यूपी चुनाव में भाजपा गठबंधन को 273 तो सपा गठबंधन को 125 सीटें प्राप्त हुई हैं। चुनाव नतीजे के बाद सीएम योगी के नेतृत्व में गठित होने वाली भाजपा की नई सरकार के मंत्रिमंडल के सदस्यों पर दिल्ली में मोहर लगेगी। इसके लिए सीएम योगी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सहित अन्य नेता आज दिल्ली जा सकते है। वहीं, नतीजों के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती का बयान आया है।
मुसलमानों ने सपा पर जताया भरोसा: मायावती
चुनाव में मिली करारी हार पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपनी सफाई पेश की है। उन्होंने कहा कि इस बार के चुनाव में मुस्लिमों से भारी भूल हुई है क्योंकि उन्होंने भाजपा को रोकने के लिए सपा को वोट कर दिया और इसकी सजा बसपा को मिल गई। ठीक उसी तरह विभिन्न समाज का कास्ट का वोटर इसलिए भाजपा की तरफ शिफ्ट हो गया कि कहीं सपा की सरकार ना आ जाए और फिर से जंगलराज कायम ना हो जाए। इस सभी को समझना चाहिए था कि भाजपा की सरकार आने से यूपी में केवल बसपा ही रोक सकती है।
2017 के मुकाबले 2022 में बढ़ा सपा का वोट प्रतिशत
अखिलेश यादव ने जो ट्वीट किया है उसका आधार चुनाव परिणाम के बाद आए आंकड़े कह रहे हैं। समाजवादी पार्टी को 2017 के 21.82 प्रतिशत के मुकाबले इस बार उससे कहीं अधिक 32.03 प्रतिशत वोट मिले हैं और 111 सीटें जीती है। उसने राज्य में प्रमुख विपक्षी दल के तौर पर अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। वहीं भारतीय जनता पार्टी को 2017 के 39.67 प्रतिशत के मुकाबले इस बार 41.38 प्रतिशत वोट मिले। इसके 2.13 प्रतिशत वोट बढ़े जरूरी, लेकिन सीटों की संख्या 312 से घट गई है। भारतीय जनता पार्टी इस बार 255 सीट ही जीत सकी है।
भाजपा की सीटों को घटाया जा सकता है: अखिलेश
यूपी विधानसभा के चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बयान दिया है। अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि उत्तर प्रदेश की जनता को हमारी सीटें ढाई गुनी व मत प्रतिशत डेढ़ गुना बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद! अखिलेश यादव ने आगे लिखा कि हमने दिखा दिया है कि भाजपा की सीटों को घटाया जा सकता है। भाजपा का ये घटाव निरंतर जारी रहेगा।आधे से ज़्यादा भ्रम और छलावा दूर हो गया है बाकी कुछ दिनों में हो जाएगा। जनहित का संघर्ष जीतेगा!
मायावती ने 1977 का कांग्रेस का दिया उदाहरण
मायावती ने कहा कि सबसे मजबूत यह बात रही कि मेरे समाज का दलित वर्ग मेरे साथ मजबूती से चट्टान की तरह खड़ा रहा जबकि दलितों का एक वर्ग दूसरी तरफ शिफ्ट हो गया। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि मनोबल नहीं गिरने देना है सफलता एक दिन झक मारकर हमारे कदम चूमेगी। मायावती ने 1977 का कांग्रेस का उदाहरण दिया। वह सत्ता से बाहर हो गई थी लेकिन इसके बाद कांग्रेस ने दोबारा सत्ता में वापसी की इसी तरह से बसपा भी सत्ता वापसी करेगी। काडर के जरिए जनाधार को बढ़ाने का काम किया जाएगा।
बसपा से भी भूल हुई: मायावती
मायावती ने लखनऊ में कहा कि अपर कास्ट और ओबीसी में भी यह डर था कि सपा के सत्ता में आते ही पूरी तरह से यहां अव्यवस्था हावी हो जाएगी। जंगलराज फैल जाएगा। उन्होंने कहा कि मुस्लिम जो बसपा पर भरोसा करते रहे हैं इस बार उनसे भूल हो गई। बसपा से भी भूल हुई। बसपा आगे अपनी रणनीति बदलेगी।
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2017 के मुकाबले 2022 में बढ़ा सपा का वोट प्रतिशत
अखिलेश यादव ने जो ट्वीट किया है उसका आधार चुनाव परिणाम के बाद आए आंकड़े कह रहे हैं। समाजवादी पार्टी को 2017 के 21.82 प्रतिशत के मुकाबले इस बार उससे कहीं अधिक 32.03 प्रतिशत वोट मिले हैं और 111 सीटें जीती है। उसने राज्य में प्रमुख विपक्षी दल के तौर पर अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। वहीं भारतीय जनता पार्टी को 2017 के 39.67 प्रतिशत के मुकाबले इस बार 41.38 प्रतिशत वोट मिले। इसके 2.13 प्रतिशत वोट बढ़े जरूरी, लेकिन सीटों की संख्या 312 से घट गई है। भारतीय जनता पार्टी इस बार 255 सीट ही जीत सकी है।
भाजपा की सीटों को घटाया जा सकता है: अखिलेश
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मायावती ने 1977 का कांग्रेस का दिया उदाहरण
मायावती ने कहा कि सबसे मजबूत यह बात रही कि मेरे समाज का दलित वर्ग मेरे साथ मजबूती से चट्टान की तरह खड़ा रहा जबकि दलितों का एक वर्ग दूसरी तरफ शिफ्ट हो गया। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि मनोबल नहीं गिरने देना है सफलता एक दिन झक मारकर हमारे कदम चूमेगी। मायावती ने 1977 का कांग्रेस का उदाहरण दिया। वह सत्ता से बाहर हो गई थी लेकिन इसके बाद कांग्रेस ने दोबारा सत्ता में वापसी की इसी तरह से बसपा भी सत्ता वापसी करेगी। काडर के जरिए जनाधार को बढ़ाने का काम किया जाएगा।
बसपा से भी भूल हुई: मायावती
मायावती ने लखनऊ में कहा कि अपर कास्ट और ओबीसी में भी यह डर था कि सपा के सत्ता में आते ही पूरी तरह से यहां अव्यवस्था हावी हो जाएगी। जंगलराज फैल जाएगा। उन्होंने कहा कि मुस्लिम जो बसपा पर भरोसा करते रहे हैं इस बार उनसे भूल हो गई। बसपा से भी भूल हुई। बसपा आगे अपनी रणनीति बदलेगी।
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