गांधी जयंती पर स्वामी अग्निवेश के कार्यक्रम में BJP-RSS के गुंडों का हंगामा, कहा- पाकिस्तान जाओ

Written by sabrang india | Published on: October 3, 2019
तिरुवनंतपुरम। भारतीय संत स्वामी अग्निवेश आरएसएस के निशाने पर रहे हैं। यहां तक कि जब देश सहित दुनियाभर में 2 अक्टूबर को गांधी को अहिंसा के पुजारी के तौर पर याद किया जा रहा था तब भी स्वामी अग्निवेश का स्वागत हिंसा से किया गया। सामाजिक सद्भाव के लिए काम करने वाले स्वामी अग्निवेश ने केरल से ‘वसुधैव कुटंबकम’ आंदोलन का शुभारंभ करना चुना था जहां उन्हें हिंसा का सामना करना पड़ा।  



मंगलवार को राज्य की राजधानी में आंदोलन की शुरुआत करते हुए अग्निवेश ने कहा, "यह आध्यात्मिक, सामाजिक, आर्थिक, पारिस्थितिक और राजनीतिक आंदोलन दुनिया भर में समय की आवश्यकता है, जिसमें भारत भी शामिल है, जो कन्या भ्रूण हत्या और भीड़ द्वारा सामाजिक बुराइयों, राजनीतिक और धार्मिक घृणा और राष्ट्रवाद की संकीर्ण व्याख्या से जूझ रहा है।"  उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने आंदोलन को हरी झंडी दिखाने के लिए केरल को चुना क्योंकि - “केरल समावेशी समाज की संकल्पना के लिए प्रेरणा लेने के लिए एक आदर्श स्थान था। हालाँकि कट्टरता और सांप्रदायिक विद्वेष की गहरी ताकतें राज्य में घुसपैठ बनाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन यहाँ के लोगों ने मजबूत प्रतिरोध किया है।”
 
महात्मा गांधी और उनके उपदेशों का सम्मान करते हुए स्वामी अग्निवेश ने पारंपरिक चिकित्सा और उपचार के बारे में दर्शकों को संबोधित करना शुरू कर दिया। तभी यहां दक्षिणपंथी हिंदुओं के एक समूह, स्पष्ट रूप से भाजपा और आरएसएस के समर्थकों ने मंच पर हंगामा कर दिया और स्वामीजी को धमकी दी। इस भीड़ में से एक ने मंच पर पुलिस और सुरक्षाकर्मियों मौजूदगी में ही स्वामी पर हमला करने की कोशिश की लेकिन उन्हें बचा लिया गया। हालांकि, इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।


जब इस समारोह में सुरक्षा दल के एक सदस्य ने इस घटना को रोकने की कोशिश कर रहे लोगों में से एक से पूछा कि मामला क्या है, तो उसने कहा कि यह ऑडिटोरियम मंदिर परिसर में है और चूंकि स्वामी अग्निवेश हिंदू विरोधी हैं इसलिए उन्हें कार्यक्रम नहीं करने दिया जाना चाहिए था। यह पूछे जाने पर कि वह कैसे जानते थे कि स्वामीजी हिंदू विरोधी हैं, उस व्यक्ति के पास कोई जवाब नहीं था।

हिंदुओं के मानवाधिकार के सह-संस्थापक सप्तगिरि अयंगर, जो इस घटना में सुरक्षा दल का हिस्सा थे, ने इस घटना के बारे यह कहते हुए सुने गए कि उन्हें स्वामीजी के परिचय के ठीक बाद तनाव पैदा होता दिखाई दिया। उन्होंने कहा कि स्वामीजी के खिलाफ लोगों के एक समूह द्वारा बहुत तीव्र विरोध प्रदर्शन किया गया। लोग मंच के पास जाने लगे और कुछ मिनट बाद स्वामीजी से कुछ फीट दूरी से एक व्यक्ति ने उन्हें धमकी दी। स्वामी अग्निवेश को पाकिस्तान जाने के लिए कहा गया।

भाषा सुरक्षा टीम के लिए एक बाधा के तौर पर नजर आई। सुरक्षाकर्मियों ने दर्शकों से पूछा कि स्वामी जी का विरोध करने वाले कौन लोग थे और क्यों कर रहे थे। इस पर वहां उपस्थित लोगों ने उन्हें बताया कि ये भाजपा और आरएसएस के गुंडे थे और स्वामीजी के विचारों से असहमत थे। इस शर्मनाक घटना से एक दिन पहले ही स्वामी अग्निवेश को सुरक्षा मुहैया कराई गई थी। अगर ऐसा नहीं होता, तो हालात और भी बदतर हो सकते थे।

स्वामी अग्निवेश अपने धर्मनिरपेक्ष और समावेशी समाज ने निर्माण के मुखर पक्षधर रहे हैं। वे वर्तमान सरकार के हिंदू राष्ट्रवाद के विरोध में हैं। भाजपा द्वारा स्वामी अग्निवेश पर हमले कोई नई बात नहीं है। जुलाई 2018 में झारखंड के पाकुड़ शहर में भी उनके साथ मारपीट की गई थी और मौखिक रूप से दुर्व्यवहार किया गया था। इस हमले के बाद उन्होंने कहा था कि ये युवा भाजपा से जुड़े थे।

अगस्त 2018 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा उन पर हमला किया गया था। यह हमला नई दिल्ली में दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर हुआ।

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