लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ कोरोना पर लगाम लगाने में ही नहीं बल्कि लोगों की मृत्यु के बाद उनके शवों का अंतिम संस्कार कराने में भी विफल नजर आ रहे हैं। कुछ समय पहले लखनऊ के श्मशान में लगातार दिन रात जलती चिताओं की फोटो सामने आने के बाद प्रशासन ने इसे ढकवा दिया था लेकिन गंगा में बह रही लाशें लोगों की लाचारी व गरीबी का बयान कर रही हैं। अब प्रयागराज से बड़ी खबर आ रही है। यहां भी कानपुर, उन्नाव, कन्नौज, गाजीपुर और बलिया की तरह गंगा किनारे सैकड़ों की संख्या में दफन लाशें मिलीं हैं।
प्रयागराज में दफन लाशें
हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि दफनाए गए शवों में मौत का कारण कोरोना था या नहीं। गंगा किनारे शवों को दफन करके उनके चारों ओर बांस की घेराबंदी की गई है, जिससे लोगों को पता चल सके कि यहां पर शव को दफन किए गए हैं। न्यूज 18 की खबर के मुताबिक, श्रृंगवेरपुर धाम में प्रयागराज के अलावा प्रतापगढ़, सुल्तानपुर और फैजाबाद जिलों में शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी बेचने वाले लोग अब मृतकों से मोटी रकम वसूल रहे हैं, जिसकी वजह से पैसों की तंगी के चलते लोग अब रेत में ही शवों को दफना रहे हैं। लोगों का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर से पहले यहां पर प्रतिदिन 50 से 60 शवों का दाह संस्कार किया जाता था। लेकिन अप्रैल माह में जब कोविड से मौतों के आंकड़ों में इजाफा हुआ है।
इस तरह से गंगा की रेती में शवों को दफनाने के बाद लोग चिंतित हैं कि जब चार महीने बाद यहां गंगा का जलस्तर बढ़ेगा तो ये शव सड़ी गली अवस्था में तैरते मिलेंगे। इससे और भी ज्यादा महामारी फैलने की संभावना है।
इससे पहले दैनिक भास्कर ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के 27 जिलों की रिपोर्ट से ग्राउंड रिपोर्ट करवाई। यहां 30 रिपोर्टर्स ने खुद हालात का जायजा लिया। इससे मालूम चला कि बिजनौर से उत्तर प्रदेश में दाखिल होने वाली गंगा मां के किनारे बलिया तक 2 हजार से ज्यादा लाशें पिछले कुछ दिनों में मिल चुकी हैं।
दैनिक भास्कर के 30 रिपोर्टर्स ने बिजनौर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, हापुड़, अलीगढ़, कासगंज, संभल, अमरोहा, बदांयू, शाहजहांपुर, हरदोई, फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर, उन्नाव, रायबरेली, फतेहपुर, प्रयागराज, प्रतापगढ़, भदोही, मिर्जापुर, वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर और बलिया में गंगा किनारे घाट और गांवों का जायजा लिया। गंगा यूपी के इन्हीं जिलों में 1140 किलोमीटर का सफर तय करके हुए बिहार में दाखिल होती है। इनमें कानपुर, कन्नौज, उन्नाव, गाजीपुर और बलिया में हालात बेहद खराब मिले। तो बाकी जिलों में हालात काबू में दिखे।
उन्नाव बना सबसे बड़ा श्मशान
कोरोनाकाल में देश का सबसे बड़ा श्मशान उन्नाव में ही बना है। यहां के शुक्लागंज घाट और बक्सर घाट के पास करीब 900 से ज्यादा लाशें दफन हैं। दैनिक भास्कर ने दोनों जगहों की पड़ताल की। कदम-कदम पर मानव अंग बिखरे नजर आए। कुत्ते किसी लाश का हाथ नोंच रहे थे, तो किसी का पैर। दैनिक भास्कर के खुलासे के बाद प्रशासन नींद से जागा और आनन-फानन में सभी लाशों से कफन हटवाकर रेत डलवा दी गई।
प्रयागराज में दफन लाशें
हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि दफनाए गए शवों में मौत का कारण कोरोना था या नहीं। गंगा किनारे शवों को दफन करके उनके चारों ओर बांस की घेराबंदी की गई है, जिससे लोगों को पता चल सके कि यहां पर शव को दफन किए गए हैं। न्यूज 18 की खबर के मुताबिक, श्रृंगवेरपुर धाम में प्रयागराज के अलावा प्रतापगढ़, सुल्तानपुर और फैजाबाद जिलों में शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी बेचने वाले लोग अब मृतकों से मोटी रकम वसूल रहे हैं, जिसकी वजह से पैसों की तंगी के चलते लोग अब रेत में ही शवों को दफना रहे हैं। लोगों का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर से पहले यहां पर प्रतिदिन 50 से 60 शवों का दाह संस्कार किया जाता था। लेकिन अप्रैल माह में जब कोविड से मौतों के आंकड़ों में इजाफा हुआ है।
इस तरह से गंगा की रेती में शवों को दफनाने के बाद लोग चिंतित हैं कि जब चार महीने बाद यहां गंगा का जलस्तर बढ़ेगा तो ये शव सड़ी गली अवस्था में तैरते मिलेंगे। इससे और भी ज्यादा महामारी फैलने की संभावना है।
इससे पहले दैनिक भास्कर ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के 27 जिलों की रिपोर्ट से ग्राउंड रिपोर्ट करवाई। यहां 30 रिपोर्टर्स ने खुद हालात का जायजा लिया। इससे मालूम चला कि बिजनौर से उत्तर प्रदेश में दाखिल होने वाली गंगा मां के किनारे बलिया तक 2 हजार से ज्यादा लाशें पिछले कुछ दिनों में मिल चुकी हैं।
दैनिक भास्कर के 30 रिपोर्टर्स ने बिजनौर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, हापुड़, अलीगढ़, कासगंज, संभल, अमरोहा, बदांयू, शाहजहांपुर, हरदोई, फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर, उन्नाव, रायबरेली, फतेहपुर, प्रयागराज, प्रतापगढ़, भदोही, मिर्जापुर, वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर और बलिया में गंगा किनारे घाट और गांवों का जायजा लिया। गंगा यूपी के इन्हीं जिलों में 1140 किलोमीटर का सफर तय करके हुए बिहार में दाखिल होती है। इनमें कानपुर, कन्नौज, उन्नाव, गाजीपुर और बलिया में हालात बेहद खराब मिले। तो बाकी जिलों में हालात काबू में दिखे।
उन्नाव बना सबसे बड़ा श्मशान
कोरोनाकाल में देश का सबसे बड़ा श्मशान उन्नाव में ही बना है। यहां के शुक्लागंज घाट और बक्सर घाट के पास करीब 900 से ज्यादा लाशें दफन हैं। दैनिक भास्कर ने दोनों जगहों की पड़ताल की। कदम-कदम पर मानव अंग बिखरे नजर आए। कुत्ते किसी लाश का हाथ नोंच रहे थे, तो किसी का पैर। दैनिक भास्कर के खुलासे के बाद प्रशासन नींद से जागा और आनन-फानन में सभी लाशों से कफन हटवाकर रेत डलवा दी गई।