आयशा तिर्मिजी कोरोना महामारी से ठीक हो ही रहीं थीं कि अस्पताल में आगजनी ने उनकी जान ले ली

Written by sabrang india | Published on: August 8, 2020
अहमदाबाद। जानलेवा कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़ रही आयशा तिर्मिजी फिर से स्वस्थ होने की राह पर थीं। उनका उपचार अहमदाबाद के श्रेय अस्पताल में किया जा रहा था जिसमें सभी तरह से कोविड केअर सुविधाएं हैं। लेकिन दुर्भाग्य से उनका जीवन ही उनके हाथ से चला गया। वो ठीक होने हीं जा रहीं थी कि गुरुवार को अस्पताल में लग गई जिसमें आयशा भी जल गईं।



आयशा का जन्म 16 नवंबर 1968 को गुजरात के भरूच में कमलुद्दीन और शाहीदा नगामिया के घर में हुआ था। वह चार बच्चों में सबसे बड़ी थीं और हमेशा अपने मामता पिता व अपने छोटे भाइयों की देखभाल करती थीं।

आयशा की दो बहनें कौसर और समीरा हैं और तीन साल छोटा भाई आमिर है। आयशा ने मुंबई के सोफिया कॉलेज से आर्ट्स् में स्नातक किया और अपने परिवार का खयाल रखते हुए एक गृहिणी के रूप में अपना जीवन समर्पित किया।

आयशा तिर्मिज़ी को ज्यादातर लोग गुजरात उच्च न्यायालय के वकील और मानवाधिकार रक्षक सुहेल तिर्मिज़ी की पत्नी के रूप में जानते हैं। आयशा अपने एक 27 वर्षीय बेटे असीम को पीछे छोड़कर चली गई हैं जो मुंबई में लॉ की प्रैक्टिस कर रहा है।

मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार तीस्ता सीतलवाड़ के अनुसार, आयशा तिर्मिजी के निधन के साथ ही हमने एक प्रकाशपुंज खो दिया है, उनसे हम सभी एक्टिविस्टों और गुजरात 2002 दंगों के पीड़ितों को साहस मिलता था। 

वह कहती हैं, 'कुछ नुकसानों की व्याख्या नहीं की जा सकती है। कोविड 19 से जूझने के बाद और मुश्किलों के बावजूद आयशा मुस्करा रहीं थीं और अगले दिन आईसीयू से बाहर जाने के लिए उत्सुक थीं। ऐसा नहीं होना चाहिए था।' 

श्रेया अस्पताल में गुरुवार की तड़के सुबह करीब 3.30 बजे आग लग गई। 50 बिस्तरों वाले अस्पताल में उस समय 49 मरीज थे जिनमें से आठ आईसीयू में थे। चौथी मंजिल पर स्थित आईसीयू वह जगह है जहां शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई जिसके बाद दम घुटने से सभी आठ मरीजों की मौत हो गई। इनमें पांच पुरुष और तीन महिलाएं शामिल थीं।

घटना में मारे गए अन्य लोगों की पहचान आरिफ मंसूरी (42), लीलावतीबेन शाह (72), अरविंदभाई भावसार (78), ज्योतिबेन सिंधी (55), मनुभाई मणि (82), नवनीत आर शाह (80) और उनके बेटे नरेंद्र एन शाह (61) के रूप में हुई है।

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने अतिरिक्त मुख्य सचिव संगीता सिंह और मुकेश पुरी की अध्यक्षता में जांच का आदेश दिया है और तीन दिनों के भीतर रिपोर्ट मांगी है। वर्तमान में अस्पताल के निदेशक, भारत महंत और एक अज्ञात वार्ड बॉय को पूछताछ के लिए रखा गया है।

सभी अस्पतालों को सालाना फायर विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) रिन्यू करने के लिए कहा जाता है। श्रेया अस्पताल में आग लगने के बाद अहमदाबाद नगर निगम ने 72 कोविड केयर केंद्रों में फायर ऑडिट का आदेश दिया। 20 में अब तक एनओसी की कमी पाई गई है। अहमदाबाद मिरर के अनुसार, पिछले 16 महीनों में अहमदाबाद के सरकारी और निजी अस्पतालों से आग की छह घटनाएं हुई हैं।

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