सरकार और पत्रकारों के एक धड़े के बीच तनातनी का माहौल चल रहा है। दरअसल, सरकार पत्रकारों के सवालों का जवाब नहीं देना चाहती। नॉर्थ ब्लॉक में पत्रकारों के प्रवेश पर रोक के बाद अब उन्हें शायद वित्त मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल पूछने की इजाजत नहीं होगी। शुक्रवार को हुई घटना के बाद तो ऐसा ही लगता है। पत्रकारों को बताया गया कि वित्त मंत्रालय जल्द ही प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करने जा रहा है।

इसमें सिर्फ अधिकारी अपना बयान पढ़ेंगे। इसमें पत्रकारों को कोई सवाल करने की अनुमति नहीं होगी। इस बात को न्यायोचित ठहराने के लिए कहा गया कि यह साप्तहिक ब्रीफिंग के प्रक्रिया की शुरुआत है। इसमें सवाल पूछने का कोई नियम नहीं होगा। यह बिल्कुल विदेश मंत्रालय की ब्रीफिंग की तर्ज पर होगी।
राजधानी के पत्रकारों के लिए एक्सक्लूसिव खबर निकाल पाने में पहले से ही मुश्किल हो रही थी। इसकी वजह मंत्रालय में सामान्य रूप से सूत्रों का मीडिया से बात करने को लेकर डर एक कारण है। इससे पहले नॉर्थ ब्लॉक ऑफिस में पीआईबी कार्डहोल्डर पत्रकारों के प्रवेश पर भी वित्त मंत्रालय की तरफ से रोक लगाई गई थी।
बाद में यह बात सामने आई थी कि सरकार धीरे-धीरे सभी सरकारी दफ्तरों में पत्रकारों के प्रवेश पर रोक लगा देगी। हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस तरह की किसी भी रोक से इनकार किया था। इस बीच पत्रकारों ने वरिष्ठ अधिकारियों के संवाददाता सम्मेलन का बहिष्कार कर दिया। इसे सरकार के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी मानी जा रही है, क्योंकि मात्र कुछ सप्ताह पहले ही वित्त मंत्रालय कवर करने वाले अधिकांश पत्रकारों ने नार्थ ब्लॉक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारणम द्वारा आयोजित बजट के उपरांत रात्रिभोज से दूरी बना ली थी।
पत्रकार शुक्रवार को नेशनल मीडिया सेंटर से बाहर निकल आए, क्योंकि उनसे कहा गया था कि मीडिया को संबोधित करने वाले अधिकारी सिर्फ बयान पढ़ेंगे और किसी प्रश्न का जवाब नहीं देंगे।
यह आयोजन उस समय और नाटकीय हो गया, जब वित्तमंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) कृष्णमूर्ति सुब्रह्मण्यम मीडिया के सवालों के जवाब देने हैं या नहीं इस बारे में उच्चाधिकारियों से सलाह लेने की बात कहकर हॉल से बाहर चले गए। लेकिन वह लौटे ही नहीं, बाद में वह संवाददाता सम्मेलन कक्ष के पास कहीं दिखाई ही नहीं दिए। इस बीच, पत्रकार सवाल पूछने की बात पर अड़े रहे और सरकार की तरफ से एकतरफा बयान सुनने से इनकार कर दिया।

इसमें सिर्फ अधिकारी अपना बयान पढ़ेंगे। इसमें पत्रकारों को कोई सवाल करने की अनुमति नहीं होगी। इस बात को न्यायोचित ठहराने के लिए कहा गया कि यह साप्तहिक ब्रीफिंग के प्रक्रिया की शुरुआत है। इसमें सवाल पूछने का कोई नियम नहीं होगा। यह बिल्कुल विदेश मंत्रालय की ब्रीफिंग की तर्ज पर होगी।
राजधानी के पत्रकारों के लिए एक्सक्लूसिव खबर निकाल पाने में पहले से ही मुश्किल हो रही थी। इसकी वजह मंत्रालय में सामान्य रूप से सूत्रों का मीडिया से बात करने को लेकर डर एक कारण है। इससे पहले नॉर्थ ब्लॉक ऑफिस में पीआईबी कार्डहोल्डर पत्रकारों के प्रवेश पर भी वित्त मंत्रालय की तरफ से रोक लगाई गई थी।
बाद में यह बात सामने आई थी कि सरकार धीरे-धीरे सभी सरकारी दफ्तरों में पत्रकारों के प्रवेश पर रोक लगा देगी। हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस तरह की किसी भी रोक से इनकार किया था। इस बीच पत्रकारों ने वरिष्ठ अधिकारियों के संवाददाता सम्मेलन का बहिष्कार कर दिया। इसे सरकार के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी मानी जा रही है, क्योंकि मात्र कुछ सप्ताह पहले ही वित्त मंत्रालय कवर करने वाले अधिकांश पत्रकारों ने नार्थ ब्लॉक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारणम द्वारा आयोजित बजट के उपरांत रात्रिभोज से दूरी बना ली थी।
पत्रकार शुक्रवार को नेशनल मीडिया सेंटर से बाहर निकल आए, क्योंकि उनसे कहा गया था कि मीडिया को संबोधित करने वाले अधिकारी सिर्फ बयान पढ़ेंगे और किसी प्रश्न का जवाब नहीं देंगे।
यह आयोजन उस समय और नाटकीय हो गया, जब वित्तमंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) कृष्णमूर्ति सुब्रह्मण्यम मीडिया के सवालों के जवाब देने हैं या नहीं इस बारे में उच्चाधिकारियों से सलाह लेने की बात कहकर हॉल से बाहर चले गए। लेकिन वह लौटे ही नहीं, बाद में वह संवाददाता सम्मेलन कक्ष के पास कहीं दिखाई ही नहीं दिए। इस बीच, पत्रकार सवाल पूछने की बात पर अड़े रहे और सरकार की तरफ से एकतरफा बयान सुनने से इनकार कर दिया।