जौनपुर। उत्तर प्रदेश के जौनपुर से इंसानियत को शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई है। एक बुजुर्ग अपनी पत्नी के शव को सीमेंट की बोरी की तरह साइकिल पर लेकर भटकता रहा। मदद तो छोड़िए, गांव के लोगों ने बुजुर्ग को उसकी पत्नी का अंतिम संस्कार करने से भी रोक दिया। सूचना पाकर पहुंची पुलिस ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए शव को न सिर्फ कंधा दिया, बल्कि अंतिम संस्कार के लिए सामान और शव घाट तक पहुंचाने के लिए बुजुर्ग को वाहन भी उपलब्ध कराया। पुलिस ने शव का रामघाट ले जाकर दाह संस्कार करवाया।
मामला मड़ियाहूं कोतवाली क्षेत्र के अम्बरपुर गांव का है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गांव में रहने वाले तिलकधारी सिंह की पत्नी राजकुमारी (50) कई दिनों से बीमार चल रही थीं। बीते सोमवार को उनकी तबीयत अचानक खराब हो गई तो पति ने उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया। आरोप है कि जिला अस्पताल में डॉक्टरों ने न तो बेड दिया न ही दवाई। इलाज के अभाव में राजकुमारी की मौत हो गई।
तिलकधारी पत्नी का शव लेकर दोपहर को घर पहुंचे, लेकिन कोरोना के डर की वजह से कोई भी व्यक्ति उनके घर नहीं पहुंचा। तिलकधारी ने गांव के लोगों से मदद मांगी, लेकिन कोई भी व्यक्ति मदद को तैयार नहीं हुआ। इधर, पत्नी के शव की स्थिति भी खराब होती जा रही थी। कोई मदद न मिलती देख आखिरकार तिलकधारी ने अकेले ही शव को श्मशान ले जाने का फैसला कर लिया। उन्होंने अपनी साइकिल पर पत्नी के शव को लादा और दाह संस्कार के लिए गांव के पास स्थित नदी किनारे पहुंच गए। तभी कुछ ग्रामीण पहुंच गए और बुजुर्ग को शव जलाने से रोक दिया।
सूचना पर पहुंची पुलिस ने मौके पर पहुंचकर तिलकधारी सिंह की मदद की। शव के लिए टिकठी बनवाई, उसे कंधा दिलाया और फिर वाहन की व्यवस्था कर शव को रामघाट तक भेजवाया। इस संबंध में सीओ मड़ियाहूं संत कुमार ने बताया कि घटना की सूचना पर पुलिस पहुंच गई थी। पुलिस ने तिलकधारी सिंह की मदद की। शव के लिए गाड़ी का इंतजाम भी कराया गया। इसके अलावा अंतिम संस्कार के लिए शव को जौनपुर के रामघाट पर भिजवाया गया।
मामला मड़ियाहूं कोतवाली क्षेत्र के अम्बरपुर गांव का है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गांव में रहने वाले तिलकधारी सिंह की पत्नी राजकुमारी (50) कई दिनों से बीमार चल रही थीं। बीते सोमवार को उनकी तबीयत अचानक खराब हो गई तो पति ने उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया। आरोप है कि जिला अस्पताल में डॉक्टरों ने न तो बेड दिया न ही दवाई। इलाज के अभाव में राजकुमारी की मौत हो गई।
तिलकधारी पत्नी का शव लेकर दोपहर को घर पहुंचे, लेकिन कोरोना के डर की वजह से कोई भी व्यक्ति उनके घर नहीं पहुंचा। तिलकधारी ने गांव के लोगों से मदद मांगी, लेकिन कोई भी व्यक्ति मदद को तैयार नहीं हुआ। इधर, पत्नी के शव की स्थिति भी खराब होती जा रही थी। कोई मदद न मिलती देख आखिरकार तिलकधारी ने अकेले ही शव को श्मशान ले जाने का फैसला कर लिया। उन्होंने अपनी साइकिल पर पत्नी के शव को लादा और दाह संस्कार के लिए गांव के पास स्थित नदी किनारे पहुंच गए। तभी कुछ ग्रामीण पहुंच गए और बुजुर्ग को शव जलाने से रोक दिया।
सूचना पर पहुंची पुलिस ने मौके पर पहुंचकर तिलकधारी सिंह की मदद की। शव के लिए टिकठी बनवाई, उसे कंधा दिलाया और फिर वाहन की व्यवस्था कर शव को रामघाट तक भेजवाया। इस संबंध में सीओ मड़ियाहूं संत कुमार ने बताया कि घटना की सूचना पर पुलिस पहुंच गई थी। पुलिस ने तिलकधारी सिंह की मदद की। शव के लिए गाड़ी का इंतजाम भी कराया गया। इसके अलावा अंतिम संस्कार के लिए शव को जौनपुर के रामघाट पर भिजवाया गया।