ईरान में आयुष की हत्या हुई या कुछ और मामला है, मयूर विहार-3 क्यों डूबा है गंदे नाले के पानी में?

Written by Ravish Kumar | Published on: July 22, 2019
मेरा न्यूज़ रूम आप लोगों से बनता है। बड़ी बड़ी खबरों के बीच आपकी समस्याएं विकराल नज़र आती हैं। इस उम्मीद में लिख रहा हूं ताकि हर किसी की नज़र पड़े और ज़्यादा से ज़्यादा लोग इसे कवर करें। सरकार तक बातें पहुंचनी चाहिए। इस पब्लिक न्यूज़ रूम में लोग अपनी समस्याएं लेकर आते हैं। मेरे पास हर समय स्लाट तो नहीं है और न ही संसाधान है। फिर भी यहां लिखना चाहता हूं ताकि सबकि नज़र पड़े। यह मेरी ख़बर नहीं है। लोगों की ख़बर है। कोई भी इन्हें आगे बढ़ा सकता है।




मयूर विहार फेज़ 3 में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट है। वहां के निवासियों का कहना है कि इसके कारण यहां की हवा में बदबू होती है। प्लांट से जो गैस निकलता है उसके कारण दम घुटता है। उस गैस से इलाके के लोगों का एयर कंडीशन समाप्त हो गया है। जिसके कारण गैस भराने में चार से पांच हज़ार रुपया ख़र्च होता है। इस गैस से निकलने वाले मिथेन गैस के कारण एयरकंडीशन की गैस निकल जाती है। दो साल पहले यहां के लोगों ने प्रदर्शन भी किया था तब डीडीए, पुलिस और कंपनी की तरफ से आश्वासन मिला था कि बदबू का कुछ किया जाएगा मगर कुछ नहीं हुआ। अब इनका कहना है कि इस प्लांट से पानी लीक करता है जो सड़कों पर भरा रहता है। अभी-अभी 2019 का चुनाव गुज़रा है। मयूर विहार के लोग ख़ुद को पढ़ा लिखा भी समझते होंगे, तो क्या इन लोगों ने वोट देने से पहले अपने भावी सांसद से कोई कमिटमेंट लिया? 2020 में दिल्ली में चुनाव होगा, क्या भावी विधायक चुनते समय इस बारे में उनसे कोई कमिटमेंट लेंगे, या वोट किसी और मुददे पर देते हैं।

समस्या को दिखाना समाधान नहीं है। इस बात का आडिट होना चाहिए कि जो समस्याएं उजागर की जाती हैं उनमें से कितनों का समाधान होता है। मैं अक्सर डेमोक्रेसी इंडेक्स की बात करता हूं। इसका सूचकांक होना चाहिए। लोगों ने अपनी समस्या को लेकर किन-किन स्तरों पर नागरिक की भूमिका अदा की, किन किन स्तरों से आश्वासन मिला या न मिला और समाधान हुआ या नहीं। फिर सवाल लोगों से पूछा जाना चाहिए कि क्या इस इंडेक्स के आधार पर आप वोट करना चाहेंगे या मीडिया जो प्रोपेगैंडा रचता है उसके आधार पर। इसकी क्या गारंटी है कि इन समस्याओं से जूझते हुए आप किसी दूसरे समुदाय से नफ़रत के आधार पर वोट नहीं करेंगे या सांसद और विधायक के काम का सीरीयस मूल्यांकन नहीं करेंगे।

मैंने यह सवाल सूचना देने वाले नागरिक से पूछा। वे अपने इलाके के नागरिक संगठन में सक्रिय भी हैं। उन्होंने दो बातें कहीं। बीजेपी, कांग्रेस या आप कोई हो, स्थिति बहुत ख़राब है। दूसरा लोग भी ज़िम्मेदार हैं जो जाति और वोट बैंक के आधार पर वोट करते हैं। उनके नेता लोगों को वोट बैंक समझते हैं। इस नागरिक का कहना है कि कई लोग मयूर विहार फेज़ 3 छोड़ कर ग्रेटर नोएडा और दिल्ली के दूसरे इलाके में चले गए। अब इस बात को मैं खुद से सत्यापित तो नहीं कर सकता कि ऐसे कितने लोग थे लेकिन समझ रहा हूं कि लोग कितने परेशान हैं।

एक बात और है। एस टी पी प्लांट और कचरा घर बनाने को लेकर अब सरकारें फंस गई हैं। जगह जगह इन्हें लेकर विरोध हो रहा है। कोई अपने गांव के आस-पास नहीं बनने देना चाहता है। उनके कारण भी बिल्कुल वाजिब हैं।

नोएडा के आयुष चौधरी मर्चेंट नेवी थे। एजेंट के ज़रिए ज्विन किया था। ईरान में इनकी पोस्टिंग थी। 16 जुलाई को जब कंपनी का जहाज़ ईरान के सागर क्षेत्र में था, तब जहाज़ से गिर कर आयुष की मौत हो गई। कंपनी ने बताया है कि उस समय ज्वार का समय था, इसलिए आयुष को बचाया नहीं जा सकता। 18 जुलाई को उनके पिता को बताया गया है। परिवार वालों को आशंका है कि आयुष मानव तस्करी का शिकार हुआ है। वो अभी भी ज़िंदा हो सकता है। आयुष ने कुछ दिन पहले अपने माता पिता को फोन किया था कि वह सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है। जिस जहाज़ पर नौकरी देने का वादा किया था उस पर नहीं मिली। आयुष के मित्रों को लगता है कि प्राइम टाइम में दिखाने से काफी मदद मिलेगी। आज के खलीज़ टाइम्स में आयुष की रिपोर्ट छपी है।

राजस्थान से छोटे ठेकेदारों ने पत्र लिखा है। इन लोगों ने जून 2017 में टेंडर के ज़रिए काम लिया था। 9 महीने में काम पूरा कर दिया लेकिन अभी तक भुगतान नहीं हो सका है। समग्र शिक्षा अभियान के तहत काम किया था। अपनी पूंजी लगाकर विद्यालय के कमरे बनवा दिए। पैसे का भुगतान नहीं होने से इनका कहना है कि भूखो मरने के दिन आ गए हैं। प्रशासन को ज्ञापन दिया। मंत्रियों से मुलाकात की। छोटे ठेकेदारों की सुनवाई नहीं हो रही है इसलिए चाहते हैं कि मैं प्राइम टाइम में दिखाऊं।

नागपुर से एक नागरिक ने लिखा है कि शहर में पानी नहीं है। तीन दिन ही पानी मिलता है। वो भी एक घंटे के लिए आता है। यहां कोई ध्यान नहीं दे रहा है। प्रशासन चुप है। सीमेंट रोड के चलते पानी का स्तर नीचे चला गया है। विकास के लिए कई पेड़ काटे जा रहे हैं। सर, आप अपने प्राइम टाइम में दिखाओ। सरकार पानी के लिए कुछ तो काम करे। 

मुरादाबाद में पोलिटेक्निक कालेज से से किसी ने लिखा है कि यहां रहने वाली लड़कियां परेशान हैं। कोई शख्स रात को घुस आया था। पहले भी ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं। प्रशासन ध्यान नहीं देता है। यहां पढ़ने वाली छात्राओं की उम्र 15-16 साल ही होती है। उनकी हालत यह है कि अपने परिजनों से बताते बताते रोने लग जाती हैं। इन्होंने मुझसे निवेदन किया है कि इस समस्या का संज्ञान लेकर इनकी आवाज़ मुख्यमंत्री तक पहुंचा दूं।

बाकी ख़बरें