 साल से राज कर रही भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है, वहीं ये चुनाव ये भी स्पष्ट करेगें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले 8 साल के राज में जो भी काम किए, उन पर उन्हीं के राज्य की जनता की राय क्या है? प्रधानमंत्री स्वयं इन चुनावों को अपनी प्रतिष्ठा की कसौटी मानकर, सत्ता में वापसी को दिन-रात एक कर रहे है। राज्य की 182 विधानसभा सीटों पर 2 चरण में 1 व 5 दिसंबर को मतदान है तथा हिमाचल व गुजरात दोनों राज्यों के चुनाव नतीजे 8 दिसंबर को आने है।

गुजरात के चुनाव प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा से इसलिए भी जुड़े है, क्योंकि ये परिणाम अगले साल राजस्थान व मध्यप्रदेश तथा अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों तथा 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को भी प्रभावित करने वाले है। गुजरात चुनाव में इस बार इसलिए भी अहम है कि 2017 के विधानसभा चुनावों में गुजरात में एक भी सीट पर जीत दर्ज नहीं करा पाने वाली आम आदमी पार्टी, इस बार राज्य में सरकार बनाने के दावे कर रही है, जब मुख्य प्रतिपक्षी दल कांग्रेस डोर टू डोर प्रचार में लगी है। कुछ राजनीतिक पंडितों का मानना है कि गुजरात चुनाव त्रिकोणीय होने से नतीजे चौकाने वाले हो सकते है और कांग्रेस छुपा रुस्तम भी साबित हो सकती हैं। वहीं, दिल्ली के बाद पंजाब में सरकार बन जाने से आम आदमी पार्टी के हौसले भी बढ़े हुए है।

साख का सवाल बनने के चलते भाजपा गुजरात चुनाव में किसी तरह कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। यही कारण है कि चुनाव में उन तमाम पुराने मुद्दों की भी वापसी हो गई है जिन पर 2002 और उसके बाद के चुनाव नरेंद्र मोदी जीतते रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, राज्य का मुख्यमंत्री बने रहने के लिए वे जिन मुद्दों का इस्तेमाल करते थे और जिन मुद्दों की वजह से गुजरात, भाजपा और संघ की प्रयोगशाला बना वे सारे मुद्दे फिर से 2022 के चुनाव में उठाए जाने लगे हैं। बतौर प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी, राज्य में फिर से सत्ता में वापसी के लिए वे ही मुद्दे उठा रहे हैं, जो मुख्यमंत्री बने रहने के लिए उठाते थे। राज्य के चुनाव में आतंकवाद की एंट्री हो गई है और साथ ही नरेंद्र मोदी की जान के खतरे वाली बात भी सामने आ गई है।

प्रधानमंत्री मोदी ने 27 नवंबर की अपनी चुनावी रैलियों में आतंकवाद का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और समान विचार वाली पार्टियां आतंकवाद को सफलता का शॉर्टकट मानती हैं और बड़ी आतंकवादी घटनाओं पर चुप रहती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा की सरकार ही गुजरात को आतंकवाद से बचा सकती है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तो गुजरात चुनाव प्रचार करते हुए आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल को आतंकवादियों से प्यार करने वाला तक बता दिया। इससे कुछ ही दिन पहले एनआईए के ऑपरेशन ऑक्टोपस में खुलासा हुआ कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने की साजिश रची थी। चुनाव से पहले मीडिया में इस खबर को पर्याप्त कवरेज मिल रही है। इस तरह की खबरों से गुजरात के मतदाता स्वाभाविक रूप से भाजपा के पक्ष में एकजुट होते हैं।

हालांकि राजनीतिक प्रेक्षक व चुनावी पंडित यह जरूर मान रहे है कि गुजरात में भारतीय जनता पार्टी का 2017 वाला रूतबा रहने वाला नही है, अर्थात् प्रधानमंत्री मोदी जी के अथक प्रयासों के बावजूद उतनी सीटें प्राप्त नहीं कर पाएगी जितनी 2017 में प्राप्त की थी, किंतु यह भी आमतौर पर माना जा रहा है कि इस बार भी गुजरात में भाजपा सत्ता पाने में सफल हो सकती है। किंतु इस सबके बावजूद प्रधानमंत्री के इस गृह राज्य में प्रधानमंत्री की अपनी पार्टी भाजपा के लिए यह चुनाव किसी चुनौती से कम नहीं है। हर कोई यह महसूस कर रहा है कि इतने प्रतिष्ठा व चुनौतीपूर्ण चुनाव पहले किसी प्रधानमंत्री के गृह राज्य में नहीं हुए जैसे हालात गुजरात में बने हैं।

फिर हर कोई यह जानता है कि गुजरात विधानसभा के इन चुनावों के परिणामों की राजनीति धमक-चमक कितने दिनों तक कहां-कहां रहने वाली है, प्रधानमंत्री के दल भाजपा को इस बात की भी चिंता है कि यदि भाजपा की गुजरात में किरकिरी हो गई तो फिर पार्टी को इसका कितना खामियाजा भुगतना पड़ सकता है? क्योंकि भाजपा शासित राज्य मध्यप्रदेश तथा कांग्रेस शासित राजस्थान में भी अगले वर्ष 2023 के दौरान चुनाव होना है और भाजपा इन चुनावों में अपनी जीत दर्ज करवा कर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए अपना मार्ग प्रशस्त करना चाहेगी।

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