श्रीलंका में मुंह ढंकना वर्जित किए जाने के बाद भारत में बुर्के को लेकर बयानबाजी चल रही है। बुर्के पर विवादित बयान देकर घिरे आर्य समाज के स्वामी अग्निवेश ने माफी मांग ली है। स्वामी अग्निवेश ने कहा कि उनकी मंशा किसी की भी भावनाओं को ठेस पहुंचाने की नहीं थी, परंतु फिर भी अगर ऐसा हुआ है तो वो माफी मांगते हैं और अपने शब्द वापस लेते हैं।
स्वामी अग्निवेश के बयान को देवबंद के उलेमा ने विवादित बताते हुए नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था कि स्वामी अग्निवेश जी का बयान विवादित है और ऐसे बयान लोगों की भावना को आहत पहुंचाते हैं। जिसके बाद बुधवार को ही स्वामी अग्निवेश ने मीडिया को अपना बयान भेजकर माफी मांग ली थी।
गौरतलब है कि भोपाल में हुई प्रेसवार्ता के दौरान स्वामी अग्निवेश जी ने दिग्विजय सिंह के समर्थन में और साध्वी प्रज्ञा के विरुद्ध अपना विचार रखा था। साथ ही बुर्के को लेकर यह स्पष्ट भी किया था कि इस्लाम में ऐसी कोई बंदिश नहीं है। क्योंकि हजरत खदीजा और हजरत आयशा जैसी विदुषी मुस्लिम महिलाएं कभी बुर्के में नहीं रहीं। वहीं पड़ोसी देशों की मुस्लिम राजनीतिक नेता जैसे बेनजीर भुट्टो या बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हसीना का नाम लेकर कहा कि वह भी बगैर बुर्के रहती थीं।
स्वामी अग्निवेश ने हिन्दू औरतों के घूंघट पर भी अपना विचार रखते हुए कहा था कि हिंदू औरतें चाहें हरियाणा की हों या राजस्थान की, उनका भी घूंघट रखना गलत है, ऐसे घूंघट का भी आर्य समाज पूरी तरह विरोध करता है। स्वामी अग्निवेश ने साथ में यह अभिलाषा भी प्रकट की कि मुस्लिम समाज के नेता स्वयं आगे बढ़कर बुर्के पर पहल करें और उसे सुधारें, जैसे केरल के मुस्लिम समाज के लोगों ने शुरुआत कर दी है।
अपना बयान प्रस्तुत करते हुए स्वामी जी ने कहा कि “इस संदर्भ में यदि मेरे मुंह से कोई ऐसी बात निकली है जिससे किसी की भावना आहत हुई, तो मैं खेद प्रकट करता हूँ और अपने शब्द वापस लेता हूँ। क्योंकि जुबां फिसलने के कारण कोई गलत शब्द निकल गया”।
फिलहाल स्वामी अग्निवेश जी ने माफी मांगकर विवाद को पूर्ण विराम लगा दिया है। साथ ही यह स्पष्ट कर दिया है कि वह बुर्के के साथ घूंघट के भी समर्थन में नहीं हैं।
स्वामी अग्निवेश के बयान को देवबंद के उलेमा ने विवादित बताते हुए नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था कि स्वामी अग्निवेश जी का बयान विवादित है और ऐसे बयान लोगों की भावना को आहत पहुंचाते हैं। जिसके बाद बुधवार को ही स्वामी अग्निवेश ने मीडिया को अपना बयान भेजकर माफी मांग ली थी।
गौरतलब है कि भोपाल में हुई प्रेसवार्ता के दौरान स्वामी अग्निवेश जी ने दिग्विजय सिंह के समर्थन में और साध्वी प्रज्ञा के विरुद्ध अपना विचार रखा था। साथ ही बुर्के को लेकर यह स्पष्ट भी किया था कि इस्लाम में ऐसी कोई बंदिश नहीं है। क्योंकि हजरत खदीजा और हजरत आयशा जैसी विदुषी मुस्लिम महिलाएं कभी बुर्के में नहीं रहीं। वहीं पड़ोसी देशों की मुस्लिम राजनीतिक नेता जैसे बेनजीर भुट्टो या बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हसीना का नाम लेकर कहा कि वह भी बगैर बुर्के रहती थीं।
स्वामी अग्निवेश ने हिन्दू औरतों के घूंघट पर भी अपना विचार रखते हुए कहा था कि हिंदू औरतें चाहें हरियाणा की हों या राजस्थान की, उनका भी घूंघट रखना गलत है, ऐसे घूंघट का भी आर्य समाज पूरी तरह विरोध करता है। स्वामी अग्निवेश ने साथ में यह अभिलाषा भी प्रकट की कि मुस्लिम समाज के नेता स्वयं आगे बढ़कर बुर्के पर पहल करें और उसे सुधारें, जैसे केरल के मुस्लिम समाज के लोगों ने शुरुआत कर दी है।
अपना बयान प्रस्तुत करते हुए स्वामी जी ने कहा कि “इस संदर्भ में यदि मेरे मुंह से कोई ऐसी बात निकली है जिससे किसी की भावना आहत हुई, तो मैं खेद प्रकट करता हूँ और अपने शब्द वापस लेता हूँ। क्योंकि जुबां फिसलने के कारण कोई गलत शब्द निकल गया”।
फिलहाल स्वामी अग्निवेश जी ने माफी मांगकर विवाद को पूर्ण विराम लगा दिया है। साथ ही यह स्पष्ट कर दिया है कि वह बुर्के के साथ घूंघट के भी समर्थन में नहीं हैं।