सामाजिक कार्यकर्ता व मानवाधिकार रक्षक तीस्ता सेतलवाड़ शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद आज जेल से बाहर आ गई हैं।
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वरिष्ठ पत्रकार व मानवाधिकार रक्षक तीस्ता सेतलवाड़ आज गुजरात की साबरमती जेल से रिहा हो गई हैं। तीस्ता की रिहाई सिर्फ उनके परिचितों ही नहीं बल्कि उनके लिए भी खास है जिन्होंने उन्हें आज तक देखा नहीं लेकिन उनके शुक्रगुजार हैं। असम में ऐसे कई उदाहरण देखे जा सकते हैं जिनपर विदेशी घोषित होने का तमगा लगा था लेकिन वे उनकी दशकों पुरानी मेहनत व मानवीयता के बदौलत आज खुद को भारतीय साबित कर पाए हैं।
उत्तर प्रदेश की ही बात की जाए तो कोविड लॉकडाउन के वक्त तीस्ता सेतलवाड़ और उनके संगठन ने उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में बगैर किसी एडवर्टाइजमेंट के साथ जो कार्य किया वह वहां के लोग ही जान सकते हैं। जिस तरह से तीस्ता नदी अनवरत बहती है, सेतलवाड़ भी आज आजाद होकर बेड़ियों से बाहर आजद हो गई हैं।
तीस्ता सेतलवाड़ के कार्यों को चंद शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता क्योंकि सिर्फ आजादी के समय ही नहीं बल्कि आजादी से पूर्व भी उनके पूर्वज अंग्रेजों से लड़ाई में आगे रहे हैं। 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड से लगभग सभी परिचित होंगें। तीस्ता की गिरफ्तारी के बाद उनके पूर्वज यानी परदादा चिमनलाल सेतलवाड़ को लेकर सत्ताधारी आईटी सेल द्वारा अफवाह उड़ाई गई थी कि उनके परदादा ने जनरल डायर के खिलाफ कुछ नहीं किया लेकिन फेक्ट चेक किया गया तो उसमें सत्तापक्ष के आईटी सेल का दावा धराशाई हो गया क्योंकि उनके परदादा ने डायर के खिलाफ कड़े सवालोत्तर कर उसे कठघरे में खड़ा किया था। इसके दस्तावेज भी उपलब्ध हैं।
अब तीस्ता चौथी पीढ़ी में अपने ही देश में वंचित व मजलूम वर्ग की लड़ाई लड़ रही हैं जिसकी वजह से उन्हें जेल में जाना पड़ा। लेकिन वे आज आजाद हैं।
सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ जेल से बाहर आ गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बीते दिन ही अंतरिम जमानत दी थी। उन्हें 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए कथित रूप से दस्तावेज बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि तीस्ता सीतलवाड़ को जांच में पूरा सहयोग करना होगा। कोर्ट ने तीस्ता से अपना पासपोर्ट सरेंडर करने के लिए कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उन्होंने इस मामले पर केवल अंतरिम जमानत के दृष्टिकोण से विचार किया है। गुजरात उच्च न्यायालय तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर इस अदालत द्वारा की गई किसी भी टिप्पणी से स्वतंत्र और अप्रभावित रूप से फैसला करेगा। गुजरात हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई 19 सितंबर को होगी।
दिन को रात, झूठ को सच बोलने वाले याद रखें - तीस्ता आज़ाद हैं, और आज़ाद रहेगी।
तीस्ता सेतलवाड़ की रिहाई की कुछ तस्वीरें
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वरिष्ठ पत्रकार व मानवाधिकार रक्षक तीस्ता सेतलवाड़ आज गुजरात की साबरमती जेल से रिहा हो गई हैं। तीस्ता की रिहाई सिर्फ उनके परिचितों ही नहीं बल्कि उनके लिए भी खास है जिन्होंने उन्हें आज तक देखा नहीं लेकिन उनके शुक्रगुजार हैं। असम में ऐसे कई उदाहरण देखे जा सकते हैं जिनपर विदेशी घोषित होने का तमगा लगा था लेकिन वे उनकी दशकों पुरानी मेहनत व मानवीयता के बदौलत आज खुद को भारतीय साबित कर पाए हैं।
उत्तर प्रदेश की ही बात की जाए तो कोविड लॉकडाउन के वक्त तीस्ता सेतलवाड़ और उनके संगठन ने उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में बगैर किसी एडवर्टाइजमेंट के साथ जो कार्य किया वह वहां के लोग ही जान सकते हैं। जिस तरह से तीस्ता नदी अनवरत बहती है, सेतलवाड़ भी आज आजाद होकर बेड़ियों से बाहर आजद हो गई हैं।
तीस्ता सेतलवाड़ के कार्यों को चंद शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता क्योंकि सिर्फ आजादी के समय ही नहीं बल्कि आजादी से पूर्व भी उनके पूर्वज अंग्रेजों से लड़ाई में आगे रहे हैं। 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड से लगभग सभी परिचित होंगें। तीस्ता की गिरफ्तारी के बाद उनके पूर्वज यानी परदादा चिमनलाल सेतलवाड़ को लेकर सत्ताधारी आईटी सेल द्वारा अफवाह उड़ाई गई थी कि उनके परदादा ने जनरल डायर के खिलाफ कुछ नहीं किया लेकिन फेक्ट चेक किया गया तो उसमें सत्तापक्ष के आईटी सेल का दावा धराशाई हो गया क्योंकि उनके परदादा ने डायर के खिलाफ कड़े सवालोत्तर कर उसे कठघरे में खड़ा किया था। इसके दस्तावेज भी उपलब्ध हैं।
अब तीस्ता चौथी पीढ़ी में अपने ही देश में वंचित व मजलूम वर्ग की लड़ाई लड़ रही हैं जिसकी वजह से उन्हें जेल में जाना पड़ा। लेकिन वे आज आजाद हैं।
सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ जेल से बाहर आ गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बीते दिन ही अंतरिम जमानत दी थी। उन्हें 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए कथित रूप से दस्तावेज बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि तीस्ता सीतलवाड़ को जांच में पूरा सहयोग करना होगा। कोर्ट ने तीस्ता से अपना पासपोर्ट सरेंडर करने के लिए कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उन्होंने इस मामले पर केवल अंतरिम जमानत के दृष्टिकोण से विचार किया है। गुजरात उच्च न्यायालय तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर इस अदालत द्वारा की गई किसी भी टिप्पणी से स्वतंत्र और अप्रभावित रूप से फैसला करेगा। गुजरात हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई 19 सितंबर को होगी।
दिन को रात, झूठ को सच बोलने वाले याद रखें - तीस्ता आज़ाद हैं, और आज़ाद रहेगी।
तीस्ता सेतलवाड़ की रिहाई की कुछ तस्वीरें
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