किसान आंदोलन पर मोदी सरकार को सुप्रीम फटकार, कहा- कानूनों पर आप रोक लगाएंगे या हम कदम उठाएं

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 11, 2021
नई दिल्‍ली। कृषि कानूनों पर आज सख्त रुख अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने सरकार से सीधे पूछ लिया कि क्या वह कानून को स्थगित करती है या फिर वह इसपर रोक लगा दे? शीर्ष अदालत ने कहा कि किसानों की चिंताओं को कमिटी के सामने रखे जाने की जरूरत है। कोर्ट ने किसान आंदोलन पर सरकार के विवाद निपटाने के तरीके पर पर नाराजगी जताई। सुनवाई में के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कई तीखे सवाल भी पूछे।



सुप्रीम कोर्ट ने कानून के अमल पर स्टे के संकेत दिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि हम स्टे करेंगे जब तक कि कमिटी के सामने बातचीत चल रही है। हम स्टे करने जा रहे हैं। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा कि 'हम आज की सुनवाई बंद कर रहे हैं।' किसान मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पूरी। आदेश पारित होगा। कब होगा ये नहीं बताया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम प्रस्ताव करते हैं कि किसानों के मुद्दों के समाधान के लिए कमिटी बने। हम ये भी प्रस्ताव करते हैं कि कानून के अमल पर रोक लगे। इस पर जिसे दलील पेश करना है कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि हम नहीं समझते कि आपने सही तरह से मामले को हैंडल किया। कोर्ट ने कहा कि हम अभी कानून के मेरिट पर नहीं जा रहे हैं लेकिन हमारी चिंता मौजूदा ग्राउंड स्थिति को लेकर है जो किसानों के प्रदर्शन के कारण हुआ है।

किसान संगठनों के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि हम 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च नहीं करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इतना महत्वपूर्ण कानून कैसे संसद में बिना बहस के ध्वनिमत से पास किया गया।

चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें खुशी हुई कि दवे ने यह कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम प्रदर्शन के खिलाफ नहीं हैं लेकिन अगर कानून पर रोक लगा दी जाती है तो किसान क्या प्रदर्शन स्थल से अपने घर को लौट जाएंगे? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसान कानून वापस करना चाहते हैं जबकि सरकार मुद्दों पर बात करना चाहती है। हम अभी कमिटी बनाएंगे और कमिटी की बातचीत जारी रहने तक कानून के अमल पर हम स्टे करेंगे।

जब सॉलिसिटर जनरल ने कमिटी के लिए नाम सुझाने की खातिर एक दिन का वक्‍त मांगा तो सीजेआई ने कहा कि 'हम रिटायर हो रहे हैं, हम आदेश जारी करेंगे।' इसपर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि 'आदेश कल दीजिएगा, जल्‍दी मत कीजिए।' तो सीजेआई ने कहा, "क्‍यों नहीं? हमने आपको बहुत लंबा रास्‍ता दिया है। हमें धैर्य पर लेक्‍चर मत दीजिए। हम तय करेंगे कि कब आदेश देना है। हम आदेश का कुछ हिस्‍सा आज दे सकते हैं और बाकी कल।"

वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि अगर अदालत कानून पर रोक लगाती है तो किसान अपना आंदोलन वापस ले लें। इसपर चीफ जस्टिस ने कहा किमिस्टर साल्वे, सबकुछ एक आदेश के जरिए हासिल नहीं किया जा सकता है। किसान कमिटी के पास जाएंगे। अदालत यह आदेश पारित नहीं कर सकती है कि नागरिक प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं। स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। किसान आत्महत्या कर रहे हैं और जाड़े में सफर कर रहे हैं। किसान कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्हें अपनी समस्याओं को कमिटी के सामने कहने दें। हम कमिटी की रिपोर्ट फाइल करने के बाद कानून पर कोई फैसला करेंगे।

नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों का आंदोलन सोमवार को 47वें दिन में प्रवेश कर गया। केंद्र सरकार के साथ कई दौर की बातचीत फेल होने के बाद, किसान संगठनों के नेता आंदोलन तेज करने की रणनीति बनाने में लगे हैं। अगले दौर की बातचीत 15 जनवरी को होनी है।  

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत का कहना है कि अगर केंद्र संग बैठक में नतीजा नहीं निकल रहा तो किसान भी बैठे हुए हैं। उन्‍होंने आईएएनएस से बातचीत में रविवार को कहा, "सरकार ने इस आंदोलन को इतना बढ़ा दिया, अगर बातचीत करें तो क्या नहीं हो सकता। हम चाहते हैं कि फैसला हो लेकिन सरकार भी तो चाहे।"

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