किसान आंदोलन: गाजीपुर बॉर्डर खाली कर रहे थे किसान, राकेश टिकैत के आंसुओं ने बदल दिया नजारा

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 29, 2021
नई दिल्ली। ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली खासकर लाल किले पर हुई हिंसा के बाद किसानों का आंदोलन कमजोर माना जा रहा था। पुलिस भी धरना स्थलों को खाली करा रही थी। दो संगठन धरना खत्म कर जा चुके थे। गाजियाबाद प्रशासन ने किसान नेताओं को आधी रात तक धरना खत्म करने का अल्टीमेटम दिया था। तमाम प्रदर्शनकारी किसान अपना बोरिया बिस्तर समेटने भी लगे थे लेकिन राकेश टिकैत के आंसुओं ने माहौल को एकदम से बदल दिया। देर रात पुलिस फोर्स को बैरंग वापस लौटना पड़ा।



गाजीपुर बॉर्डर को गुरुवार को एक तरह से छावनी में तब्दील कर दिया गया था। बड़ी तादाद में पुलिस और रैपिड ऐक्शन फोर्स के जवान तैनात थे। धारा 144 लगा दी गई। अटकलें थीं कि राकेश टिकैत सरेंडर करने जा रहे हैं या फिर उनकी गिरफ्तारी होने वाली है। उनके भाई नरेश टिकैत तो ऐलान भी कर चुके थे कि अब और नहीं, धरना खत्म कर दिया जाएगा। लेकिन बाद में जैसे ही राकेश टिकैत प्रेस कॉन्फ्रेंस में भावुक हुए और उनके आंसू छलके, पलभर में फिजा बदल गई।

राकेश टिकैत आंदोलन जारी रखने पर अड़ गए। कहा कि यहीं पर खुदकुशी कर लूंगा। उन्होंने किसानों से गाजीपुर बॉर्डर पहुंचने की भावुक अपील की। फिर क्या था, आधी रात को ही पश्चिमी यूपी के तमाम हिस्सों से किसानों के समूह गाजीपुर बॉर्डर की तरफ बढ़ने लगे। जहां धरना खत्म होने की अटकलें लग रही थीं वहां रात में ही भीड़ जुटने लगी।

राकेश टिकैत आंदोलन जारी रखने पर अड़ गए। कहा कि यहीं पर खुदकुशी कर लूंगा। उन्होंने किसानों से गाजीपुर बॉर्डर पहुंचने की भावुक अपील की। फिर क्या था, आधी रात को ही पश्चिमी यूपी के तमाम हिस्सों से किसानों के समूह गाजीपुर बॉर्डर की तरफ बढ़ने लगे। जहां धरना खत्म होने की अटकलें लग रही थीं वहां रात में ही भीड़ जुटने लगी।

जो नरेश टिकैत गाजीपुर में धरना खत्म करने की बात कह रहे थे, भाई राकेश टिकैत के आंसू छलकने के बाद उनके भी तेवर बदल गए। नरेश टिकैत ने कहा कि भाई के आंसू व्यर्थ नहीं जाएंगे। उन्होंने मुजफ्फरनगर में शुक्रवार को किसान महापंचायत बुलाने का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि अब वे किसान आंदोलन को उसके निर्णायक अंजाम तक पहुंचाकर रहेगे।



इस बीच सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने ‘सद्भावना मार्च’ निकाला। राजेवाल, दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी समेत कई किसान नेताओं ने मार्च का नेतृत्व किया और कहा कि मार्च का आयोजन प्रदर्शनकारी किसानों को बांटने का प्रयास कर रही ताकतों का मुकाबला करने और यह दिखाने के लिए किया गया है कि वे तिरंगे का सम्मान करते हैं।

इससे पहले दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस पर शहर में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के संबंध में किसान नेताओं के खिलाफ गुरुवार को ‘लुक आउट’ नोटिस जारी किया और यूएपीए के तहत एक मामला दर्ज किया। इसके साथ ही अपनी जांच तेज करते हुए पुलिस ने लाल किले पर हुई हिंसा के मामले में राजद्रोह का मामला भी दर्ज किया है। दिल्ली पुलिस ने कहा कि इन घटनाओं के पीछे 'साजिश' और 'आपराधिक मंसूबों' की जांच उसकी स्पेशल सेल करेगी।

बाकी ख़बरें