अर्थव्यवस्था ऐसी शै है जहाँ भावनाओ के उभार से काम नही चलता। वहाँ कुछ ठोस करना पड़ता है। आप जनता को राष्ट्रवाद के नाम पर बरगला सकते हैं लेकिन इकनॉमी पर उसे बेवकूफ नही बनाया जा सकता। किसी अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए सर्जरी के साथ विजन की बहुत दरकार होती है। आपने जीएसटी ओर नोटबन्दी के नाम पर अर्थव्यवस्था की मेजर सर्जरी तो कर दी लेकिन कोई विजन आपके सामने था ही नही कि आगे क्या करना है। नतीजा यह हुआ कि सैकड़ो लोग नोटबन्दी की लाइनों में ओर हजारों उसके बाद पैदा हुई बेरोजगारी से निराश होकर फांसी के फंदे पर लटक लिए।
जीएसटी की तैयारी तो इतनी घटिया थी कि आपको उस कानून में 200 संशोधन करना पड़े जिससे वह व्यवस्था आज भी स्थिर नही हुई है। GST के दो साल पूरे होने पर देश के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की जीएसटी पर आई रिपोर्ट इस बात पर संदेह की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ती है कि मोदी-1 में उठाया गया यह बड़ा सुधार महज पैबंद लगाने का काम था।
नोटबन्दी के लागू होने के बाद निजी निवेश तेजी से लुढ़क गया 2016-17 में कॉर्पोरेट निवेश 60 फीसदी का भारी गोता लगाते हुए 10.33 लाख करोड़ रुपये से लुढ़ककर महज 4.25 लाख करोड़ रुपये रह गया था। देश की अर्थव्यवस्था के पहिए को तेजी से चलाने के लिए जिम्मेदार कारक निवेश का ऐसा लुढ़कना अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी सिद्ध हुआ।
अर्थव्यवस्था को यह सर्जरी इतनी भारी पड़ी कि वह मरणासन्न अवस्था मे पुहंच गयी हैं। हजारों कल कारखाने बन्द हुए और लाखों लोग अपने रोजगार से हाथ धो बैठे कल ही खबर आई कि मौजूदा मंदी से घबराकर वाराणसी में कई कारखाना मालिको ने अपने कारखाने बंद कर दिए, उत्तराखंड और नोएडा में श्रमिकों को छुट्टी पर भेजा रहा है। आगरा के होटल और जूता कारोबारी मायूस हैं। कमोबेश यही हालात मेरठ, कानपुर और लखनऊ का भी है
आगरा में पांच सेक्टर (पर्यटन, फुटवियर, हस्तशिल्प, चांदी-पायल, रिटेल) मुख्य हैं। इन सेक्टर्स के अब हालात चिंताजनक नजर आ रहे हैं। पर्यटन की बात करें तो इस बार होटलों की बुकिंग सितारा होटलों में 30 प्रतिशत और बजट होटलों में 50 प्रतिशत तक गिर गई। कारोबार अच्छा नहीं होने की वजह से एक हजार से ज्यादा लोगों को घर बैठना पड़ा है। आगरा टूरिस्ट वेलफेयर चैंबर के अध्यक्ष प्रहलाद अग्रवाल के मुताबिक, मध्यम श्रेणी के होटलों को अपने रोजमर्रा के खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा है। ताजनगरी के फुटवियर उद्योग में भी यही स्थिति है। उधारी अटक जाने से 1000 सप्लायर घर बैठ गए हैं। लगभग 4000 अस्थाई श्रमिकों को फैक्ट्री में रक्षाबंधन के बाद से काम नहीं मिला। हस्तशिल्प उत्पादों के विक्रेताओं की स्थिति भी ठीक नहीं है।
यही स्थिति झारखंड के रांची स्थित तुपुदाना इंडस्ट्रीयल एरिया की है। इस क्षेत्र में लगभग 150 छोटे कारखाने स्थापित हैं। जिनमें से 50 छोटे कारखाने पूरी से बंद हो गये हैं। कारखानों की ये स्थिति पिछले दो माह में हुई हैं।
जीएसटी की तैयारी तो इतनी घटिया थी कि आपको उस कानून में 200 संशोधन करना पड़े जिससे वह व्यवस्था आज भी स्थिर नही हुई है। GST के दो साल पूरे होने पर देश के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की जीएसटी पर आई रिपोर्ट इस बात पर संदेह की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ती है कि मोदी-1 में उठाया गया यह बड़ा सुधार महज पैबंद लगाने का काम था।
नोटबन्दी के लागू होने के बाद निजी निवेश तेजी से लुढ़क गया 2016-17 में कॉर्पोरेट निवेश 60 फीसदी का भारी गोता लगाते हुए 10.33 लाख करोड़ रुपये से लुढ़ककर महज 4.25 लाख करोड़ रुपये रह गया था। देश की अर्थव्यवस्था के पहिए को तेजी से चलाने के लिए जिम्मेदार कारक निवेश का ऐसा लुढ़कना अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी सिद्ध हुआ।
अर्थव्यवस्था को यह सर्जरी इतनी भारी पड़ी कि वह मरणासन्न अवस्था मे पुहंच गयी हैं। हजारों कल कारखाने बन्द हुए और लाखों लोग अपने रोजगार से हाथ धो बैठे कल ही खबर आई कि मौजूदा मंदी से घबराकर वाराणसी में कई कारखाना मालिको ने अपने कारखाने बंद कर दिए, उत्तराखंड और नोएडा में श्रमिकों को छुट्टी पर भेजा रहा है। आगरा के होटल और जूता कारोबारी मायूस हैं। कमोबेश यही हालात मेरठ, कानपुर और लखनऊ का भी है
आगरा में पांच सेक्टर (पर्यटन, फुटवियर, हस्तशिल्प, चांदी-पायल, रिटेल) मुख्य हैं। इन सेक्टर्स के अब हालात चिंताजनक नजर आ रहे हैं। पर्यटन की बात करें तो इस बार होटलों की बुकिंग सितारा होटलों में 30 प्रतिशत और बजट होटलों में 50 प्रतिशत तक गिर गई। कारोबार अच्छा नहीं होने की वजह से एक हजार से ज्यादा लोगों को घर बैठना पड़ा है। आगरा टूरिस्ट वेलफेयर चैंबर के अध्यक्ष प्रहलाद अग्रवाल के मुताबिक, मध्यम श्रेणी के होटलों को अपने रोजमर्रा के खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा है। ताजनगरी के फुटवियर उद्योग में भी यही स्थिति है। उधारी अटक जाने से 1000 सप्लायर घर बैठ गए हैं। लगभग 4000 अस्थाई श्रमिकों को फैक्ट्री में रक्षाबंधन के बाद से काम नहीं मिला। हस्तशिल्प उत्पादों के विक्रेताओं की स्थिति भी ठीक नहीं है।
यही स्थिति झारखंड के रांची स्थित तुपुदाना इंडस्ट्रीयल एरिया की है। इस क्षेत्र में लगभग 150 छोटे कारखाने स्थापित हैं। जिनमें से 50 छोटे कारखाने पूरी से बंद हो गये हैं। कारखानों की ये स्थिति पिछले दो माह में हुई हैं।