पश्चिम बंगाल पर सस्पेंस: कोरोना की आड़ में राज्य में बीच में ही स्थगित होंगे विधानसभा चुनाव?

Written by Navnish Kumar | Published on: April 8, 2021
कोरोना गाइडलाइंस के उल्लंघन के चलते पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के पूरा होने को लेकर सस्पेंस बढ़ गया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने अपनी एक सभा में कहा है कि वे किसी भी हाल में बंगाल चुनाव को बीच में रोकने नहीं देंगी। दरअसल, राज्य के डॉक्टरों के साझा मंच 'द ज्वॉइंट फ़ोरम ऑफ़ डॉक्टर्स, वेस्ट बंगाल' ने निर्वाचन आयोग को पत्र भेज कर चुनाव अभियान के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल की सरेआम धज्जियां उड़ने पर गहरी चिंता जताते हुए उससे हालात पर नियंत्रण के लिए ठोस क़दम उठाने की अपील की है।



डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने चेताया है कि विधानसभा चुनाव ख़त्म होने पर बंगाल में कोरोना संक्रमण का नया रिकॉर्ड बन सकता है और 8 चरणों तक चलने वाली चुनाव प्रक्रिया कोरोना के लिहाज़ से भारी साबित हो सकती है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कोरोना के बढ़ते संक्रमण पर गहरी चिंता जताई है। लेकिन साथ ही चेताया भी है कि अब कोरोना की आड़ में मतदान स्थगित करने के किसी भी प्रयास को स्वीकार नहीं किया जाएगा। 

ममता बनर्जी ने 8 चरणों को लेकर भी चुनाव आयोग पर निशाना साधा। कहा- पूरे देश में दोबारा संक्रमण बढ़ रहा है। क्या ऐसी स्थिति में तीन या चार चरणों में मतदान कराना उचित नहीं होता? लेकिन अब जब 8 चरणों में चुनाव हो रहा है तो अब इसे किसी भी हालत में रोका नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि जब खेल शुरू हो ही गया है तो इसे ख़त्म भी करना होगा। उन्होंने संदेह जताते हुए कहा कि कोरोना के बहाने चुनाव बीच में रोकने की कोशिश हो सकती है, लेकिन वे ऐसा नहीं होने देंगी। 

खास है कि चार राज्यों के चुनाव पूरे हो गए हैं। असम की 126 सीटों के लिए तीन चरण में मतदान, मंगलवार को तीसरे चरण के मतदान के साथ पूरा हो गया। तमिलनाडु, पुड्डुचेरी और केरल में एक ही चरण में मतदान होना था और वह भी पूरा हो गया। पर पश्चिम बंगाल में तीन चरण में अभी सिर्फ 91 सीटों पर ही मतदान हुआ है। यानी 203 सीटों पर वोटिंग बाकी है और अप्रैल के पूरे महीने में सिर्फ बंगाल में चुनाव होना है। अगले पांच चरण का मतदान पूरे अप्रैल चलेगा। कहने की जरूरत नहीं है कि सत्तारूढ़ दल की सुविधा के हिसाब से ही चुनाव आयोग ने 8 चरणों का शेड्यूल बनाया है। 

सवाल है कि क्या कोरोना के बढ़ते केसेज को चुनाव रोकने का बहाना बनाया जा सकता है? जवाब आसान नहीं है क्योंकि चुनाव आयोग के बारे में अब यह बात कोई दावे से नहीं कह सकता है कि वह किन तथ्यों को ध्यान में रखकर क्या फैसला करेगा? इसी से यह कयास लगाया जा रहा है कि अगर भाजपा को पश्चिम बंगाल में जीत की संभावना नहीं दिखती है तो चुनाव रोकने की मांग जोर पकड़ेगी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अटकलें इसलिए भी लगाई जा रहीं हैं क्योंकि नरेंद्र मोदी और अमित शाह चुनाव को इतने हाई पिच पर लड़ रहे हैं कि वे हार सहन नहीं कर सकते हैं। वहीं, ममता बनर्जी ने भी अनायास या हवा में यह बात नहीं कही होगी कि चुनाव रोकने की कोशिश हो सकती है। असल में यह अभियान सोशल मीडिया में चला है और सोशल मीडिया को जानने वालों को पता है कि वहां कोई भी अफवाह या ट्रेंड अपने आप शुरू नहीं होता है। उसे कोई न कोई शुरू करता है और उसका कोई न कोई मकसद होता है। 

बंगाल में चुनाव बीच में रोके जाने की अटकल भी तब शुरू हुई, जब बाकी चार राज्यों में चुनाव प्रक्रिया पूरी होने लगी। हालांकि बंगाल में अभी दो हजार के करीब केस रोज आ रहे हैं और एक्टिव केसेज की संख्या 11 हजार के करीब है। तमिलनाडु में जहां मंगलवार को मतदान हुआ है वहां इससे दोगुने एक्टिव केस हैं। इससे पहले बिहार चुनाव भी महामारी के बीच ही हुआ था। ऐसे में देखना होगा कि इन सब तर्क और तथ्यों का संज्ञान चुनाव आयोग किस तरह और कितना लेगा ताकि सस्पेंस खत्म हो सकें, के लिए बस थोड़ा इंतजार और! 

बाकी ख़बरें